कोरबा : बैंकों के निजीकरण के विरोध में बैंककर्मी दो दिवसीय हड़ताल पर हैं. जिले में SBI मेन ब्रांच को मिलाकर 350 करोड़ रुपए के लेनदेन के प्रभावित होने की संभावना है. बैंक में सोमवार को चेक क्लीयरेंस के साथ ही रूटीन के लेनदेन पूरी तरह से बंद रहे. बैंककर्मियों का कहना है कि सरकार ने यदि बैंकों के निजीकरण पर रोक नहीं लगाई तो वह बड़ा आंदोलन करेंगे.
बैंककर्मियों का कहना है कि सरकारी योजनाओं की सफलता में सर्वाधिक भूमिका राष्ट्रीयकृत बैंकों की है. इनके जरिए कुल मिलाकर सरकार की साख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत हो रही है. इस स्थिति में एक बार फिर कुछ बैंकों को निजीकरण की ओर धकेलना समझ से परे और अव्यवहारिक है. ऑल इंडिया बैंकिंग एम्प्लाइज एसोसिएशन ने हड़ताल का आह्वान किया. सोमवार और मंगलवार को देश के सभी बैंकों में तालाबंदी की स्थिति है. कोरबा जिले में भी हड़ताल पूरी तरह प्रभावी रहा. देशव्यापी आह्वान पर बैंकों में बंदी की स्थिति के बीच कर्मियों ने प्रदर्शन किया. जिले में राष्ट्रीयकृत और निजी बैंकों की 100 से अधिक शाखाएं संचालित हैं, जिनमें 48 घंटे तक कोई काम नहीं होना है. पहले ही इस बारे में सर्व सामान्य को सूचनाएं जारी कर दी गई थी. उन्हें अपनी जरूरत पूरी करने को कहा गया था. हड़ताल के दिन बैंक के आसपास ज्यादा लोग नहीं दिखाई दिए.
टीपी नगर और निहारिका में प्रदर्शन
मांगों के समर्थन में बैंककर्मियों ने टीपी नगर और निहारिका क्षेत्र में एकत्र होकर प्रदर्शन किया. दो दिवसीय हड़ताल चार बैंकों को एक अप्रैल से निजी क्षेत्र में किये जाने को लेकर किया जा रहा है. जिन बैंकों का निजीकरण किया जाना है उनमें सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, महाराष्ट्र बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक शामिल हैं. इनके निजीकरण का हर स्तर पर विरोध किया जा रहा है. एसोसिएशन का दावा है कि दो दिन तक बैंकों के बंद रहने से अकेले कोरबा जिले में ही करोड़ों रुपये का लेनदेन सीधे तौर पर प्रभावित हो रहा है. ग्राहकों को इस अवधि में किसी तरह की परेशानी न होने पाए इसके लिए नगर, उपनगरीय क्षेत्रों सहित विभिन्न क्षेत्रों में स्थित एटीएम में पर्याप्त कैश की व्यवस्था की गई है.
इन बैंकों में जनधन योजना के 97 फीसदी खाते
बैंकिंग एसोसिएशन के अनुसार सरकार की जन सामान्य के लिए चलाई जा रही अधिकांश आर्थिक योजनाओं की सफलता कुल मिलाकर राष्ट्रीयकृत बैंकों के आधार पर ही तय हो रही है. प्रधानमंत्री जनधन योजना के 97 फीसदी खाते इन्हीं बैंकों ने खोले हैं. जबकि 3 फीसदी खाते खोलने का काम निजी बैंक कर सकते हैं. प्रधानमंत्री मुद्रा लोन के मामले में राष्ट्रीयकृत बैंकों ने 90 फीसदी की सहभागिता दर्ज कराई है.