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Chhattisgarh Election 2023 कोरबा विधानसभा सीट का चुनावी गणित, रोजगार और प्रदूषण चुनावी मुद्दा - कोरबा विधानसभा सीट

Chhattisgarh Election 2023 छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव है. उद्योगों से घिरे कोरबा शहर की कोरबा विधानसभा सीट पर बीजेपी ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है. भाजपा ने इस क्षेत्र के पूर्व महापौर लखनलाल देवांगन पर भरोसा जताया है. वर्तमान में इस सीट से जयसिंह अग्रवाल विधायक हैं. पिछले तीन बार से जयसिंह अग्रवाल इस सीट पर जीत हासिल करते आ रहे हैं. इस बार भी कांग्रेस ने जयसिंह अग्रवाल को टिकट दिया है.

Korba assembly seat
कोरबा विधानसभा सीट
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Published : Apr 29, 2023, 10:16 AM IST

Updated : Nov 14, 2023, 9:41 PM IST

कोरबा: छत्तीसगढ़ की उर्जाधानी कोरबा में कुल 4 विधानसभा है. जिले की 3 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. साल 2008 में पहली बार कोरबा विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी. इसके बाद से ही इस पर कांग्रेस का कब्जा रहा है. जयसिंह अग्रवाल यहां से जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं. दो बार विपक्ष में विधायक रहने के बाद वर्तमान में वह प्रदेश के राजस्व मंत्री हैं. इस सीट पर अबकी बार लखनलाल देवांगन पर बीजेपी ने विश्वास जताया है. पिछले बार कटघोरा विधानसभा से लखनलाल चुनाव हार गए थे. हालांकि इस बार बीजेपी ने लखनलाल को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, कांग्रेस ने एक बार फिर जयसिंह अग्रवाल पर भरोसा जताते हुए टिकट दिया है.

कोरबा विधानसभा क्षेत्र का जातिगत समीकरण: लखनलाल देवांगन कोरबा से महापौर रह चुके हैं. यही कारण है कि भाजपा ने लखनलाल पर भरोसा जताया है. क्योकि देवांगन की इस क्षेत्र में पकड़ भी है. वैसे जातिगत तौर पर कोई खास लाभ भाजपा को इससे नहीं मिल सकता है. क्योंकि कोरबा में अधिकतर सामान्य वर्ग के ही मतदाता हैं. कोरबा संविधान की पांचवी अनुसूची में शामिल आरक्षित जिला है. कोरबा विधानसभा सीट आरक्षित नहीं है. यहां से कोई भी चुनाव लड़ सकता है. यही वजह है कि इस सीट से सबसे ज्यादा प्रत्याशी चुनाव लड़ते हैं. इस सीट पर ज्यादातर मतदाता सामान्य वर्ग से आते हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार कोरबा ब्लॉक में कुल आबादी में से 36.03 फीसद आबादी शहरी क्षेत्र में और 63.97 फीसदी आबादी गांव में है. कोरबा ब्लॉक में कुल जनसंख्या का 12.44 फीसदी अनुसूचित जाति और 28.88 फीसदी अनुसूचित जनजाति (ST) है. यहां हिंदुओं की आबादी सबसे ज्यादा 92%, मुस्लिम 3.97%, क्रिश्चियन 3.02 % और सिखों की आबादी 0.5% है.

जानिए कौन है लखनलाल देवांगन ?: लखनलाल देवांगन ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत पार्षद के पद से की थी. जब कोरबा नगर पालिका निगम का गठन हुआ था, तब साल 2000 से लेकर 2005 तक लखन कोहड़िया से पार्षद निर्वाचित हुए. इसके बाद साल 2005 से लेकर 2010 तक वह नगर पालिका निगम कोरबा के महापौर निर्वाचित हुए.वहीं, साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उनपर भरोसा जताते हुए कटघोरा विधानसभा से विधायक का टिकट दिया. लखन 2013 का चुनाव जीते. कटघोरा से विधायक के साथ ही साथ वह संसदीय सचिव भी रहे. इसके बाद साल 2018 में वह कटघोरा से ही विधानसभा चुनाव हार गए थे. हालांकि इस बार भाजपा ने लखनलाल देवांगन को कोरबा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है.

कोरबा से कौन हैं वर्तमान विधायक ?: वर्तमान में कोरबा विधानसभा सीट से जयसिंह अग्रवाल विधायक हैं. इस क्षेत्र के ये कद्दावर नेता माने जाते हैं. जयसिंह अग्रवाल इस सीट पर कई बार चुनाव लड़ चुके हैं.

कोरबा विधानसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या : कोरबा विधानसभा सीट पर कुल 2 लाख 55 हजार 840 मतदाता हैं. इसमें महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 26 हजार 777 है. जबकि पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 29 हजार 42 है. यहां महिला वोटर्स के मुकाबले पुरुष वोटर्स ज्यादा हैं. वहीं, थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 21 है.

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कोरबा के मुख्य मुद्दे और समस्याएं ? : कोरबा में दर्जन भर पावर प्लांट संचालित है, जिनसे राज्यभर को बिजली मिलती है. पड़ोसी राज्यों में भी बिजली भेजी जाती है. पावर प्लांट से निकलने वाली राख और बिजली कारखानों से निकलने वाले धुएं से लोग परेशान रहते हैं. यानी प्रदूषण, कोरबा का सबसे बड़ा मुद्दा है. प्लांट ज्यादा होने के बाद भी स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिलता है. ये मुद्दा भी गाहे बगाहे उठता रहता है. रेल कनेक्टिविटी के मामले में भी कोरबा शहर लंबे समय से उपेक्षित रहा है. रेलवे को सबसे ज्यादा राजस्व देने के बाद भी कोरबा रेल कनेक्टिविटी के मामले में बेहद पिछड़ा हुआ है. उद्योगों और भारी वाहनों के दबाव के कारण लगातार हादसे होते हैं. सार्वजनिक उपक्रमों के अपने अस्पताल भी संचालित हैं. लेकिन ट्रॉमा सेंटर जैसी सुविधा अबतक जिले में कहीं भी नहीं है.

2018 विधानसभा चुनाव की तस्वीर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में ओवरऑल 76.35 फीसदी वोटिंग हुई. कोरबा विधानसभा सीट पर 71.54 फीसद वोटिंग हुई. इसमें कांग्रेस को 43.28 फीसद और भाजपा प्रत्याशी को 35.99 फीसद वोट मिले थे. कांग्रेस प्रत्याशी जयसिंह अग्रवाल ने कोरबा शहर की विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार जीत हासिल की. उन्हें 70 हजार 119 वोट मिले. दूसरे स्थान पर भाजपा प्रत्याशी विकास महतो रहे, जिन्हें 58 हजार 313 वोट मिले थे. जीत का अंतर 11 हजार 806 वोट का था. यह कुल मत का 7.33 फीसद है.

कौन तय करता है जीत और हार ?: कोरबा में पावर प्लांट की वजह से अलग अलग राज्यों से आए लोग यहां बसे हैं. यही लोग अब स्थाई मतदाता भी बन चुके हैं. कोरबा विधानसभा के ज्यादातर मतदाता शहरी हैं. कुछ हिस्सा ग्रामीण इलाकों में भी आता है. स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार दिलवाना और उनके सुख दुख में साथ निभाना जीत का फैक्टर बन जाता है. संगठन की मजबूती भी कोरबा शहर के चुनाव में काम आती है. लोकल वर्सेस बाहरी का मुद्दा भी पिछले कुछ दिनों से यहां चर्चा का विषय है. 2018 के चुनाव में तत्कालीन भाजपा सांसद स्व. बंशीलाल महतो के बेटे विकास महतो को भाजपा ने मैदान में उतारा था. इसके पहले 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से मेयर रहते हुए जोगेश लांबा ने भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था. लेकिन दोनों ही बार जयसिंह अग्रवाल इन पर भारी पड़े और मजबूत जीत दर्ज की.

कोरबा: छत्तीसगढ़ की उर्जाधानी कोरबा में कुल 4 विधानसभा है. जिले की 3 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. साल 2008 में पहली बार कोरबा विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी. इसके बाद से ही इस पर कांग्रेस का कब्जा रहा है. जयसिंह अग्रवाल यहां से जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं. दो बार विपक्ष में विधायक रहने के बाद वर्तमान में वह प्रदेश के राजस्व मंत्री हैं. इस सीट पर अबकी बार लखनलाल देवांगन पर बीजेपी ने विश्वास जताया है. पिछले बार कटघोरा विधानसभा से लखनलाल चुनाव हार गए थे. हालांकि इस बार बीजेपी ने लखनलाल को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, कांग्रेस ने एक बार फिर जयसिंह अग्रवाल पर भरोसा जताते हुए टिकट दिया है.

कोरबा विधानसभा क्षेत्र का जातिगत समीकरण: लखनलाल देवांगन कोरबा से महापौर रह चुके हैं. यही कारण है कि भाजपा ने लखनलाल पर भरोसा जताया है. क्योकि देवांगन की इस क्षेत्र में पकड़ भी है. वैसे जातिगत तौर पर कोई खास लाभ भाजपा को इससे नहीं मिल सकता है. क्योंकि कोरबा में अधिकतर सामान्य वर्ग के ही मतदाता हैं. कोरबा संविधान की पांचवी अनुसूची में शामिल आरक्षित जिला है. कोरबा विधानसभा सीट आरक्षित नहीं है. यहां से कोई भी चुनाव लड़ सकता है. यही वजह है कि इस सीट से सबसे ज्यादा प्रत्याशी चुनाव लड़ते हैं. इस सीट पर ज्यादातर मतदाता सामान्य वर्ग से आते हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार कोरबा ब्लॉक में कुल आबादी में से 36.03 फीसद आबादी शहरी क्षेत्र में और 63.97 फीसदी आबादी गांव में है. कोरबा ब्लॉक में कुल जनसंख्या का 12.44 फीसदी अनुसूचित जाति और 28.88 फीसदी अनुसूचित जनजाति (ST) है. यहां हिंदुओं की आबादी सबसे ज्यादा 92%, मुस्लिम 3.97%, क्रिश्चियन 3.02 % और सिखों की आबादी 0.5% है.

जानिए कौन है लखनलाल देवांगन ?: लखनलाल देवांगन ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत पार्षद के पद से की थी. जब कोरबा नगर पालिका निगम का गठन हुआ था, तब साल 2000 से लेकर 2005 तक लखन कोहड़िया से पार्षद निर्वाचित हुए. इसके बाद साल 2005 से लेकर 2010 तक वह नगर पालिका निगम कोरबा के महापौर निर्वाचित हुए.वहीं, साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उनपर भरोसा जताते हुए कटघोरा विधानसभा से विधायक का टिकट दिया. लखन 2013 का चुनाव जीते. कटघोरा से विधायक के साथ ही साथ वह संसदीय सचिव भी रहे. इसके बाद साल 2018 में वह कटघोरा से ही विधानसभा चुनाव हार गए थे. हालांकि इस बार भाजपा ने लखनलाल देवांगन को कोरबा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है.

कोरबा से कौन हैं वर्तमान विधायक ?: वर्तमान में कोरबा विधानसभा सीट से जयसिंह अग्रवाल विधायक हैं. इस क्षेत्र के ये कद्दावर नेता माने जाते हैं. जयसिंह अग्रवाल इस सीट पर कई बार चुनाव लड़ चुके हैं.

कोरबा विधानसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या : कोरबा विधानसभा सीट पर कुल 2 लाख 55 हजार 840 मतदाता हैं. इसमें महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 26 हजार 777 है. जबकि पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 29 हजार 42 है. यहां महिला वोटर्स के मुकाबले पुरुष वोटर्स ज्यादा हैं. वहीं, थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 21 है.

Chhattisgarh Election 2023: रामानुजगंज विधानसभा सीट का चुनावी गणित, बीजेपी ने रामविचार नेताम को टिकट देकर सियासत की गर्म
Chhattisgarh Assembly Election: भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट का क्या है विनिंग फैक्टर, जानिए किन मुद्दों पर यहां होती है वोटिंग ?
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कोरबा के मुख्य मुद्दे और समस्याएं ? : कोरबा में दर्जन भर पावर प्लांट संचालित है, जिनसे राज्यभर को बिजली मिलती है. पड़ोसी राज्यों में भी बिजली भेजी जाती है. पावर प्लांट से निकलने वाली राख और बिजली कारखानों से निकलने वाले धुएं से लोग परेशान रहते हैं. यानी प्रदूषण, कोरबा का सबसे बड़ा मुद्दा है. प्लांट ज्यादा होने के बाद भी स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिलता है. ये मुद्दा भी गाहे बगाहे उठता रहता है. रेल कनेक्टिविटी के मामले में भी कोरबा शहर लंबे समय से उपेक्षित रहा है. रेलवे को सबसे ज्यादा राजस्व देने के बाद भी कोरबा रेल कनेक्टिविटी के मामले में बेहद पिछड़ा हुआ है. उद्योगों और भारी वाहनों के दबाव के कारण लगातार हादसे होते हैं. सार्वजनिक उपक्रमों के अपने अस्पताल भी संचालित हैं. लेकिन ट्रॉमा सेंटर जैसी सुविधा अबतक जिले में कहीं भी नहीं है.

2018 विधानसभा चुनाव की तस्वीर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में ओवरऑल 76.35 फीसदी वोटिंग हुई. कोरबा विधानसभा सीट पर 71.54 फीसद वोटिंग हुई. इसमें कांग्रेस को 43.28 फीसद और भाजपा प्रत्याशी को 35.99 फीसद वोट मिले थे. कांग्रेस प्रत्याशी जयसिंह अग्रवाल ने कोरबा शहर की विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार जीत हासिल की. उन्हें 70 हजार 119 वोट मिले. दूसरे स्थान पर भाजपा प्रत्याशी विकास महतो रहे, जिन्हें 58 हजार 313 वोट मिले थे. जीत का अंतर 11 हजार 806 वोट का था. यह कुल मत का 7.33 फीसद है.

कौन तय करता है जीत और हार ?: कोरबा में पावर प्लांट की वजह से अलग अलग राज्यों से आए लोग यहां बसे हैं. यही लोग अब स्थाई मतदाता भी बन चुके हैं. कोरबा विधानसभा के ज्यादातर मतदाता शहरी हैं. कुछ हिस्सा ग्रामीण इलाकों में भी आता है. स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार दिलवाना और उनके सुख दुख में साथ निभाना जीत का फैक्टर बन जाता है. संगठन की मजबूती भी कोरबा शहर के चुनाव में काम आती है. लोकल वर्सेस बाहरी का मुद्दा भी पिछले कुछ दिनों से यहां चर्चा का विषय है. 2018 के चुनाव में तत्कालीन भाजपा सांसद स्व. बंशीलाल महतो के बेटे विकास महतो को भाजपा ने मैदान में उतारा था. इसके पहले 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से मेयर रहते हुए जोगेश लांबा ने भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था. लेकिन दोनों ही बार जयसिंह अग्रवाल इन पर भारी पड़े और मजबूत जीत दर्ज की.

Last Updated : Nov 14, 2023, 9:41 PM IST
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