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मवेशियों पर काम नहीं करती सरकारी दवा, कोरबा के पशुपालक निजी इलाज करवाने को मजबूर

गोकुल नगर से पूरे कोरबा शहर को दूध सप्लाई होती है. यहां पशुपालकों के लगभग 100 परिवार रहते हैं. जिनका दूध का व्यवसाय है. यह पशुपालक मवेशियों में होने वाली बीमारी को लेकर परेशान हैं. इनका आरोप है कि सरकारी दवाएं पशुओं के इलाज में असरदार नहीं हैं और उन्हें प्राइवेट अस्पतालों से अपने मवेशियों का इलाज करवाना पड़ रहा है.

pastoralists of korba
मवेशी और पशुपालक
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Published : Aug 1, 2021, 4:51 PM IST

Updated : Aug 1, 2021, 10:06 PM IST

कोरबा: हाल ही में जिले के पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड में मवेशियों में टीके लगाने के बाद उनकी मौत के मामले सामने आए थे. स्थानीय और राज्य स्तर की जांच टीमों ने गांवों का दौरा किया था. फिलहाल वैक्सीन से मौत का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है.

मवेशी और पशुपालक

इस घटना के बाद कोरबा शहर से लगे गोकुल नगर में भी मवेशियों की मौत का मामला सामने आया है. यहां पशुपालकों की माने तो पशुधन विभाग द्वारा सालाना मवेशियों को बीमारियों के बचाने के लिए वैक्सीनेशन तो किया जाता है, लेकिन सरकारी दवाएं काम नहीं करती. जिस बीमारी से बचाव के लिए मवेशियों को वैक्सीन दी जाती है, वही बीमारी हर साल मवेशियों को परेशान करती है. कई बार उनकी जान तक चली जाती है. इस साल गोकुल नगर में 60-70 मवेशियों की मौत हुई है. जिन पशु पालकों ने अपने मवेशियों का प्राइवेट इलाज कराया, उनके मवेशियों की जान बच गई.

गोकुल नगर से पूरे कोरबा शहर को दूध सप्लाई होता है. यहां पशुपालकों के लगभग 100 परिवार निवास करते हैं. जिनका दूध का व्यवसाय है. पशुपालकों के पास गाय और भैंस सैकड़ों की तादाद में हैं.

मवेशी
मवेशी

गोबर खरीदी से बने वर्मी कंपोस्ट खाद की भारी मांग, किसानों को सोसाइटियां कर रहीं जागरूक

हाल में यहां मवेशियों में खुरहा चपका नामक बीमारी फैली थी. जो मवेशियों के पैरों में होती है. इसके अलावा यहां गलघोटू की शिकायत भी बनी है. जिसके बाद पशुपालकों ने कहा कि हर साल सरकारी पशु विभाग उनके मवेशियों को वैक्सीन लगाती है. वैक्सीन समय पर लग भी जाती है, लेकिन मवेशियों पर इसका असर नहीं होता.

Cattle
पशुपालक

पशुपालकों ने कहा कि सरकारी विभाग की तरफ से गलघोटू और खुरहा चपका नामक बीमारियों के लिए वैक्सीन लगाने के बाद भी मवेशी बीमार पड़ गए थे और उनकी जान चली गई. जिन्होंने प्राइवेट मेडिकल स्टोर से दवा लाकर अपने पशुओं को दी, केवल उनके मवेशी भी बच पाए हैं. अब सरकारी के बजाय प्राइवेट वेटरनरी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों से गोकुल नगर के पशुपालकों ने संपर्क किया है.

पशु अस्पताल से नहीं मिलती कोई सहायता

गोकुल नगर के समीप ही पशु विभाग का मुख्य जिला अस्पताल संचालित है. पशुपालक कहते हैं कि यहां जाने पर डॉक्टर नहीं मिलते. दवाओं की भी कमी रहती है, डॉक्टर को बुलाने पर वह पशु तक नहीं पहुंच पाते. कई बार पशु इस स्थिति में नहीं होते कि उन्हें अस्पताल तक ले जाया जा सके. ऐसे में पशुओं की जान चली जाती है. पशु अस्पताल समीप होने के बाद भी वेटरनरी चिकित्सकों से कोई सहायता पशुपालकों को नहीं मिल पा रही है.

pastoralists of korba
कोरबा के पशुपालक

वैक्सीन पूरी तरह से असरदार नहीं, मवेशियों की मौत

इस विषय में पशुधन विभाग के अधिकारियों का मत बिल्कुल अलग है. विभाग के उपसंचालक की माने तो राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत पशुओं को प्रत्येक वर्ष वैक्सीन दी जाती है और यह पूरी तरह से असरदार भी है. उन्होंने कहा कि गोकुल नगर में मवेशियों की मौत होने की सूचना तो मिली थी, लेकिन यहां जाने पर ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला. कुछ मवेशियों को बीमार जरूर पाया गया. जिनका इलाज किया गया है.

कोरबा: हाल ही में जिले के पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड में मवेशियों में टीके लगाने के बाद उनकी मौत के मामले सामने आए थे. स्थानीय और राज्य स्तर की जांच टीमों ने गांवों का दौरा किया था. फिलहाल वैक्सीन से मौत का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है.

मवेशी और पशुपालक

इस घटना के बाद कोरबा शहर से लगे गोकुल नगर में भी मवेशियों की मौत का मामला सामने आया है. यहां पशुपालकों की माने तो पशुधन विभाग द्वारा सालाना मवेशियों को बीमारियों के बचाने के लिए वैक्सीनेशन तो किया जाता है, लेकिन सरकारी दवाएं काम नहीं करती. जिस बीमारी से बचाव के लिए मवेशियों को वैक्सीन दी जाती है, वही बीमारी हर साल मवेशियों को परेशान करती है. कई बार उनकी जान तक चली जाती है. इस साल गोकुल नगर में 60-70 मवेशियों की मौत हुई है. जिन पशु पालकों ने अपने मवेशियों का प्राइवेट इलाज कराया, उनके मवेशियों की जान बच गई.

गोकुल नगर से पूरे कोरबा शहर को दूध सप्लाई होता है. यहां पशुपालकों के लगभग 100 परिवार निवास करते हैं. जिनका दूध का व्यवसाय है. पशुपालकों के पास गाय और भैंस सैकड़ों की तादाद में हैं.

मवेशी
मवेशी

गोबर खरीदी से बने वर्मी कंपोस्ट खाद की भारी मांग, किसानों को सोसाइटियां कर रहीं जागरूक

हाल में यहां मवेशियों में खुरहा चपका नामक बीमारी फैली थी. जो मवेशियों के पैरों में होती है. इसके अलावा यहां गलघोटू की शिकायत भी बनी है. जिसके बाद पशुपालकों ने कहा कि हर साल सरकारी पशु विभाग उनके मवेशियों को वैक्सीन लगाती है. वैक्सीन समय पर लग भी जाती है, लेकिन मवेशियों पर इसका असर नहीं होता.

Cattle
पशुपालक

पशुपालकों ने कहा कि सरकारी विभाग की तरफ से गलघोटू और खुरहा चपका नामक बीमारियों के लिए वैक्सीन लगाने के बाद भी मवेशी बीमार पड़ गए थे और उनकी जान चली गई. जिन्होंने प्राइवेट मेडिकल स्टोर से दवा लाकर अपने पशुओं को दी, केवल उनके मवेशी भी बच पाए हैं. अब सरकारी के बजाय प्राइवेट वेटरनरी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों से गोकुल नगर के पशुपालकों ने संपर्क किया है.

पशु अस्पताल से नहीं मिलती कोई सहायता

गोकुल नगर के समीप ही पशु विभाग का मुख्य जिला अस्पताल संचालित है. पशुपालक कहते हैं कि यहां जाने पर डॉक्टर नहीं मिलते. दवाओं की भी कमी रहती है, डॉक्टर को बुलाने पर वह पशु तक नहीं पहुंच पाते. कई बार पशु इस स्थिति में नहीं होते कि उन्हें अस्पताल तक ले जाया जा सके. ऐसे में पशुओं की जान चली जाती है. पशु अस्पताल समीप होने के बाद भी वेटरनरी चिकित्सकों से कोई सहायता पशुपालकों को नहीं मिल पा रही है.

pastoralists of korba
कोरबा के पशुपालक

वैक्सीन पूरी तरह से असरदार नहीं, मवेशियों की मौत

इस विषय में पशुधन विभाग के अधिकारियों का मत बिल्कुल अलग है. विभाग के उपसंचालक की माने तो राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत पशुओं को प्रत्येक वर्ष वैक्सीन दी जाती है और यह पूरी तरह से असरदार भी है. उन्होंने कहा कि गोकुल नगर में मवेशियों की मौत होने की सूचना तो मिली थी, लेकिन यहां जाने पर ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला. कुछ मवेशियों को बीमार जरूर पाया गया. जिनका इलाज किया गया है.

Last Updated : Aug 1, 2021, 10:06 PM IST
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