कोरबा: राजस्थान सरकार ने कोयला संकट और इसकी जरूरत के लिए छत्तीसगढ़ में परसा कोल ब्लॉक के उत्खनन की स्वीकृति के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा था (letter of rajasthan Government Parsa Coal Block). केंद्र सरकार से भी क्षमता विस्तार का प्रस्ताव जारी किया गया है. इन सब के विरोध में ग्राम फतेहपुर में आदिवासी ग्रामीण लामबंद हो गए (Tribals protest against letter of rajasthan Government) हैं. ग्रामीण किसी भी हाल में गांव की जमीन को कोयला उत्खनन के लिए इस्तेमाल नहीं होने देना चाहते हैं. उनका कहना है कि वह कोयला खदान के लिए अपनी जमीन किसी भी हालत में नहीं ( Chhattisgarh tribals protest) देंगे.
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चिट्ठी के खिलाफ आदिवासी समाज एकजुट
कोल ब्लॉक के आवंटन को लेकर हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति लंबे समय से आंदोलन कर रही(Chhattisgarh tribals protest in Korba) है. आंदोलन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि, कोल ब्लॉक के विरोध में ग्रामीण 300 किलोमीटर की पदयात्रा कर रायपुर पहुंचे थे और राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मुलाकात भी की थी. ग्रामीणों ने फर्जी ग्रामसभा कर कोल ब्लॉक के लिए अनुमति देने का आरोप लगाया था. उस समय राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि इस मामले की जांच की जाएगी. मामले में जांच का तो पता नहीं लेकिन दवाब बनाने का खेल फिलहाल शुरू होता दिख रहा है.
जल, जंगल और जमीन हमारी हैः ग्रामीण
इस विषय में फतेहपुर के ग्रामीण मुनेश्वर पोर्ते ने कहा कि हम 300 किलोमीटर पैदल चलकर रायपुर पहुचे थे. मुख्यमंत्री ने हमारे गांव की फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव, जिसके आधार पर राजस्थान सरकार ने वन स्वीकृति हासिल की है. उसकी जांच का आश्वासन दिया था. हालांकि अब तक जांच नहीं की गई है.हम पिछले दशक से अपने संवैधानिक अधिकारों को बचाने और हसदेव अरण्य के जंगल जमीन के विनाश के खिलाफ आन्दोलनरत हैं. एक अन्य ग्रामीण आनंद राम खुसरो ने कहा कि यदि सरकार हमसे जबरन जमीन, जंगल छीनने का प्रयास करेगी तो हम अपने महिला और बच्चों के साथ जेल जाने को तैयार हैं. लेकिन अपने गांव में किसी कम्पनी को घुसने नहीं देंगे. यह जंगल और जमीन हमारी है, हमारे देवी देवता इसमें बसते है. हमारे पुरखों की मेहनत से बसाए गांव हम कैसे उजड़ने देंगे?
10 मिलियन टन प्रतिवर्ष कोयले की पहले ही मिल चुकी है अनुमति
ग्रामीणों ने कहा कि राजस्थान सरकार को 10 मिलियन टन कोयला प्रतिवर्ष निकालने की अनुमति के साथ परसा ईस्ट कोयला खदान आवंटित हुई थी. साल 2018 में इसकी क्षमता भी 15 मिलियन टन हो गई. अभी कम्पनी ने इसे 21 मिलियन टन बढ़ाने को पर्यावरण मंत्रालय में आवेदन किया है. इसके वाबजूद सरकार नई कोयला खदान क्यों खोलना चाहती है? राजस्थान चाहे तो सस्ते दर पर कोल इण्डिया से कोयला खरीद सकता है.