कोरबा : अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर सीटू, एटक, एचएमएस, माकपा, भाकपा, छत्तीसगढ़ किसान सभा ने कृषि कानून के विरोध में किसानों का समर्थन किया. इस दौरान उन्होंने किसानों की मांग को जायज ठहराते हुए किसानों के समर्थन में नारे लगाए. प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है.
एटक के प्रांतीय महासचिव कामरेड हरिनाथ सिंह ने कहा कि 3 नए कृषि कानून अगर किसानों के हित में होते तो लाखों की संख्या में किसान सड़क पर नहीं होते. दुर्भाग्य जनक बात है कि सरकार में बैठे लोग 6 साल से देश में अराजकता फैला रहे हैं. इस किसान आंदोलन में शामिल किसानों को पाकिस्तानी, खालिस्तानी और चाइना के एजेंट बता रहे हैं. यह बहुत ही निंदनीय है.
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केंद्र के रवैये को बताया तानाशाही
केंद्र में बैठी सरकार अपने देश के किसानों को दिल्ली में नहीं घुसने दे रही. चीन की सेना जो ग्लवान घाटी में 12 किलोमीटर भीतर घुस कर बैठे हैं उन्हें सरकार बाहर नहीं कर पा रही है. हरिनाथ सिंह ने हिटलर के प्रचार मंत्री गोएबल्स का उदाहरण दिया. उन्होंने बताया, गोएबल्स का कहना था कि एक झूठ को सौ बार सत्य बताओ तो लोगों के मन में वह सत्य बन कर बैठ जाता है. ठीक उसी प्रकार केंद्र में बैठी मोदी सरकार देश के भोले भाले लोगों को झूठ बोलकर सत्ता पर राज कर रही है.
3 काले कानूनों को जबरदस्ती थोपने का आरोप
एटक के राष्ट्रीय नेता दीपेश मिश्रा ने कहा कि सभी ट्रेड यूनियनों ने इस आंदोलन को समर्थन दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार यही कह रहें कि कृषि कानून किसानों के हित में है. लेकिन किसान इस चीज को समझ चुके हैं कि यह 3 काले कानूनों को जबरदस्ती उन पर थोपा जा रहा है. इसके विरोध में लाखों किसान सड़कों पर 19 दिन से आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि केंद्र सरकार ने किसानों की मांगों को अनदेखा किया है.