कोरबा: कोरबा में मंगलवार को बंद पड़े पावर प्लांट के चिमनी को गिराया गया है. चिमनी 250 मीटर उंची थी. इससे पहले 7 माह पहले ही एक प्लांट की पहली चिमनी को गिराया गया था. अब प्लांट की दूसरी चिमनी को भी ध्वस्त कर दिया गया. चिमनी के गिरने के बाद से प्लांट के दोबारा शुरू होने के अटकलों पर विराम लग गया है.
संचालित होता है दर्जनभर पावर प्लांट: उर्जाधानी कोरबा में तकरीबन दर्जनभर पावर प्लांट संचालित हो रहे हैं. इससे बिजली का उत्पादन होता है. कुछ ऐसे पावर प्लांट हैं, जो तकनीकी कमी और वित्तीय प्रबंधन सही न होने की वजह से संचालित नहीं हो रहे हैं. कोरबा जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर गांव सलोरा में वंदना विद्युत लिमिटेड पावर प्लांट की साल 2008 में शुरुआत हुई थी. जो कि काफी समय से बंद पड़ा था. इसी पावर प्लांट की चिमनी को मंगलवार को गिराने का काम किया गया.
ऐसे बंद हुआ पावर प्लांट : वंदना पावर प्लांट की स्थापना साल 2008 में हुई थी. सलोरा(छुरी) और आसपास के गांव के लगभग 700 एकड़ भूमि का अधिग्रहण कर तब कंपनी ने योजना की शुरुआत की थी. 1050 मेगावाट की इकाई का पावर प्लांट लगाया जाने का लक्ष्य था. ये काम दो चरण में होना था. पहले चरण में 35 मेगावाट की इकाई से बिजली उत्पादन शुरू हुआ. साल 2012 में कुछ दिनों तक बिजली का उत्पादन हुआ, लेकिन जल्दी ही उत्पादन थम गया. कंपनी ने पंजाब नेशनल बैंक से इस प्रोजेक्ट के लिए काफी लोन लिया था. करोड़ों की राशि न चुका पाने के कारण बैंक ने पावर प्लांट की संपत्ति कुर्क कर दी थी. इसके बाद से ही पावर प्लांट बंद पड़ा है.
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खाली जमीन को किसानों को वापस देने की मांग: बताया जा रहा है कि पंजाब नेशनल बैंक ने पावर प्लांट की संपत्ति को नीलाम कर बेच दिया है. अब केवल चिमनी ही बच गई है. जब जमीन का अधिग्रहण हुआ था. तब इस प्लांट को अपनी जमीन देने वाले भूविस्थापित किसानों को नौकरी के सपने भी दिखाए गए थे. लेकिन अब यह पूरा नहीं हो पाएगा. जिस तरह टाटा की अधिग्रहित जमीन राज्य सरकार ने बस्तर में लौटाई थी. उसी तर्ज पर अब वंदना पावर प्लांट की खाली जमीन को भी किसानों को वापस किए जाने की मांग उठने लगी है.