कोरबा : जिले में पर्यटन के साथ ही पुरातत्विक महत्व के अवशेष भी बिखरे पड़े हैं. जरूरत है तो इन्हें सहेजने की, ऐसा ही एक पुरातात्विक महत्व वाला दुर्लभ पंचमुखी शिवलिंग शहर के बीचो बीच स्थित है.पुराने शहर में रानी महल की अपनी ख्याति है. पुराने शहर की एक सड़क को ही रानी रोड कहा जाता है, जो सीधे रानी महल तक पहुंचती है. रानी ने अपना महल दान में दिया था, जहां अब केएन कॉलेज का संचालन होता है. पूर्व में रानी महल और वर्तमान में कॉलेज के पीछे एक दुर्लभ पंचमुखी शिव मंदिर है जो पुरातत्व के महत्व को अपने आप में समेटे हुए हैं.
1918 से पहले का स्थापित है पंचमुखी शिवलिंग
जिला पुरातत्व संग्रहालय में मार्गदर्शक हरिसिंह क्षत्रिय बताते हैं कि यह पंचमुखी शिवलिंग की स्थापना 1918 से पहले की अनुमानित है. उस समय कोरबा में राजपरिवार हुआ करता था और इस तरह के शिवलिंग की स्थापना मनोकामना की पूर्ति के बाद की जाती थी. राजपरिवार की मनोकामना पूर्ति के बाद इसे स्थापित कराया गया. इसके बाद राजगढ़ी महल मंदिर के ठीक पीछे इसे बनवाया गया जो राजपरिवार का महल हुआ करता था. कोरबा के राजघराना परिवार द्वारा स्थापित इस मंदिर के साथ ही पंचमुखी शिवलिंग को पर्याप्त संरक्षण की आवश्यकता है. नि:संदेह यह इकलौता पंचमुखी शिवलिंग है जो कोरबा के लिए गर्व का विषय भी है.
जिले में पर्यटन और पुरातत्व धरोहरों की भरमार
जिला पुरातात्विक महत्व के इतिहासों से परिपूर्ण है. यहां ऐतिहासिक मंदिरों का अपना ही महत्व है. पर्यटन की दृष्टि से भी कोरबा को नक्शे पर उभारने की विशेष कवायदें लगातार की जा रहीं हैं.लेकिन शिव मंदिर पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. ये मंदिर जिला ही नहीं बल्कि राज्य का इकलौता पंचमुखी शिवलिंग है.
कोरबा जिले के ग्राम कनकी में स्वयंभू (भुंईफोड़) शिवलिंग की प्राचीन महत्ता है. पाली में ऐतिहासिक 14वीं शताब्दी का शिव मंदिर शोभायमान है. महिषासुर मर्दिनी, कोसगाई देवी का पहाड़ पर स्थित मंदिर, तुमान का शिव मंदिर जैसे अनेक इतिहास को समेटने वाले इस जिले के कोरबा शहर में पंचमुखी शिवलिंग न सिर्फ आश्चर्य बल्कि आस्था और पर्याप्त संरक्षण की अपेक्षा रखता है.
यहां श्मशान के किनारे, नदी की अविरल धारा के बीच और पीपल की छांव में विराजे हैं बाबा भोलेनाथ
देवांगन पारा के पुरानी बस्ती में रानी रोड स्थित कमला नेहरू महाविद्यालय जो कि पूर्व में रानी धनराज कुंवर देवी का महल हुआ करता था. उसके ठीक पीछे हसदेव नदी के तट पर यह पंचमुखी शिवलिंग वाला मंदिर स्थापित है. नदी के ठीक दूसरे किनारे पर मां सर्वमंगला विराजमान हैं. कहा जाता है कि रानी महल के भीतर एक सुरंग है और इस सुरंग के रास्ते से होकर नदी के नीचे-नीचे मां सर्वमंगला मंदिर के निकट रास्ता निकलता है. राजपरिवार के लोग इस रास्ते से माता का दर्शन कर वापस महल लौटते थे. बताया जाता है कि पंचमुखी शिव मंदिर में एक और शिवलिंग है जो स्वयं भूमि से प्रकट हुआ है. यहां उस दौर की गणेश भगवान की मूर्ति भी स्थापित है.
सहेजने की उठ रही मांग
पुरानी बस्ती निवासी केशव साहू, सत्या जायसवाल, राहुल साहू आदि युवाओं और बस्ती के लोग इस मंदिर की देखरेख कर रहे हैं. जिला में डीएम का भारी-भरकम फंड होता है. स्थानीय लोग यह भी मांग कर रहे हैं कि पुरातत्व विभाग वाले इस पंचमुखी शिवलिंग मंदिर को नए सिरे से पुनर्स्थापित करें. ताकि अधिक से अधिक लोग इस दुर्लभ शिव मंदिर में आकर अपनी आस्था प्रकट कर सकें.