कोरबा: प्रदेश में बीजेपी की सरकार के वक्त ही मेजर ध्यानचंद चौक से CSEB चौक तक की सड़क का निर्माण नगर निगम ने शुरू कराया था. लगभग 8 किलोमीटर लंबी इस फोरलेन सड़क की कुल लागत 36 करोड़ रुपये थी, लेकिन ठेकेदार ने बीच में ही काम बंद कर दिया.
हाल ही में कलेक्टर ने इसे लेकर नोटिस तो जरूर जारी किया है, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक पहल शुरू नहीं हुई है, इसकी वजह से सड़क निर्माण में तेजी आ सके, हालांकि इस सड़क का निर्माण मानसून के पहले ही पूरा किया जाना था, लेकिन अभी तक काम पूरा नहीं किया जा सका है.
प्रशासन ने डाली सड़क पर मिट्टी
फिलहाल प्रशासन की ओर से सड़कों पर मिट्टी जरूर डाली गई, लेकिन इससे समस्या का समाधान नहीं हुआ है. पहले सड़कों पर कीचड़ था, लेकिन अब इसमें से उड़ने वाली धूल ने किनारे पर बने घरों में रह रहे लोगों का जीना मुहाल कर दिया है.
बीजेपी ने साधा निशाना
सूबे की सत्ता अब बदल चुकी है, पहले जो विपक्ष में थे, वो अब सरकार में हैं. विपक्ष में रहने के दौरान कांग्रेस ने प्रदेश की सड़कों की खराब हालत को लेकर तत्कालीन सरकार पर जमकर हमला बोला था, लेकिन अब जब वो खुद सत्ता में है, तो उसके तेवर नर्म दिखाई दे रहे हैं.
सीएम ने किया था 30 करोड़ रुपये देने का ऐलान
बता दें कि 'हाल ही में सीएम भूपेश बघेल जब कोरबा के दौरे पर आए थे तो उन्होंने 30 करोड़ रुपये सड़क की मरम्मत के लिए देने का ऐलान किया था, लेकिन यह राशि कब मिलेगी इसका जवाब किसी के पास नहीं है. नगर निगम को क्षेत्र की सड़कों की मरम्मत के लिए 40 लाख रुपये मिले हैं, जो की एक तरह से ऊंट के मुंह में जीरे के समान हैं.
जर्जर हैं सड़कों के हालात
राजनीतिक दृष्टिकोण से कोरबा छत्तीसगढ़ का महत्वपूर्ण जिला है. राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल का गृह जिला होने के साथ ही जिले के 4 विधानसभा सीटों में से तीन कांग्रेस के विधायक हैं, नगर निगम में मेयर भी कांग्रेस की हैं, विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत यहां से सांसद है. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बाद भी सड़कों की स्थिति में अब तक कोई भी सुधार नहीं हो सका है.
निजी हाथों से केंद्र सरकार के खाते में गई सड़क
पहले यह सड़क निजी हाथों में थी और कंपनी इस पर चलने वाले वाहनों के चालकों से टोल टैक्स वसूल करती थी. 2 साल पहले यह निजी हाथों से निकलकर सीधे केंद्र सरकार की राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को चली गई. इसे राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित कर दिया गया, लेकिन स्थिति सुधारने की जगह और बिगड़ती चली गई. कुछ समय पहले प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर के आंदोलन के बाद प्रशासन ने इस 151 किलोमीटर सड़क की मरम्मत के लिए महज डेढ़ करोड़ रुपए दिए गए थे, इस तरह समझा जा सकता है कि गुणवत्तापूर्ण सड़क निर्माण हर एक किलोमीटर के लिए लगभग 90 लाख रुपए की राशि की जरूरत होती है.
प्रदेश में खराब है सड़कों की हालत: सिंहदेव
जिले के दौरे पर पहुंचे प्रदेश के स्वास्थ्य और पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव भी खुद स्वीकार कर चुके हैं कि सीएम की ओर से दी गई 30 करोड़ की राशि सड़कों की सूरत बदलने के लिए नाकाफी है. वो खुद भी यह कह चुके हैं कि, जरूरत बहुत ज्यादा की है. राष्ट्रीय राजमार्ग स्वीकृत होने के बाद यह पूरी सड़क NHI के खाते में चली गई है.
राजनीति के फेर में फंसी सड़क
चांपा से पाली तक की सड़कों को दो भाग में विभाजित कर NH-149B और NH- 111 का नाम दिया गया है. नियमानुसार इसकी मरम्मत और निर्माण के लिए फंड केद्र सरकार की ओर से दिया जाएगा. लेकिन छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद सरकार कांग्रेस की है और केंद्र में अब भी बीजेपी सत्ता में है. केंद्र और राज्य की राजनीति में यह सड़क फंस कर रह गई है.
ठेकेदार ने छोड़ा सड़क का निर्माण
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने से पहले ही मेजर ध्यानचंद चौक से लेकर CSEB चौक तक की सड़क का निर्माण नगर निगम ने शुरू कराया था. लगभग आठ किलोमीटर लंबी इस फोरलेन सड़क की कुल लागत 36 करोड़ रुपये है. इसके ठेकेदार ने भी काम बीच में बंद कर दिया है, हाल ही में कलेक्टर ने इसे नोटिस तो जरूर जारी किया है, लेकिन सड़क निर्माण के लिए अब तक कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई है, जिसकी वजह से सड़क निर्माण में तेजी आए.