कोरबा: छत्तीसगढ़ में विशेष पिछड़ी जनजाति की श्रेणी में शामिल पहाड़ी कोरवा और बिरहोर समुदाय को सरकारी नौकरी ((Adopted sons of President will get government jobs in Chhattisgarh) ) मिलेगी. इन्हें राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र का दर्जा दिया गया है. लेकिन उस स्तर की सुविधाओं से यह वंचित रह जाते हैं. लेकिन अब इनके अच्छे दिन आएंगे. जब पांचवी पास कोरवा और बिरहोर को भी कम से कम प्यून पद की सरकारी नौकरी दी जाएगी. इसकी कवायद जिला स्तर पर भी शुरू हो चुकी है. आदिवासी विभाग ने इनकी जनसंख्या का सर्वे शुरू कर दिया है. यह पता लगाया जा रहा है कि कहां कितने पढ़े-लिखे कोरवा और बिरहोर जनजाति के युवा निवासरत हैं. जिनका चिन्हांकन कर उन्हें उनके दरवाजे तक पहुंचा कर सरकारी नौकरी का प्रबंध किया जाएगा.
कोरबा जिले में संख्या 325: इस विषय में आदिवासी विकास विभाग की सहायक आयुक्त माया वारियर का कहना है, "शासन के सामान्य प्रशासन विभाग से हाल ही में निर्देश मिले हैं. जिसके अनुसार विशेष पिछड़ी जनजाति से आने वाले पहाड़ी कोरवा और बिरहोर समुदाय से आने वाले पढ़े-लिखे युवाओं को शत-प्रतिशत नौकरी से जोड़ा जाएगा. जिसकी पात्रता जैसी होगी, उसे उसके अनुसार नौकरी दी जाएगी. इसके लिए सीईओ जनपद पंचायत के माध्यम से सर्वे का कार्य शुरू कर दिया गया है. उन्हें चिन्हांकित भी किया जा रहा है. कोरबा जिले में पहाड़ी कोरवाओं की संख्या 254 है. जबकि बिरहोर की संख्या 71 है. इन सभी को सरकारी नौकरी जल्द प्रदान की जाएगी. इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है."
ये है नौकरी के लिए पात्रता: विशेष पिछड़ी जनजाति समुदाय से आने वाले कोरवा और बिरहोरों को सिर्फ पांचवी तक की शिक्षा प्राप्त करनी है. इसे न्यूनतम पात्रता माना गया है. यदि विशेष पिछड़ी जनजाति समुदाय आने वाला कोई युवक पांचवी पास भी है. तब भी उसे कम से कम भृत्य स्तर की नौकरी दी जाएगी. इसके अलावा यह सर्वे भी किया जा रहा है कि ऐसे युवाओं ने कितनी अधिकतम शिक्षा प्राप्त की है. इन सभी को उनकी पात्रता के अनुसार सरकार सरकारी नौकरी देने जा रही है.
यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में कैंसर बना मरीजों का रेफरल रैकेट, तीन वर्ष में 3 हजार से ज्यादा मौतें
मुख्यधारा से जुड़ेंगे विशेष पिछड़ी जनजाति के लोग : विशेष पिछड़ी जनजाति से आने वाले पहाड़ी कोरवा और बिरहोर अब भी मुख्यधारा से नहीं जोड़ा जा सका है. सरकर के लिए अब भी यह बड़ी चुनौती है कि वनांचल में रहने वाले जनजाति समुदाय के युवाओं को समाज की मुख्यधारा से कैसे जोड़ा जाए? इसी दिशा में सरकार अब एक ठोस पहल कर पढ़े-लिखे युवाओं को नौकरी का इंतजाम करने जा रही है.