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Chirayu Yojana In Korba: कोरबा में नौनिहालों के स्वास्थ्य से खिलवाड़, गाड़ी देने वाली ऐजेंसी से विवाद के बाद दम तोड़ रही चिरायु

Chirayu Yojana In Korba चिरायु छत्तीसगढ़ सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है. इस योजना के तहत सरकारी स्कूल और आंगनबाड़ी में आने वाले नाबालिग बच्चों की मेडिकल जांच की जाती है. जिसका फायदा बच्चों और उनके परिवार को मिलता है. लेकिन अगस्त महीने से ही कोरबा में इस योजना पर ब्रेक लग गया है.

Chirayu Yojana In Korba
कोरबा में नौनिहालों के स्वास्थ्य से खिलवाड़
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 16, 2023, 9:58 PM IST

Updated : Sep 16, 2023, 10:22 PM IST

कोरबा में नौनिहालों के स्वास्थ्य से खिलवाड़

कोरबा: चिरायु योजना निचले तबके से आने वाले बच्चों के लिए एक वरदान की तरह है. जिन बच्चों के अभिभावक उनका बेहतर इलाज नहीं कर पाते. उनके लिए चिरायु योजना बेहद कारगर है. आंगनबाड़ी केंद्रों और हाई स्कूल तक के बच्चों का नि:शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण और उसके बाद गंभीर बीमारी से ग्रसित होने पर महंगे अस्पतालों में इलाज के सुविधा इस योजना से मिलती है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की विशेष टीम बनाई जाती है. यह टीम एक-एक कर सभी आंगनबाड़ी केंद्र और स्कूलों में जाकर बच्चों की मेडिकल जांच करती है, लेकिन पिछले कुछ समय से गाड़ी देने वाली एजेंसी और स्वास्थ्य विभाग के बीच विवाद के कारण बच्चों को इसका नुकसान उठाना पड़ रहा है.

12 टीम, हर दिन 120 जांच का लक्ष्य : चिरायु योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग की विशेष टीमों का गठन किया जाता है. जिले में कुल 12 टीम मौजूद हैं. जिसमें एक मेडिकल ऑफिसर, फार्मासिस्ट, एएनएम और चतुर्थ वर्ग का कर्मचारी शामिल होता है. इन्हें एक गाड़ी उपलब्ध कराई जाती है. जो अपने-अपने क्षेत्र में जाकर आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में बच्चों की स्वास्थ्य जांच करती है. टीम को एक दिन में 120 बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करना होता है. यदि किसी बच्चे को गंभीर बीमारी से ग्रसित पाया जाता है, तो उससे अलग से चिन्हित करना होता है. सामान्य बीमारियों को ग्रसित बच्चों को भी दवा दी जाती है.

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अगस्त से ही योजना पर लगा ब्रेक : स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी यह बात कह रहे हैं कि टीम को गाड़ी देने वाली एजेंसी से विवाद चल रहा था. लेकिन अब विवाद को सुलझा लेने की बात भी अधिकारी कह रहे हैं, जबकि एजेंसी से पता चला कि उनका पेमेंट बकाया है, जिसके कारण अगस्त से उन्होंने विभाग को गाड़ी देनी बंद कर दी है. जिसके कारण 3 अगस्त के बाद से योजना पर ब्रेक लग गया है. सरकारी संस्थाओं में आने वाले बच्चों की मेडिकल जांच लगभग पूरी तरह से बंद है.

42 तरह की बीमारियों का इलाज चिरायु से : चिरायु योजना से 30 तरह की बीमारियों का इलाज किया जाता था, लेकिन अब इसका दायरा बढ़ाकर इलाज किए जाने वाले बीमारी की संख्या को 42 कर दिया गया है. इससे समुदाय आधारित स्क्रीनिंग भी की जाती है. शासकीय अनुदान प्राप्त सभी स्कूल, छात्रावास, आश्रम और आंगनवाड़ी में ऐसे बच्चे जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम है, उनका परीक्षण होता है. चिरायु योजना से न सिर्फ गंभीर बीमारियों का इलाज होता है बल्कि कुपोषण के प्रति जागरूकता फैलाने का भी प्रयास रहता है. मुख्य तौर पर चिरायु की टीम जन्मजात विकृति, कुपोषण, शिशु विकास संबंधी अवरोध, विकलांगता जैसी बीमारियों को चिन्हित करती है. इसके साथ ही खांसी, उल्टी, दस्त एनीमिया, दांत के रोग, दृष्टि दोष आदि को भी विभाग की टीम चिन्हित कर उनका इलाज करती है. चिरायु योजना के लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर समितियों का भी गठन किया जाता है. समितियों को भी कई तरह के दायित्व सौंपे गए हैं. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं मिलने, और व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करना इन समितियां का भी दायित्व होता है. समितियां में अधिकारियों से लेकर सरपंच जैसे जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाता है.

टीम बनी, विवाद सुलझा लिया गया : सीएमएचओ एसएन केसरी का कहना है कि चिरायु योजना के तहत जिले में कुल 12 टीम काम कर रही हैं. हाल ही में गाड़ी देने वाली एजेंसी से कुछ विवाद की स्थिति हुई थी, लेकिन अब उसे सुलझा लिया गया है. कोशिश है कि चिरायु योजना का क्रियान्वयन बेहतर तरीके से किया जाए.

कोरबा में नौनिहालों के स्वास्थ्य से खिलवाड़

कोरबा: चिरायु योजना निचले तबके से आने वाले बच्चों के लिए एक वरदान की तरह है. जिन बच्चों के अभिभावक उनका बेहतर इलाज नहीं कर पाते. उनके लिए चिरायु योजना बेहद कारगर है. आंगनबाड़ी केंद्रों और हाई स्कूल तक के बच्चों का नि:शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण और उसके बाद गंभीर बीमारी से ग्रसित होने पर महंगे अस्पतालों में इलाज के सुविधा इस योजना से मिलती है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की विशेष टीम बनाई जाती है. यह टीम एक-एक कर सभी आंगनबाड़ी केंद्र और स्कूलों में जाकर बच्चों की मेडिकल जांच करती है, लेकिन पिछले कुछ समय से गाड़ी देने वाली एजेंसी और स्वास्थ्य विभाग के बीच विवाद के कारण बच्चों को इसका नुकसान उठाना पड़ रहा है.

12 टीम, हर दिन 120 जांच का लक्ष्य : चिरायु योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग की विशेष टीमों का गठन किया जाता है. जिले में कुल 12 टीम मौजूद हैं. जिसमें एक मेडिकल ऑफिसर, फार्मासिस्ट, एएनएम और चतुर्थ वर्ग का कर्मचारी शामिल होता है. इन्हें एक गाड़ी उपलब्ध कराई जाती है. जो अपने-अपने क्षेत्र में जाकर आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में बच्चों की स्वास्थ्य जांच करती है. टीम को एक दिन में 120 बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करना होता है. यदि किसी बच्चे को गंभीर बीमारी से ग्रसित पाया जाता है, तो उससे अलग से चिन्हित करना होता है. सामान्य बीमारियों को ग्रसित बच्चों को भी दवा दी जाती है.

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42 तरह की बीमारियों का इलाज चिरायु से : चिरायु योजना से 30 तरह की बीमारियों का इलाज किया जाता था, लेकिन अब इसका दायरा बढ़ाकर इलाज किए जाने वाले बीमारी की संख्या को 42 कर दिया गया है. इससे समुदाय आधारित स्क्रीनिंग भी की जाती है. शासकीय अनुदान प्राप्त सभी स्कूल, छात्रावास, आश्रम और आंगनवाड़ी में ऐसे बच्चे जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम है, उनका परीक्षण होता है. चिरायु योजना से न सिर्फ गंभीर बीमारियों का इलाज होता है बल्कि कुपोषण के प्रति जागरूकता फैलाने का भी प्रयास रहता है. मुख्य तौर पर चिरायु की टीम जन्मजात विकृति, कुपोषण, शिशु विकास संबंधी अवरोध, विकलांगता जैसी बीमारियों को चिन्हित करती है. इसके साथ ही खांसी, उल्टी, दस्त एनीमिया, दांत के रोग, दृष्टि दोष आदि को भी विभाग की टीम चिन्हित कर उनका इलाज करती है. चिरायु योजना के लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर समितियों का भी गठन किया जाता है. समितियों को भी कई तरह के दायित्व सौंपे गए हैं. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं मिलने, और व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करना इन समितियां का भी दायित्व होता है. समितियां में अधिकारियों से लेकर सरपंच जैसे जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाता है.

टीम बनी, विवाद सुलझा लिया गया : सीएमएचओ एसएन केसरी का कहना है कि चिरायु योजना के तहत जिले में कुल 12 टीम काम कर रही हैं. हाल ही में गाड़ी देने वाली एजेंसी से कुछ विवाद की स्थिति हुई थी, लेकिन अब उसे सुलझा लिया गया है. कोशिश है कि चिरायु योजना का क्रियान्वयन बेहतर तरीके से किया जाए.

Last Updated : Sep 16, 2023, 10:22 PM IST
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