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कोरबाः 'जहर' के कहर पर लगेगी लगाम, सरकारी अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध - एंटी स्नेक वेनम

जिले में 47 सरकारी अस्पताल हैं, जिसमें सभी अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम की दवाएं उपलब्ध रहती थी. इसके बाद भी अस्पताल में कई मौतें हो गई, लेकिन अब प्रशासन ने सभी डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिया है, जिससे मरीजों का सही इलाज हो सके.

'जहर' के कहर पर लगेगा लगाम
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Published : Jun 24, 2019, 10:47 PM IST

Updated : Jun 25, 2019, 3:10 PM IST

कोरबा: बरसात आते ही जमीन पर रेंगती मौत अपना कहर बरपाना शुरू कर देती है. ऐसे में कोरबा जिला वनांचल क्षेत्र होने की वजह से हर साल सर्पदंश से कई मौतें देखता है, लेकिन इस बार प्रशासन ने पूरे इंतजाम कर रखे हैं.

सरकारी अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध

डाक्टरों को नहीं था दवाइयों का ज्ञान
बता दें कि जिले में कुल 47 सरकारी अस्पताल हैं, जिसमें सभी अस्पतालों में दवाएं उपलब्ध रहती थी, लेकिन कई मौतें अस्पताल में इलाज न होने से हो गई, क्योंकि डाक्टरों को दवाइयों के उपयोग का तरीका पता नहीं था. दवाइयां तो अस्पतालों में भरपूर रहती थी, लेकिन उन दवाइयों का उपयोग नहीं किया जाता था, जिससे हर साल इलाज की कमी में लोग मर रहे थे.

सभी अस्पतालों में दवाइयां उपलब्ध
CMHO बीबी बोडे ने बताया कि जिले में कुल 47 सरकारी चिकित्सालय हैं. जिन्में हर साल एंटी स्नेक वेनम का स्टॉक पर्याप्त मात्रा में मौजूद रहता है. इसी तरह इस साल भी सभी अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम वाइल्स उपलब्ध करा दिया गया है. वहीं उन्होंने बताया कि वेयर हाउस के स्टाफ में 1455 मोबाइल्स रखे हुए हैं, जो वाइल्स की कमी होने पर काम आएंगे.

डॉक्टरों की लापरवाही से हुई कई मौतें
हैरान कर देने वाली बात तो ये है कि कई सालों से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टरों को एंटी स्नेक वेनम लगाना ही नहीं पता था और इनके लापरवाही से कई मासूमों की सर्पदंश से मौतें हो गई. वहीं प्रशासन ने इस बार सभी डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिया है, जिससे मरीजों को तुरंत इलाज मिल सके और उनकी जान बचाई जा सके.

कोरबा: बरसात आते ही जमीन पर रेंगती मौत अपना कहर बरपाना शुरू कर देती है. ऐसे में कोरबा जिला वनांचल क्षेत्र होने की वजह से हर साल सर्पदंश से कई मौतें देखता है, लेकिन इस बार प्रशासन ने पूरे इंतजाम कर रखे हैं.

सरकारी अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध

डाक्टरों को नहीं था दवाइयों का ज्ञान
बता दें कि जिले में कुल 47 सरकारी अस्पताल हैं, जिसमें सभी अस्पतालों में दवाएं उपलब्ध रहती थी, लेकिन कई मौतें अस्पताल में इलाज न होने से हो गई, क्योंकि डाक्टरों को दवाइयों के उपयोग का तरीका पता नहीं था. दवाइयां तो अस्पतालों में भरपूर रहती थी, लेकिन उन दवाइयों का उपयोग नहीं किया जाता था, जिससे हर साल इलाज की कमी में लोग मर रहे थे.

सभी अस्पतालों में दवाइयां उपलब्ध
CMHO बीबी बोडे ने बताया कि जिले में कुल 47 सरकारी चिकित्सालय हैं. जिन्में हर साल एंटी स्नेक वेनम का स्टॉक पर्याप्त मात्रा में मौजूद रहता है. इसी तरह इस साल भी सभी अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम वाइल्स उपलब्ध करा दिया गया है. वहीं उन्होंने बताया कि वेयर हाउस के स्टाफ में 1455 मोबाइल्स रखे हुए हैं, जो वाइल्स की कमी होने पर काम आएंगे.

डॉक्टरों की लापरवाही से हुई कई मौतें
हैरान कर देने वाली बात तो ये है कि कई सालों से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टरों को एंटी स्नेक वेनम लगाना ही नहीं पता था और इनके लापरवाही से कई मासूमों की सर्पदंश से मौतें हो गई. वहीं प्रशासन ने इस बार सभी डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिया है, जिससे मरीजों को तुरंत इलाज मिल सके और उनकी जान बचाई जा सके.

Intro:बरसात का मौसम आते ही जिले में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ने लगती हैं। वनांचल क्षेत्र होने की वजह से कोरबा जिला हर साल बरसात में सर्पदंश से कई मौतें देखता है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि जिला अस्पताल के अलावा अन्य स्वास्थ्य केंद्रों जय डॉक्टर एंटी स्नेक वेनम लगाने में प्रशिक्षित नहीं हैं।


Body:सीएमएचओ डॉक्टर बी बी बोडे ने बताया कि कुल 47 सरकारी चिकित्सालयों में दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। हर वर्ष एंटी स्नेक वेनम का स्टॉक पर्याप्त मात्रा में मौजूद रहता है। इस वर्ष भी जिला अस्पताल और अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में कुल 3028 एंटी स्नेक वेनम वाइल्स मौजूद हैं। इसके अलावा वेयर हाउस के स्टाफ में 1455 मोबाइल्स रखे हुए हैं जो वाइल्स की कमी होने पर काम आएंगे।
लेकिन एंटी स्नेक वेनम वाइल्स मौजूद रहने के बावजूद पीड़ितों को इलाज नहीं मिल पाता है। दूर ग्रामीण क्षेत्रों से सर्पदंश के पीड़ितों जिला अस्पताल लाना पड़ता है। डॉक्टर बोडे ने बताया पिछले साल तक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों के पास एंटी स्नेक वेनम लगाने का प्रशिक्षण नहीं था और वे घबराते थे। इस वजह से मरीजों को वहां इलाज नहीं मिल पाता था। इस बार सभी को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे मरीज को तुरंत इलाज मिल सके और उसकी जान बचाई जा सके।


Conclusion:डॉक्टरों का प्रशिक्षित नहीं होना अपने आप में एक बड़ी हैरान करने वाली बात है। हालांकि सीएमएचओ ने कहा है कि इस बार ये स्थिति उतपन्न नहीं होगी।

बाइट- डॉ बी बी बोडे, CMHO
Last Updated : Jun 25, 2019, 3:10 PM IST
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