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SPECIAL: कोरोना संकट में यात्री नहीं मिलने से बस संचालक बेबस, सरकार से मदद की आस

कोरबा में एक बार फिर बसों के पहिए थम गए हैं. राज्य सरकार से अनुमति मिलने के बाद बसों का संचालन तो शुरू हुआ लेकिन यात्री नहीं मिल पाने के कारण बस संचालकों ने बस नहीं चलाने का फैसला किया है. बस संचालकों ने सरकार से रियायत देने की मांग की है.

bus is not running in korba
कोरबा में नहीं चल रही बसें
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Published : Jul 15, 2020, 7:09 PM IST

कोरबा: कोरोना संकट के बीच अनलॉक के दौरान सरकार ने अंतर्राज्यीय बस संचालन की इजाजत दी है. 5 जुलाई से बसों के संचालन की अनुमति मिली है. लेकिन संक्रमण के डर से लोग अपने घरों से कम निकल रहे हैं. हाल ये है कि कम दूरी हो या लंबा सफर, यात्रियों की कम संख्या की वजह से कुछ किलोमीटर के लिए भी पेट्रोल-डीजल का खर्च नहीं निकल पा रहा है. लिहाजा बस मालिकों ने एक बार फिर संचालन बंद रखने का फैसला लिया है.

फिर थमें बसों के पहिए.

जीरो आमदनी और ज्यादा खर्च की वजह से निजी बस ऑपरेटर्स बस चलाने के लिए तैयार नहीं है और न ही सरकार द्वारा ठेका में चलाई जाने वाली बसें चल रही हैं. कोरोना संकट के बीच वर्तमान स्थिति में सार्वजनिक परिवहन के सभी साधन पूरी तरह से बंद हैं. आलम ये है कि जिले के 48 बसों में केवल दो बसों का ही संचालन हो पा रहा है.

नहीं मिल रहे यात्री

राज्य सरकार के निर्देशानुसार बस संचालक पूरे नियमों का पालन करते हुए बस चला रहे हैं. इसके बाद भी उन्हें सवारी नहीं मिल पा रही है. जाहिर सी बात है कोरोना संक्रमण के डर की वजह से लोग सार्वजनिक वाहनों में सफर से बच रहे हैं. प्रोटोकॉल का पालन करते हुए यात्रियों को बस में बैठाया जा रहा है. खर्च इतना भी नहीं निकल पा रहा है कि ड्राइवर और कंडक्टर को तनख्वाह दी जा सके. ऐसे हाल में निजी बस ऑपरेटर और सिटी बस का संचालन करने वाली संस्था दोनों ने ही शासन से रियायत मांगी है. यह मांगें शासन स्तर पर लंबित हैं. जिन पर कोई भी निर्णय अब तक नहीं हो सका है. इसी गतिरोध के बीच बसों का संचालन फंस गया है.

बस संचालन के लिए 13 मांगें रखी

सिटी बस का संचालन करने वाली सोसाइटी ने शासन से 13 बिंदुओं पर अपनी मांग रखी है, जिसमें सब्सिडी प्रदान करने के साथ ही कुछ रियायत मांगी गई है. अब जब तक इन मांगों को शासन स्तर तक मंजूरी नहीं मिल जाती, तब तक बसों का संचालन होना मुश्किल है.

पढ़ें- बस सवारियों की राह तक रही, सवारी बस का इंतजार कर रहे

निजी बस संचालकों का अपना राग

दूसरी तरफ निजी बस संचालक की अपनी डफली, अपना राग है. वे भी शासन से अतिरिक्त टैक्स माफी के साथ ही कुछ रियायत की मांग कर रहे हैं. बस संचालक कोरोना संकट के बीच हुए नुकसान की भरपाई करना चाहते हैं. इनकी मांगें शासन स्तर पर लंबित हैं.

48 में से चल रही सिर्फ 2 बसें

बात करें सिटी बसों की तो कोरबा जिले में सोसाइटी की कुल 48 सिटी बसें हैं. जिनका संचालन 11 रूटों पर किया जाता है. प्रशासन का दावा है कि 2 सिटी बसें अभी संचालित हो रही है. हालांकि वह भी सड़कों पर नहीं दिख रही. सवारी नहीं मिलना और मांग लंबित होने के कारण सिटी बसों का संचालन फिलहाल बंद ही है. तहसील से मुख्यालयों को जोड़ने के लिए सिटी बसों की तरह ही कोरबा जिले के नया बस स्टैंड से अंतर्राज्यीय और लंबी दूरी की निजी बसें भी संचालित होती रही हैं.

8 बसों का किया जा रहा संचालन

कोरबा जिले से प्रतिदिन लगभग 70 से 80 बसें विभिन्न गंतव्य के लिए रवाना होती हैं. प्रशासन का दावा है कि वर्तमान में तहसील मुख्यालयों को जिला मुख्यालय से जोड़ने के लिए 8 बसों का संचालन किया जा रहा है. बाकी बसें सवारी नहीं मिलने के कारण नहीं चल पा रही है.

कोरबा: कोरोना संकट के बीच अनलॉक के दौरान सरकार ने अंतर्राज्यीय बस संचालन की इजाजत दी है. 5 जुलाई से बसों के संचालन की अनुमति मिली है. लेकिन संक्रमण के डर से लोग अपने घरों से कम निकल रहे हैं. हाल ये है कि कम दूरी हो या लंबा सफर, यात्रियों की कम संख्या की वजह से कुछ किलोमीटर के लिए भी पेट्रोल-डीजल का खर्च नहीं निकल पा रहा है. लिहाजा बस मालिकों ने एक बार फिर संचालन बंद रखने का फैसला लिया है.

फिर थमें बसों के पहिए.

जीरो आमदनी और ज्यादा खर्च की वजह से निजी बस ऑपरेटर्स बस चलाने के लिए तैयार नहीं है और न ही सरकार द्वारा ठेका में चलाई जाने वाली बसें चल रही हैं. कोरोना संकट के बीच वर्तमान स्थिति में सार्वजनिक परिवहन के सभी साधन पूरी तरह से बंद हैं. आलम ये है कि जिले के 48 बसों में केवल दो बसों का ही संचालन हो पा रहा है.

नहीं मिल रहे यात्री

राज्य सरकार के निर्देशानुसार बस संचालक पूरे नियमों का पालन करते हुए बस चला रहे हैं. इसके बाद भी उन्हें सवारी नहीं मिल पा रही है. जाहिर सी बात है कोरोना संक्रमण के डर की वजह से लोग सार्वजनिक वाहनों में सफर से बच रहे हैं. प्रोटोकॉल का पालन करते हुए यात्रियों को बस में बैठाया जा रहा है. खर्च इतना भी नहीं निकल पा रहा है कि ड्राइवर और कंडक्टर को तनख्वाह दी जा सके. ऐसे हाल में निजी बस ऑपरेटर और सिटी बस का संचालन करने वाली संस्था दोनों ने ही शासन से रियायत मांगी है. यह मांगें शासन स्तर पर लंबित हैं. जिन पर कोई भी निर्णय अब तक नहीं हो सका है. इसी गतिरोध के बीच बसों का संचालन फंस गया है.

बस संचालन के लिए 13 मांगें रखी

सिटी बस का संचालन करने वाली सोसाइटी ने शासन से 13 बिंदुओं पर अपनी मांग रखी है, जिसमें सब्सिडी प्रदान करने के साथ ही कुछ रियायत मांगी गई है. अब जब तक इन मांगों को शासन स्तर तक मंजूरी नहीं मिल जाती, तब तक बसों का संचालन होना मुश्किल है.

पढ़ें- बस सवारियों की राह तक रही, सवारी बस का इंतजार कर रहे

निजी बस संचालकों का अपना राग

दूसरी तरफ निजी बस संचालक की अपनी डफली, अपना राग है. वे भी शासन से अतिरिक्त टैक्स माफी के साथ ही कुछ रियायत की मांग कर रहे हैं. बस संचालक कोरोना संकट के बीच हुए नुकसान की भरपाई करना चाहते हैं. इनकी मांगें शासन स्तर पर लंबित हैं.

48 में से चल रही सिर्फ 2 बसें

बात करें सिटी बसों की तो कोरबा जिले में सोसाइटी की कुल 48 सिटी बसें हैं. जिनका संचालन 11 रूटों पर किया जाता है. प्रशासन का दावा है कि 2 सिटी बसें अभी संचालित हो रही है. हालांकि वह भी सड़कों पर नहीं दिख रही. सवारी नहीं मिलना और मांग लंबित होने के कारण सिटी बसों का संचालन फिलहाल बंद ही है. तहसील से मुख्यालयों को जोड़ने के लिए सिटी बसों की तरह ही कोरबा जिले के नया बस स्टैंड से अंतर्राज्यीय और लंबी दूरी की निजी बसें भी संचालित होती रही हैं.

8 बसों का किया जा रहा संचालन

कोरबा जिले से प्रतिदिन लगभग 70 से 80 बसें विभिन्न गंतव्य के लिए रवाना होती हैं. प्रशासन का दावा है कि वर्तमान में तहसील मुख्यालयों को जिला मुख्यालय से जोड़ने के लिए 8 बसों का संचालन किया जा रहा है. बाकी बसें सवारी नहीं मिलने के कारण नहीं चल पा रही है.

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