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SPECIAL: सवालों के घेरे में कोरबा प्रशासन के 50 लाख का काढ़ा, अबतक शुरू नहीं हुई योजना

काढ़ा पिलाने के लिए आयुर्वेद विभाग को 50 लाख रुपये के भारी-भरकम राशि की स्वीकृति दी गई है. 50 लाख का काढ़ा बांटने की योजना को लेकर बीजेपी ने सवाल उठाए हैं. वहीं योजना पूरा करने का दावा कांग्रेस कर रही है. ETV भारत ने काढ़ा पिलाओ योजना को लेकर विशेष पड़ताल की है. देखिया कांग्रेस का काढ़ा पर ये विशेष रिपेर्ट...

BJP raised questions on plan to distribute kedha
काढ़ा बांटने की योजना पर उठे सवाल
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Published : Oct 8, 2020, 8:33 PM IST

कोरबा: प्रवासी मजदूरों, कोरोना के हल्के मरीजों और संभावित लक्षण वाले मरीजों को काढ़ा पिलाने के लिए जिला प्रशासन ने खनिज न्यास मद से 50 लाख रुपये का अनुमोदन लिया है. जून महीने में प्रभारी मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम की अध्यक्षता वाली जिला खनिज न्यास संस्थान की शासी परिषद की बैठक में काढ़ा पिलाने के लिए आयुर्वेद विभाग को 50 लाख रुपये के भारी-भरकम राशि की स्वीकृति दी गई है. अब इस राशि के खर्च को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

काढ़ा बांटने की योजना पर उठे सवाल

कोरोना काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं. इन्हीं में से एक उपाय काढ़ा के तौर पर उभर कर सामने आया था. आयुर्वेद चिकित्सकों ने इसे इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए बेहद उपयोगी करार दिया है. फिलहाल कई घरों में भी लोग सुबह-शाम काढ़ा बना रहे हैं. इसका सेवन भी कर रहे हैं. काढे़ की उपयोगिता को देखते हुए जिला प्रशासन ने खनिज न्यास के शासी परिषद में क्वॉरेंटाइन सेंटरों में ठहरे मजदूरों के साथ ही कोरोना के संभावित लक्षण और कोविड-19 अस्पतालों में भर्ती मरीजों को काढ़ा देने की योजना बनाई गई. जिसके लिए 50 लाख रुपयों का प्रावधान किया गया.

पढ़ें: गूगल पर नंबर सर्च कर कस्टमर केयर को किया कॉल, खाते से 94 हजार रुपये हुए पार

योजना हुई देरी तो उठे सवाल

50 लाख की राशि को काढ़ा बनाकर वितरित करने की प्रक्रिया में भी काफी देर हो चुकी है. क्वॉरेंटाइन सेंटर फिलहाल खाली हो चुके हैं. प्रवासी मजदूर ने भी क्वॉरेंटाइन अवधि पूरी कर घर लौट चुके हैं. हालांकि मरीजों की संख्या जरूर बढ़ रही है. लेकिन पॉजिटिव मरीजों को भी घर पर ही रहकर होम आइसोलेशन की अनुमति दी जाने लगी है. जिले में ज्यादातर कोरोना पॉजिटिव मरीज घर पर रहकर ही होम आइसोलेशन के नियमों का पालन कर रहे हैं.

ऐसे में यदि काढ़ा पिलाने की योजना को साकार करना है तो आयुर्वेद विभाग और प्रशासन को मरीज और संभावित लक्षण वाले मरीजों तक पहुंच कर उन्हें काढ़ा पिलाना होगा. जो कि कोरोना काल के दौर में व्यावहारिक तौर पर संभव नहीं लगता है. ऐसे में काढ़ा पिलाने वाली प्रशासन के इस योजना पर सवाल उठ रहे हैं.

विधायक प्रतिनिधि ने उठाए सवाल

रामपुर विधायक ननकीराम कंवर के विधायक प्रतिनिधि अनिल चौरसिया ने इस योजना पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि 'हमारे बहुत से पहचान के लोग क्वॉरेंटाइन सेंटरों में ठहरे थे. कई लोग ऐसे हैं जो पॉजिटिव आए जिन्हें कोविड-19 अस्पताल में भर्ती किया गया. कई लोगों से बात की गई लेकिन किसी को भी निशुल्क काढ़ा पिलाए जाने की कोई सूचना आजतक नहीं मिली है. काढ़ा पिलाना तो दूर क्वॉरेंटाइन सेंटरों में कई तरह की अवस्थाएं थी. अब भी किसी को भी निशुल्क काढ़ा नहीं दिया जा रहा है, काढ़ा पिलाने के लिए खनिज न्यास से 50 लाख रुपए की राशि सिर्फ और सिर्फ बंदरबांट के लिए स्वीकृत कराई गई है, हम इसकी शिकायत भी करेंगे और इसमें ठोस कार्रवाई होनी चाहिए.'

पढ़ें: भाजपा का एक दिवसीय धरना प्रदर्शन, विक्रम उसेंडी ने भूपेश सरकार पर लगाए आरोप

डॉक्टर ने माना 50 लाख काढ़े के लिए बड़ी रकम

निजी आयुर्वेद चिकित्सक डॉक्टर नागेंद्र शर्मा कहते हैं, 'काढ़ा निश्चित तौर पर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर है. दुकानों में रेडीमेड काढ़ा भी मिलता है. घर पर इसे तुलसी, काली मिर्च, दालचीनी और सोंठ के साथ ही स्वाद के लिए गुड़ मिलाकर बनाया जा सकता है. काढ़े की विधी जानने के लिए लोगों के लगातार फोन आते रहते हैं. वो काढ़ा बनाने की विधि पूछते हैं. सरकारी अस्पतालों से भी लोग मेरे पास आते हैं, लेकिन किसी ने भी निशुल्क काढ़े की बात नहीं कही है. यदि 50 लाख रुपए प्रशासन ने स्वीकृत किए हैं. तो इसकी उपयोगिता कहीं भी दिख नहीं रही है. यह सीधे तौर पर गड़बड़ी की ओर इशारा करता है. 50 लाख रुपए काढ़े के लिए बहुत ज्यादा रकम है. आयुष मंत्रालय के जारी-निर्देश के अनुसार एक व्यक्ति को सुबह शाम 3-3 ग्राम काढ़ा दिया जाता है.'

अधिकारी ने कहा पिलाएंगे काढ़ा
जिला आयुर्वेद अधिकारी टीआर राठिया ने काढ़ा पिलाने वाली योजना को लेकर कहा कि क्वॉरेंटाइन सेंटर तो फिलहाल खाली हैं मरीज होम आइसोलेशन में हैं. मजदूरों की संख्या कम हो गई है. इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को भी दी गई है. जैसे ही काढ़ा को लेकर दिशा-निर्देश मिलेंगे. काम शुरू किया जाएगा. व्यवस्था बनाकर काढ़ा पिलाया जाएगा.

पढ़ें: अंग्रेजों ने भी नहीं जलाया रात में बहू बेटियों का शव: शिवकुमार डहरिया

लगभग 15 हजार मजदूर वापस लौटे
जिले में लगभग 15 हजार मजदूर अन्य जिलों से लौटे थे. जिन्होंने जिले के क्वॉरेंटाइन सेंटरों में क्वॉरेंटाइन की अवधि पूरी की और अब वह घर लौट चुके हैं. क्वॉरेंटाइन सेंटरों में ठहरे मजदूरों को काढ़ा पिलाए जाने के विषय में फिलहाल कोई सूचना नहीं है.

पढ़ें: आखिर क्यों...तमतमा उठे नगरीय प्रशासन मंत्री शिव कुमार डहरिया

कांग्रेस महिला नेता का दावा घर-घर पहुंचेगा काढ़ा

कोरबा की महिला कांग्रेस नेता अर्चना उपाध्याय ने कहा कि जब कुछ अच्छा होने जाता है. विपक्षी उस पर सवाल खड़े करते हैं. उनका काम है सवाल उठाना और हमारा काम है काढ़ा पिलाना. उन्होंने कहा कि जब काढ़े को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया था. तब क्वॉरेंटाइन सेंटरों में मजदूर मौजूद थे. अब होम क्वॉरेंटाइन में रह रहे लोगों को काढ़ा पिलाया जाएगा.

कोरबा में 50 लाख का काढ़ा बांटने की योजना पूरा करने का दावा कांग्रेस कर रही है. बीजेपी की ओर से सवाल खड़े किए जा रहे हैं. निजी डॉक्टरों का कहना है कि 50 लाख में करोड़ों लोगों को काढ़ा पिलाया जा सकता है. अब देखना होगा कि आखिर काढ़ा लोगों के घरों तक कब पहुंचता है. और कोरोना के मरीजों को इससे कितना लाभ मिलता है.

कोरबा: प्रवासी मजदूरों, कोरोना के हल्के मरीजों और संभावित लक्षण वाले मरीजों को काढ़ा पिलाने के लिए जिला प्रशासन ने खनिज न्यास मद से 50 लाख रुपये का अनुमोदन लिया है. जून महीने में प्रभारी मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम की अध्यक्षता वाली जिला खनिज न्यास संस्थान की शासी परिषद की बैठक में काढ़ा पिलाने के लिए आयुर्वेद विभाग को 50 लाख रुपये के भारी-भरकम राशि की स्वीकृति दी गई है. अब इस राशि के खर्च को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

काढ़ा बांटने की योजना पर उठे सवाल

कोरोना काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं. इन्हीं में से एक उपाय काढ़ा के तौर पर उभर कर सामने आया था. आयुर्वेद चिकित्सकों ने इसे इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए बेहद उपयोगी करार दिया है. फिलहाल कई घरों में भी लोग सुबह-शाम काढ़ा बना रहे हैं. इसका सेवन भी कर रहे हैं. काढे़ की उपयोगिता को देखते हुए जिला प्रशासन ने खनिज न्यास के शासी परिषद में क्वॉरेंटाइन सेंटरों में ठहरे मजदूरों के साथ ही कोरोना के संभावित लक्षण और कोविड-19 अस्पतालों में भर्ती मरीजों को काढ़ा देने की योजना बनाई गई. जिसके लिए 50 लाख रुपयों का प्रावधान किया गया.

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योजना हुई देरी तो उठे सवाल

50 लाख की राशि को काढ़ा बनाकर वितरित करने की प्रक्रिया में भी काफी देर हो चुकी है. क्वॉरेंटाइन सेंटर फिलहाल खाली हो चुके हैं. प्रवासी मजदूर ने भी क्वॉरेंटाइन अवधि पूरी कर घर लौट चुके हैं. हालांकि मरीजों की संख्या जरूर बढ़ रही है. लेकिन पॉजिटिव मरीजों को भी घर पर ही रहकर होम आइसोलेशन की अनुमति दी जाने लगी है. जिले में ज्यादातर कोरोना पॉजिटिव मरीज घर पर रहकर ही होम आइसोलेशन के नियमों का पालन कर रहे हैं.

ऐसे में यदि काढ़ा पिलाने की योजना को साकार करना है तो आयुर्वेद विभाग और प्रशासन को मरीज और संभावित लक्षण वाले मरीजों तक पहुंच कर उन्हें काढ़ा पिलाना होगा. जो कि कोरोना काल के दौर में व्यावहारिक तौर पर संभव नहीं लगता है. ऐसे में काढ़ा पिलाने वाली प्रशासन के इस योजना पर सवाल उठ रहे हैं.

विधायक प्रतिनिधि ने उठाए सवाल

रामपुर विधायक ननकीराम कंवर के विधायक प्रतिनिधि अनिल चौरसिया ने इस योजना पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि 'हमारे बहुत से पहचान के लोग क्वॉरेंटाइन सेंटरों में ठहरे थे. कई लोग ऐसे हैं जो पॉजिटिव आए जिन्हें कोविड-19 अस्पताल में भर्ती किया गया. कई लोगों से बात की गई लेकिन किसी को भी निशुल्क काढ़ा पिलाए जाने की कोई सूचना आजतक नहीं मिली है. काढ़ा पिलाना तो दूर क्वॉरेंटाइन सेंटरों में कई तरह की अवस्थाएं थी. अब भी किसी को भी निशुल्क काढ़ा नहीं दिया जा रहा है, काढ़ा पिलाने के लिए खनिज न्यास से 50 लाख रुपए की राशि सिर्फ और सिर्फ बंदरबांट के लिए स्वीकृत कराई गई है, हम इसकी शिकायत भी करेंगे और इसमें ठोस कार्रवाई होनी चाहिए.'

पढ़ें: भाजपा का एक दिवसीय धरना प्रदर्शन, विक्रम उसेंडी ने भूपेश सरकार पर लगाए आरोप

डॉक्टर ने माना 50 लाख काढ़े के लिए बड़ी रकम

निजी आयुर्वेद चिकित्सक डॉक्टर नागेंद्र शर्मा कहते हैं, 'काढ़ा निश्चित तौर पर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर है. दुकानों में रेडीमेड काढ़ा भी मिलता है. घर पर इसे तुलसी, काली मिर्च, दालचीनी और सोंठ के साथ ही स्वाद के लिए गुड़ मिलाकर बनाया जा सकता है. काढ़े की विधी जानने के लिए लोगों के लगातार फोन आते रहते हैं. वो काढ़ा बनाने की विधि पूछते हैं. सरकारी अस्पतालों से भी लोग मेरे पास आते हैं, लेकिन किसी ने भी निशुल्क काढ़े की बात नहीं कही है. यदि 50 लाख रुपए प्रशासन ने स्वीकृत किए हैं. तो इसकी उपयोगिता कहीं भी दिख नहीं रही है. यह सीधे तौर पर गड़बड़ी की ओर इशारा करता है. 50 लाख रुपए काढ़े के लिए बहुत ज्यादा रकम है. आयुष मंत्रालय के जारी-निर्देश के अनुसार एक व्यक्ति को सुबह शाम 3-3 ग्राम काढ़ा दिया जाता है.'

अधिकारी ने कहा पिलाएंगे काढ़ा
जिला आयुर्वेद अधिकारी टीआर राठिया ने काढ़ा पिलाने वाली योजना को लेकर कहा कि क्वॉरेंटाइन सेंटर तो फिलहाल खाली हैं मरीज होम आइसोलेशन में हैं. मजदूरों की संख्या कम हो गई है. इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को भी दी गई है. जैसे ही काढ़ा को लेकर दिशा-निर्देश मिलेंगे. काम शुरू किया जाएगा. व्यवस्था बनाकर काढ़ा पिलाया जाएगा.

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लगभग 15 हजार मजदूर वापस लौटे
जिले में लगभग 15 हजार मजदूर अन्य जिलों से लौटे थे. जिन्होंने जिले के क्वॉरेंटाइन सेंटरों में क्वॉरेंटाइन की अवधि पूरी की और अब वह घर लौट चुके हैं. क्वॉरेंटाइन सेंटरों में ठहरे मजदूरों को काढ़ा पिलाए जाने के विषय में फिलहाल कोई सूचना नहीं है.

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कांग्रेस महिला नेता का दावा घर-घर पहुंचेगा काढ़ा

कोरबा की महिला कांग्रेस नेता अर्चना उपाध्याय ने कहा कि जब कुछ अच्छा होने जाता है. विपक्षी उस पर सवाल खड़े करते हैं. उनका काम है सवाल उठाना और हमारा काम है काढ़ा पिलाना. उन्होंने कहा कि जब काढ़े को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया था. तब क्वॉरेंटाइन सेंटरों में मजदूर मौजूद थे. अब होम क्वॉरेंटाइन में रह रहे लोगों को काढ़ा पिलाया जाएगा.

कोरबा में 50 लाख का काढ़ा बांटने की योजना पूरा करने का दावा कांग्रेस कर रही है. बीजेपी की ओर से सवाल खड़े किए जा रहे हैं. निजी डॉक्टरों का कहना है कि 50 लाख में करोड़ों लोगों को काढ़ा पिलाया जा सकता है. अब देखना होगा कि आखिर काढ़ा लोगों के घरों तक कब पहुंचता है. और कोरोना के मरीजों को इससे कितना लाभ मिलता है.

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