कोरबाः देशभर में ऐसे कई बुजुर्ग व असमर्थ लोग हैं, जिनकी इच्छा खाटूश्याम या पटलीधाम (Patlidham to Khatudham) तक जाने की रहती है. हालांकि अपनी असमर्थता और परिस्थितियों के कारण वह अपनी श्रद्धा धाम (Sraddha dhaam) तक नहीं पहुंच पाते और उनके मन की आस मन में ही दफन हो जाती है. ऐसे लोगों के लिए एक 27 वर्षीय युवती ने एक बड़ा कदम उठाया है. राजस्थान (Rajsthan) की रहने वाली निक्की (Nikki) ने ऐसे बुजुर्गों के लिए निशानी यात्रा (Nishani yatra) शुरू की है.
निक्की अग्रवाल ने बताया कि उनकी यात्रा खाटूश्याम तक है. उन्होंने कहा कि वह एक महीने में इस यात्रा को पूरा करेंगे. उन्होंने कहा कि मेरी यात्रा का एक ही उद्देश्य है, जो बुजुर्ग श्याम प्रेमी है, जो पैदल चलकर यात्रा नहीं कर सकते हैं. जो अपने शरीर पर कष्ट नहीं झेल सकते हैं. यह यात्रा उन सभी के लिए है. इसल उनकी निशानी पहुंचाने का उद्देश्य लेकर वो पैदल खाटूश्याम की यात्रा कर रही है. निक्की ने 1400 किलोमीटर (1400 kilometer) की कठिन पदयात्रा शुरू की है. जो कि खाटू श्याम से शुरू होकर ओडिशा के पटलीधाम (Starting from Khatu Shyam, Patlidham of Orissa) में जाकर खत्म होगी.
श्याम मित्र मंडली ने किया भव्य स्वागत
इस यात्रा के दौरा बुधवार की शाम निक्की कोरबा पहुंची. जहां श्याम मित्र मंडली ने उनका भव्य स्वागत किया. बुजुर्गों से उनकी निशानी लेकर निक्की यहां से ओडिशा के लिए रवाना हो जाएंगी.वहीं, निक्की के स्वागत में लोगों की भारी भीड़ दिखी.
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महाभारत काल में जिक्र
महाभारत काल में बरबरीक के शौर्य का जिक्र है.ऐसी मान्यता है कि ओडिशा का पटलीधाम बरबरीक का निवास स्थान है.जहां वह साक्षात विराजमान हैं. अग्रवाल समाज में खाटू श्याम को आराध्य माना जाता है. राजस्थान के खाटू में श्याम का भव्य मंदिर है. जिसे खाटू श्याम कहा जाता है. इसके अलावा ओडिशा के पटली धाम में भी श्याम के साक्षात विराजमान होने की मान्यता है.
असमर्थ लोगों के लिए शुरू की यात्रा
निक्की का कहना है कि असमर्थ लोगों की श्रद्धा खाटू श्याम तक पहुंचाने के लिए ही उन्होंने यात्रा शुरू की है. वह लोगों से उनके निशान लेती है और जो भी वह मन्नत मांगते हैं. उसे वह बाबा के धाम तक पहुंचाने का काम कर रही हैं. इसके पहले भी वह दो बार इस तरह की यात्रा कर चुकी हैं. यह 1400 किलोमीटर के कठिन पदयात्रा है. निक्की की अगली मंजिल ओडिशा होगी.
जगह-जगह किया जा रहा है स्वागत
निक्की बताती हैं कि जो राजस्थान के निवासी हैं, उनकी इस यात्रा से अग्रवाल बंधुओं में खासा उत्साह है. जहां भी वो जातीं हैंं, उनका भव्य स्वागत किया जाता है. बुजुर्ग उन्हें अपनी मन्नत स्वरूप निशान देते हैं, जिसे लेकर वह आगे बढ़ जाते हैं. निक्की बचपन से ही इस तरह की यात्राएं कर रही हैं.