कोरबा: ड्रेनेज सिस्टम किसी भी शहर के लिए लाइफ लाइन होता है. किसी शहर का ड्रेनेज सिस्टम खराब होने का मतलब उस शहर की रफ्तार पर ब्रेक लगाना होता है. कोरबा के हालात भी कुछ इसी तरह के हैं. वर्तमान परिस्थितियां कुछ ऐसी हैं कि आधे घंटे की झमाझम बारिश के बाद ही कई इलाकों की सड़कें पूरी तरह से जलमग्न हो जाती हैं. नालों से बहने वाला गंदा पानी लोगों के घरों और दुकानों में घुस जाता है.
ऐसा नहीं है कि यह समस्या आज पैदा हुई है. सालों पुरानी इस समस्या का नगर निगम के हुक्मरानों को बखूबी ज्ञान है. सभी इस समस्या से भलीभांति परिचित भी हैं, लेकिन शहर के लगभग ध्वस्त हो चुके ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए अब तक कोई ठोस कार्ययोजना बन ही नहीं पाई है.
![drainage system in korba municipal corporation has become a big problem for the residents](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-krb-05-le-drainagesystem-spl-7208587_23092020234529_2309f_03742_137.jpg)
बरसात में पॉश कॉलोनियों का हाल-बेहाल
शहर के ड्रेनेज सिस्टम से जुड़ी सबसे दुर्भाग्यजनक बात ये है कि शहर के हृदय स्थल घंटाघर का मुख्य मार्ग थोड़ी सी बरसात के बाद ही पूरी तरह से जलमग्न हो जाता है. घंटा घर मार्ग के समीप स्थित शहर के सबसे रिहायशी क्षेत्रों में शुमार पॉवर हाइट्स के स्थानीय निवासियों की मानें तो इस वर्ष उन्हें बेहद नुकसान उठाना पड़ा है. इस बार की बारिश में ऐसी नौबत आ गई कि कॉलोनी में कार तक तैरने लगी. इस बरसात में लोगों को लाखों का नुकसान उठाना पड़ा है. इसी तरह सबसे रिहायशी कॉलोनियों में शुमार लालू राम कॉलोनी के निवासी बरसात के मौसम में खासे परेशान रहते हैं.
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अतिक्रमण भी एक बड़ा कारण
शहर में छोटे-बड़े मिलाकर ऐसे 42 नाले चिन्हित हैं, जिन्हें हर साल मानसून के पहले नगर निगम द्वारा साफ किया जाता है, लेकिन ये सफाई तब ध्वस्त हो जाती है, जब बरसाती पानी इनसे बहकर आता है और पूरे नाले कचरे से जाम हो जाते हैं. इनकी सफाई के लिए नगर निगम के पास स्थान नहीं है. बड़े नालों के किनारे बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हो गया है. नाले अतिक्रमण की चपेट में हैं, लेकिन इस अतिक्रमण को खाली कराकर नालों की सफाई के लिए पर्याप्त स्थान का इंतजाम कर पाने की इच्छाशक्ति भी नगर निगम के पास नहीं है. जिसके कारण नगर निगम की बड़ी जनसंख्या को हर साल बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है. घरों में पानी घुसने से जो परेशानी होती है वो अलग.
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दर्री नाले का काम अधूरा
दर्री मार्ग पर CISF मुख्यालय के मुख्य गेट के सामने से लेकर NTPC प्लांट के बाउंड्री वॉल के बीच हर साल बरसात का पानी जाम हो जाता है. हालात ये है कि मुख्य मार्ग पूरी तरह से मुख्यालय से कट जाता है. इलाके में 4-4 फीट पानी जमा रहने के कारण इसे खाली होने में घंटों का समय लग जाता है. इस दौरान दोनों तरफ से आवाजाही बंद रहती है. यहां एक बड़े नाले के निर्माण के लिए टेंडर जारी किया गया था, लेकिन फिलहाल वो मामला भी ठंडे बस्ते में है.
औद्योगिक उपक्रमों से लेकर नगर निगम तक सभी नाकाम
नगर पालिक निगम में कुल 67 वार्ड हैं. इनमें से 43 वार्डों की सफाई व्यवस्था ठेका पद्धति पर संचालित है. जिसके लिए नगर निगम सालाना 9 करोड़ रुपये खर्च करता है, जबकि 14 वार्ड ऐसे हैं, जहां निगम अपने कर्मचारी लगाकर सफाई करवाता है, जबकि शेष वार्डों में NTPC, SECL, बालको और CSEB जैसे औद्योगिक उपक्रमों का प्रभुत्व है. औद्योगिक उपक्रम हो या फिर नगर निगम के स्वयं का अमला, ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करने में सभी पूरी तरह से नाकाम रहे हैं. करोड़ों खर्च करने के बाद भी सफाई के मामले में नगर पालिक निगम फिसड्डी ही रहा है. सफाई नहीं होने के कारण ही ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से ध्वस्त हो जाता है.
सर्वे के बाद 150 करोड़ की योजना पर नहीं हो सका काम
शहर के ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए लगभग 2 वर्ष पहले एक सर्वे किया गया था. नागपुर की कंपनी ने 1 महीने तक शहर का सर्वे कर डीपीआर तैयार कर लिया था. लगभग डेढ़ सौ करोड़ रुपये की लागत से शहर के ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त किया जाना था. बरसात के पानी के साथ ही नालों से बहकर बर्बाद होने वाले पानी को ट्रीटमेंट करने की भी योजना थी, लेकिन इस योजना पर अब तक कोई काम शुरू नहीं हुआ है.
इन स्थानों पर निवास करने वाले लोग जल भराव से ज्यादा परेशान
- लालू राम कॉलोनी
- पावर हाइट्स
- शारदा विहार मुड़ापार
- सुनालिया चौक
- शांति नगर बालको
- फर्टिलाइजर बस्ती दर्री
- कलमीडुग्गू बांकीमोंगरा
- सीतामणी की निचली बस्तियां
- घंटाघर मुख्य मार्ग
- टीपी नगर पुलिस चौकी के आसपास का इलाका
ये हैं बड़े नाले
- शनि मंदिर नाला
- श्मशान घाट नाला पुरानी बस्ती
- राता खार नाला
- मुड़ापार नाला
- डीडीएम रोड नाला
- गेवरा बस्ती नाला
- बांकीमोंगरा शांति नगर नाला
- फर्टिलाइजर बस्ती दर्री नाला
- कलमीडुग्गू सीएसईबी नाला
शहर में बड़े नालों की कुल लंबाई 19 किलोमीटर है. परिवहन नगर, कोसाबाड़ी, पं. रविशंकर शुक्ला, बालको, दर्री, बांकीमोंगरा और सर्वमंगला नगर. निगम के 67 में से 43 वार्ड की सफाई व्यवस्था ठेके पर है, जिसकी लागत 9 करोड़ रुपये आती है. 14 वार्ड में निगम अपने कर्मचारियों से सफाई करवाता हैं. यहां सफाई का जिम्मा पूरी तरह से निगम के कंधों पर है. वहीं 10 वार्ड NTPC, SECL, CSEB जैसे औद्योगिक उपक्रमों के प्रभाव वाले क्षेत्र है.
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स्वच्छता रैंकिंग में भी पिछड़ा कोरबा
केंद्र सरकार द्वारा जारी हाल ही के स्वच्छता रैंकिंग में भी कोरबा बुरी तरह से पिछड़ा है. 1 लाख से 10 लाख तक की आबादी वाले छत्तीसगढ़ के 8 नगर निगमों में कोरबा 7वें पायदान पर है. छत्तीसगढ़ का केवल दुर्ग ही कोरबा से पीछे है, जबकि इस कैटेगरी में कोरबा की नेशनल रैंकिंग 45 है. इसी रैंकिंग में अंबिकापुर को पहला, राजनांदगांव को दसवां, बिलासपुर को 11वां और रायगढ़ को 13वां स्थान मिला है.
बता दें कि कोरबा नगर निगम का क्षेत्रफल 215.02 वर्ग किलोमीटर, क्षेत्रफल की दृष्टि से कोरबा छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे बड़ा नगर निगम है. 2011 की जनसंख्या के आधार पर यहां की कुल जनसंख्या 3 लाख 65 हजार 73 है. जहां गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोग 1 लाख 69 हजार 815 हैं. अधिसूचित मलिन बस्तियों की संख्या 62, अघोषित मलिन बस्तियां 41 है. मलिन बस्तियों की आबादी का प्रतिशत 46.5% है.