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EXCLUSIVE: कोरबा के लिए अभिशाप बना बालको का राखड़ डैम, हसदेव के अस्तित्व पर भी खतरा - रुकबहरी गांव

कोरबा जिले के रुकबहरी गांव में बालको का राखड़ डैम लोगों के लिए मुसीबत बन गया है. राखड़ डैम से जहां खेत बर्बाद हो रहे हैं, वहीं हसदेव नदी का पानी भी प्रदूषित हो रहा है.

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बालको का राखड़ डैम
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Published : Aug 1, 2020, 1:58 PM IST

कोरबा: राख यूटिलाइजेशन के मामले में जिले के लगभग सभी प्लांट फिसड्डी साबित हो रहे हैं. खासतौर पर बालको कंपनी राख यूटिलाइजेशन तो दूर राखड़ डैम का भी उचित तरह से संधारण नहीं कर पा रही है. जिसके कारण बरसात के मौसम में हर साल डैम के तटबंध टूट जाते हैं और इसका खामियाजा स्थानीय लोगों को तो उठाना पड़ ही रहा है, हसदेव नदी के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है.

बालको का राखड़ डैम बना मुसीबत

छोटे-बड़े कुल मिलाकर कोरबा जिले में दर्जन भर पावर प्लांट हैं. जहां से हर दिन 2 लाख टन राख उत्सर्जित होती है. बालको पावर प्लांट के राखड़ डैम क्रमांक 6 के पास रुकबहरी गांव बसा हुआ है. राखड़ डैम बनाते समय इस गांव के बाहर की जमीन अधिग्रहित की गई. यहां स्थित बेलगारी नाला या रुकबहरी नाले से ये राख बालको क्षेत्र के नेहरू नगर होते हुए आजाद नगर के पास एक और बारहमासी नाला ढेंगुरनाला में आकर मिलती है. यहीं ढेंगुरनाला कुछ दूरी पर जाकर हसदेव नदी में समाहित हो जाता है. जिससे हसदेव नदी में राख समाहित हो रही है और नदी की सिल्ट बढ़ रही है.

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बारिश में मिट्टी कटाव से बह रही राख

राख बहने से ग्रामीण भी परेशान
बालको का ये राखड़ डैम नगर निगम की सीमा से होते हुए ग्राम पंचायत की सीमा तक फैला हुआ है. इसलिए इससे नेहरू नगर के आसपास के लोगों के साथ ही रुकबहरी गांव के ग्रामीण भी खासे परेशान रहते हैं. उनका कहना है कि बरसात के मौसम में हर साल उन्हें इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है. पिछले 10 सालों से लगभग यहां के हालात ऐसे ही हैं. राखड़ का उचित प्रबंधन नहीं किए जाने से उनके खेत बर्बाद हो रहे हैं.

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हसदेव नदी में जा रही राख

पढ़ें: SPECIAL: फूटू की राजधानी रायपुर बढ़ी डिमांड, लेकिन लॉकडाउन ने बिगाड़ा व्यापार

पॉलिथीन बिछाकर की जा रही मरम्मत
बारिश होने से बालको का राखड़ डैम मिट्टी के कटाव से खोखला हो रहा है. मिट्टी कटाव के कारण राख बहकर रिहायशी इलाकों तक पहुंच रही है. इस मिट्टी कटाव को रोकने के लिए बालको पॉलिथीन बिछाकर डैमज कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा है. निजी कंपनी को ठेके पर मरम्मत का काम आवंटित किया गया है, लेकिन ये मरम्मत कितनी टिकाऊ है और कितनी कारगर रहती है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

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राखड़ डैम को पॉलिथीन से ढकने की कोशिश

पुल टूटने से समस्या हुई दोगुनी
जिस स्थान पर वर्तमान में बालको द्वारा मरम्मत का काम कराया जा रहा है. वहां पर ग्राम रुकबहरी के पास एक लागून हुआ करता था. जिसमें अत्यधिक पानी भर जाने के कारण ग्रामीण परेशान हो गए और पानी को बाहर निकालने के लिए यहां बने पुल को तोड़ दिया. इसकी वजह से समस्या और भी दोगुनी हो गई है.

पढ़ें: रायपुर: केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी की दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के साथ हुई बैठक

न बालको ले रहा सुध, न ही पर्यावरण विभाग

बालको कंपनी द्वारा प्राकृतिक संपदा को नुकसान पहुंचाने का ये कोई नया मामला नहीं है. नियमित अंतराल पर इस तरह की शिकायतें मिलती रहती है, लेकिन न तो बालको कोई ठोस इंतजाम कर रहा है और न ही पर्यावरण विभाग कोई कड़ी कार्रवाई कर रहा है.

यूथ कांग्रेस ने पर्यावरण मंत्री को लिखा पत्र
इस मामले में यूथ कांग्रेस के जिला महासचिव मधुसूदन दास ने छत्तीसगढ़ राज्य के पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर को पत्र लिखा है. पत्र में इस बात का उल्लेख है कि बालको कंपनी की तरफ से लगातार पर्यावरण नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है. राखड़ बांध टूटने के कारण ग्रामीण बेहद परेशान हैं. मरम्मत भी ठीक ढंग से नहीं की जा रही है, तो दूसरी तरफ पर्यावरण विभाग भी मामले में मौन है. इधर, कांग्रेस कार्यकर्ता ने बालको और पर्यावरण विभाग के अधिकारी के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की है.

जरूरत पड़ी तो जारी करेंगे डायरेक्शन
मामले में बालको प्रबंधन का कोई पक्ष नहीं मिल सका है. जबकि पर्यावरण संरक्षण मंडल कोरबा के साइंटिस्ट राजेंद्र वासुदेव ने बताया कि इस समस्या की जानकारी है. हाल ही में बालको के खिलाफ रुकबहरी के ग्रामीणों ने शिकायत की थी. जिसके बाद राखड़ डैम क्रमांक 6 का निरीक्षण कर मरम्मत कार्य का भी जायजा लिया गया. उन्होंने कहा कि समस्या बढ़ने पर दोबारा जांच कर बालको कंपनी को डायरेक्शन जारी किया जाएगा.

कोरबा: राख यूटिलाइजेशन के मामले में जिले के लगभग सभी प्लांट फिसड्डी साबित हो रहे हैं. खासतौर पर बालको कंपनी राख यूटिलाइजेशन तो दूर राखड़ डैम का भी उचित तरह से संधारण नहीं कर पा रही है. जिसके कारण बरसात के मौसम में हर साल डैम के तटबंध टूट जाते हैं और इसका खामियाजा स्थानीय लोगों को तो उठाना पड़ ही रहा है, हसदेव नदी के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है.

बालको का राखड़ डैम बना मुसीबत

छोटे-बड़े कुल मिलाकर कोरबा जिले में दर्जन भर पावर प्लांट हैं. जहां से हर दिन 2 लाख टन राख उत्सर्जित होती है. बालको पावर प्लांट के राखड़ डैम क्रमांक 6 के पास रुकबहरी गांव बसा हुआ है. राखड़ डैम बनाते समय इस गांव के बाहर की जमीन अधिग्रहित की गई. यहां स्थित बेलगारी नाला या रुकबहरी नाले से ये राख बालको क्षेत्र के नेहरू नगर होते हुए आजाद नगर के पास एक और बारहमासी नाला ढेंगुरनाला में आकर मिलती है. यहीं ढेंगुरनाला कुछ दूरी पर जाकर हसदेव नदी में समाहित हो जाता है. जिससे हसदेव नदी में राख समाहित हो रही है और नदी की सिल्ट बढ़ रही है.

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बारिश में मिट्टी कटाव से बह रही राख

राख बहने से ग्रामीण भी परेशान
बालको का ये राखड़ डैम नगर निगम की सीमा से होते हुए ग्राम पंचायत की सीमा तक फैला हुआ है. इसलिए इससे नेहरू नगर के आसपास के लोगों के साथ ही रुकबहरी गांव के ग्रामीण भी खासे परेशान रहते हैं. उनका कहना है कि बरसात के मौसम में हर साल उन्हें इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है. पिछले 10 सालों से लगभग यहां के हालात ऐसे ही हैं. राखड़ का उचित प्रबंधन नहीं किए जाने से उनके खेत बर्बाद हो रहे हैं.

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हसदेव नदी में जा रही राख

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पॉलिथीन बिछाकर की जा रही मरम्मत
बारिश होने से बालको का राखड़ डैम मिट्टी के कटाव से खोखला हो रहा है. मिट्टी कटाव के कारण राख बहकर रिहायशी इलाकों तक पहुंच रही है. इस मिट्टी कटाव को रोकने के लिए बालको पॉलिथीन बिछाकर डैमज कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा है. निजी कंपनी को ठेके पर मरम्मत का काम आवंटित किया गया है, लेकिन ये मरम्मत कितनी टिकाऊ है और कितनी कारगर रहती है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

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राखड़ डैम को पॉलिथीन से ढकने की कोशिश

पुल टूटने से समस्या हुई दोगुनी
जिस स्थान पर वर्तमान में बालको द्वारा मरम्मत का काम कराया जा रहा है. वहां पर ग्राम रुकबहरी के पास एक लागून हुआ करता था. जिसमें अत्यधिक पानी भर जाने के कारण ग्रामीण परेशान हो गए और पानी को बाहर निकालने के लिए यहां बने पुल को तोड़ दिया. इसकी वजह से समस्या और भी दोगुनी हो गई है.

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न बालको ले रहा सुध, न ही पर्यावरण विभाग

बालको कंपनी द्वारा प्राकृतिक संपदा को नुकसान पहुंचाने का ये कोई नया मामला नहीं है. नियमित अंतराल पर इस तरह की शिकायतें मिलती रहती है, लेकिन न तो बालको कोई ठोस इंतजाम कर रहा है और न ही पर्यावरण विभाग कोई कड़ी कार्रवाई कर रहा है.

यूथ कांग्रेस ने पर्यावरण मंत्री को लिखा पत्र
इस मामले में यूथ कांग्रेस के जिला महासचिव मधुसूदन दास ने छत्तीसगढ़ राज्य के पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर को पत्र लिखा है. पत्र में इस बात का उल्लेख है कि बालको कंपनी की तरफ से लगातार पर्यावरण नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है. राखड़ बांध टूटने के कारण ग्रामीण बेहद परेशान हैं. मरम्मत भी ठीक ढंग से नहीं की जा रही है, तो दूसरी तरफ पर्यावरण विभाग भी मामले में मौन है. इधर, कांग्रेस कार्यकर्ता ने बालको और पर्यावरण विभाग के अधिकारी के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की है.

जरूरत पड़ी तो जारी करेंगे डायरेक्शन
मामले में बालको प्रबंधन का कोई पक्ष नहीं मिल सका है. जबकि पर्यावरण संरक्षण मंडल कोरबा के साइंटिस्ट राजेंद्र वासुदेव ने बताया कि इस समस्या की जानकारी है. हाल ही में बालको के खिलाफ रुकबहरी के ग्रामीणों ने शिकायत की थी. जिसके बाद राखड़ डैम क्रमांक 6 का निरीक्षण कर मरम्मत कार्य का भी जायजा लिया गया. उन्होंने कहा कि समस्या बढ़ने पर दोबारा जांच कर बालको कंपनी को डायरेक्शन जारी किया जाएगा.

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