कोरबा: देवयानी चिटफंड कंपनी के दो और डायरेक्टर को पुलिस ने ग्वालियर से गिरफ्तार किया है. आरोपी का नाम राघवेंद्र सिंह जादौन और प्रदीप प्रजापति बताया जा रहा है. दोनों आरोपियों पर 7 हजार से ज्यादा निवेशकों से 15 करोड़ की ठगी करने का आरोप है. मामले में पुलिस आगे की कार्रवाई कर रही है.
इस मामले में कुल 14 लोग शामिल थे, जिसमें से 10 की गिरफ्तारी अब तक नहीं हो पाई है. गिरफ्तार आरोपी 2016 से फरार चल रहे थे. इनके खिलाफ कोरबा समेत जांजगीर-चांपा, रायपुर, दुर्ग, बालोद और धमतरी में भी अपराध दर्ज हैं. बात अगर कोरबा की करें तो यहां 70 लोगों ने देवयानी चिटफंड कंपनी के खिलाफ अपराध दर्ज कराए हैं.
पांच साल में रकम दुगनी करने का दिया था झांसा
प्रार्थी नागेश्वर लाल यादव ने कोरबा ने उरगा थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि देवयानी प्रापर्टीज के डायरेक्टर रमेश चौधरी, राघवेन्द्र सिंह जादौन और उनके साथी ने पांच साल में रकम दोगनी करने की स्कीम बताकर कंपनी में निवेश कराया था. आवेदक ने कंपनी में 3 लाख 91 हजाप 260 रुपए और पत्नी संतोषी यादव ने 87 हजार 300 रुपए निवेश किया था. 5 साल बीत जाने के बाद भी कंपनी की ओर से रकम वापस नहीं किया गया और कार्यालय बंद कर फरार हो गए.
आवेदक की रिपोर्ट पर थाना उरगा ने आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत अपराध दर्ज कर विवेचना में लिया था. वहीं इस मामले में पहले भी दो लोगों की गिरफ्तारी हुई है, जिसका नाम रमेश चौधरी और रामपाल सेंगर बताया जा रहा है.
2 आरोपी गिरफ्तार
इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए अधिकारियों के निर्देश पर उरगा थाना प्रभारी हरिशचन्द्र टाण्डेकर और उप निरीक्षक कृष्णा साहू के नेतृत्व में विशेष टीम बनाकर फरार डायरेक्टर्स की गिरफ्तारी के लिए ग्वालियर भेजा गया था. जहां पुलिस ने छानबीन के दौरान 2 आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है.
पैसे कैसे मिलेंगे वापस?
चिटफंड कंपनी के डायरेक्टर्स को तो पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन निवेशकों के पैसे कैसे और कब वापस मिलेंगे यह अब भी एक बड़ा सवाल है. पुलिस का कहना है कि लोगों के पैसों से चिटफंड कंपनी के संचालकों ने जो प्रॉपर्टी खरीदी है उनका पता लगाया जा रहा है. उसी प्रॉपर्टी को बेचकर निवेशको के पैसों की भरपाई की जाएगी.