कोरबा: दीपका थानाक्षेत्र अंतर्गत ACB कंपनी की सैनिक माइनिंग कैम्प में हुई लाखों के लूट के आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. इस वारदात के बाद पुलिस कैशियर से लगातार पूछताछ कर रही थी. इस दौरान कैशियर से स्पष्ट जवाब नहीं मिलने पर उसे संदिग्ध मानकर पुलिस जांच कर रही थी. पुलिस ने कैशियर के घर की तलाशी ली, जहां से 10 लाख 60 हजार रुपए कैश और 1 किलोग्राम सोना मिला है. फिलहाल पुलिस आरोपी को रिमांड पर लेकर और पूछताछ करने का प्रयास कर रही है.
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3 और 4 अक्टूबर की दरम्यानी रात को सैनिक माइनिंग कैंप गेवरा में तीन अज्ञात व्यक्तियों ने कैंप में घुसकर गार्ड से मारपीट करते हुए गेस्ट रूम की अलमारी से लगभग 20 से 30 लाख रुपए की रकम लूट ली थी. इसकी सूचना पुलिस को दी गई, जिसके बाद एसपी अभिषेक मीणा पूरी टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. एडिशनल एसपी कीर्तन राठौर से लेकर सीएसपी और टीआई तक मौके पर मौजूद रहे. मामले की जांच के लिए स्पेशल टीम का भी गठन किया गया.
कैशियर के घर से मिले 10 लाख रुपए
तफ्तीश शुरू हुई, तो संदेहियों से पूछताछ करने पर एसीबी कंपनी के कैशियर जवाहर लाल प्रसाद की भूमिका संदिग्ध पाई गई. लगातार पूछताछ किए जाने पर कैशियर ने गोलमोल जवाब देना शुरू कर दिया. पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ की, तो कई तरह के सुराग सामने आए. पुलिस को कैशियर के घर पर उसके छिपाकर रखे गए 10 लाख 60 हजार रुपए बरामद करने में सफलता मिली, जिसे माइनिंग कैंप के दफ्तर से लूट लिए जाने की सूचना पुलिस को दी गई थी. इतना ही नहीं पुलिस ने कैशियर के घर से 1 किलो सोना जिसकी कीमत लगभग 50 लाख रुपए है, उसे बरामद किया है. पुलिस को कैशियर के पास से कुल 60 लाख नकद और सोना मिला है.
जांच जारी
कैशियर के बार-बार बयान बदलने और झूठ बोलने के कारण पुलिस पूरे दिन उलझी रही. हालांकि कैश और सोना घर से बरामद होने पर पुलिस को एक बात पर पूरी तरह से भरोसा है कि सुनियोजित ढंग से इस वारदात को अंजाम दिया गया है. लूट हुई है या नहीं, यह अब भी पहेली बनी हुई है और पुलिस अपनी जांच में जुटी हुई है.
हर एंगल से हो रही जांच
पुलिस की एक थ्योरी यह भी है कि कंपनी के दफ्तर में संभवत: लूट के इरादे से कुछ लोग दाखिल हुए थे. इस अवसर का लाभ लेने के लिए कैशियर ने सोना और कैश जो कि लुटेरों के नजर से बच गए, इसे गायब कर दिया. हालांकि यह अंतिम निष्कर्ष नहीं है. मामले में इस एंगल पर भी पुलिस जांच कर रही है.
कैशियर के पास हमेशा रहते हैं 10 से 15 लाख रुपए
कंपनी सूत्रों का यह भी कहना है कि चूंकि एसीबी एक बड़ी कंपनी है, इसलिए कर्मचारियों को पेमेंट वितरण के लिए कैशियर के पास 10 से 15 लाख रुपए की रकम हमेशा मौजूद रहती है, इसलिए सिर्फ रकम बरामदगी के आधार पर कैशियर को आरोपी बनाया जाना न्यायोचित नहीं लगता.
कैशियर की संदिग्ध भूमिका
पूरे दिन जांच करने के बाद पुलिस ने देर रात प्रेस नोट जारी कर कैशियर को गिरफ्तार कर लिए जाने की बात कही है. इस विषय में एसपी अभिषेक मीणा का कहना है कि जिन परिस्थितियों में रकम कैशियर से बरामद की गई है, उससे यह साफ होता है कि कैशियर की भूमिका संदिग्ध है, और कुछ न कुछ सुनियोजित होने की बात भी तय है. उन्होंने कहा कि जांच अभी जारी है, अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.