कोरबा: जिले के पश्चिम क्षेत्र को कनेक्ट करने के लिए हसदेव नदी पर दर्री बैराज के समानांतर बन रहा पुल पिछले 4 सालों से अधर में लटका हुआ है. 22 करोड़ की लागत से बनने वाले इस पुल की नींव साल 2016 में रखी गई थी. तब इसे पूरा कर लेने की अवधि 2018 तक निर्धारित की गई थी. विडंबना यह है कि 2021 में भी इस पुल का निर्माण अब तक अधूरा है. 4 साल बीत जाने के बाद भी पुल का महज 25 फीसदी काम ही पूरा हो सका है.
दर्री बैराज पर लगातार बढ़ रहा बोझ
जिले के पश्चिम क्षेत्र के लगभग दो लाख की आबादी को जिला मुख्यालय से जोड़ने के लिए 1963 में बनाए गए दर्जी बैराज ही एकमात्र विकल्प था. गेरवा घाट में 8 साल पहले एक पुल का निर्माण और हुआ, लेकिन इसकी भी अप्रोच रोड नहीं बन सकी है.
भारी वाहनों के आवागमन से बैराज पुल कमजोर
अब भी हसदेव नदी की दूसरी तरफ पश्चिम क्षेत्र को जिला मुख्यालय से जोड़ने के लिए दर्री बैराज स्थित सिंचाई विभाग का पुल ही सर्वाधिक प्रचलित विकल्प है. जहां से लगातार भारी वाहन सफर करते हैं. फिर चाहे वह राख हो या फिर कोयला लगातार भारी वाहनों का दबाव सिंचाई विभाग के इस पुल पर बना रहता है. सिंचाई विभाग ने सरकार को पुल कमजोर होने की बात से वर्षों पहले ही अवगत करा दिया था. पत्राचार में साफ तौर पर यह उल्लेख किया गया था कि दर्री बराज का यह पुल विभागीय आवागमन के लिए है ना कि भारी वाहनो के परिवहन के लिए, लेकिन कोई और विकल्प नहीं होने के कारण बदस्तूर इसी पुल का उपयोग भारी वाहन कर रहे हैं.
पुल का निर्माण कार्य काफी धीमा
लगभग 60 साल पुराने दर्री बैराज पर पिछले एक दशक में लगातार बोझ बढ़ा है. भारी वाहनों की तादाद जिले में लगातार बढ़ी है. ऊर्जाधानी से बड़े पैमाने पर कोयले का परिवहन होता है. जिस तेजी से दर्री बैराज पर भारी वाहनों का बोझ बढ़ रहा है. उससे इस पुल के अस्तित्व पर भी खतरा है. ऐसे में दर्री बैराज के समानांतर बनने वाले पुल का निर्माण तीव्र गति से किया जाना चाहिए था, लेकिन 6 साल पहले जिस पुल का निर्माण शुरू हुआ था, वह अब भी अधूरा है. जबकि नियमानुसार इसे 4 साल पहले ही पूरा कर लिया जाना चाहिए था.
कई व्यवधान आए
हरदेव दर्री बैराज के समानांतर बन रहे पुल के निर्माण शुरू होने के बाद से उसमें कई व्यवधान उत्पन्न हुए. यहां बिजली लाइन को शिफ्ट किया जाना था. कई बार नदी में पानी आ जाने के कारण पिलर खड़े करने का काम पूरा नहीं हो पाया, जिसके कारण इस पुल का निर्माण तेज गति से नहीं हो पाया. 638 मीटर की लंबाई वाले इस प्रस्तावित पुल को पश्चिम क्षेत्र के प्रगति नगर से दूसरी छोर पर भवानी मंदिर के निकट मुख्य सड़क से जोड़ा जाना है. इस पुल के बनने से न सिर्फ दर्री बैराज से बोझ कम होगा, बल्कि पश्चिम क्षेत्र की बड़ी आबादी को जिला मुख्यालय तक पहुंचने के लिए दूसरा विकल्प मिलेगा. शहर की दूरी भी कुछ हद तक घटेगी.
केंद्र सरकार से मिला फंड, कई बार नोटिस जारी
हसदेव दर्री बैराज के समानांतर बन रहे पुल के लिए फंड सीधे केंद्र सरकार से मिला है. कार्य में लापरवाही के लिए ठेकेदार को 8 से 10 बार सेतु निगम की ओर से नोटिस जारी किया जा चुका है. एक बार तो ठेकेदार को कार्य से पृथक का टर्मिनेशन भी कर लिया गया था, लेकिन फिर हाईकोर्ट से स्टे मिल गया. कई ठेकेदारों को बदला गया. अब भी पुराने ठेकेदार के रिश्तेदार ही इस काम को पूरा कर रहे हैं. हालांकि फिलहाल काम तेज गति से चल रहा है और उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार तय समय सीमा में काम पूरा कर लिया जाएगा.
'फिलहाल तेज गति से चल रहा है काम 2022 तक कर लेंगे पूरा'
पुल निर्माण में हो रही देरी को लेकर सेतु निगम के एसडीओ अक्षय जैन का कहना है कि हसदेव बैराज पर समानांतर पुल का निर्माण पहली बार 2016 में शुरू किया गया था. नियमित अंतराल पर कई तरह के व्यवधान उत्पन्न हुए. ठेकेदार को टर्मिनेट भी कर दिया गया था, लेकिन उसने हाईकोर्ट से स्टे ले लिया. जिसके बाद फिर से उसे काम सौंपा गया. अब भी कई तरह की कार्रवाई चल रही है. फिलहाल एक नया ठेकेदार पुल का काम कर रहा है, जिसे फरवरी 2022 तक कार्य पूरा करने का अल्टीमेटम दिया गया है. उम्मीद है कि इस बार समय पर काम पूरा कर लेंगे.
हसदेव दर्री बैराज समानांतर पुल परियोजना
- पुल की कुल लंबाई 638 मीटर, चौड़ाई 14 मीटर.
- पुल की कुल लागत 22 करोड़ रुपए.
- अब तक ठेका कंपनी को 8 से 10 नोटिस जारी.
- सबसे पहले निर्माण की अवधि 2018 में तय की गई.
- दूसरी बार दिसंबर 2019 तक का समय निर्धारित.
- अब निर्माण पूर्ण करने फरवरी 2022 तक का अल्टीमेटम.
- अब तक 25 फीसदी काम ही हो सका है पूरा.