कोरबा: साल 2019 में जिले में सड़क दुर्घटनाओं से 225 लोगों की मौत हो गई है. ये आंकड़ा किसी नक्सल प्रभावित जिले में 1 साल के भीतर नक्सली हमलों में होने वाली मौत से कहीं अधिक है.आम लोगों की लापरवाही के साथ ही सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए व्यापक इंतजाम नहीं होने के कारण साल दर साल सड़क दुर्घटना में होने वाली मौत के आंकड़ों में इजाफा हो रहा है.
बीते साल सड़क हादसों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है. पुलिस ने सड़क हादसों के 673 प्रकरण दर्ज किए हैं. जिसमें 596 लोग घायल हुए. ये आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं जिनपर लगाम लगाने के सारे प्रयास विफल साबित हो रहे हैं.
जुलाई में सर्वाधिक 22 मौत
सड़क हादसों मे मौत के लिहाज से कोरबा बेहद संवेदनशील जिला है. औसतन हर महीने लगभग 20 लोगों की जान सड़क हादसों में चली जाती है. साल 2019 का जुलाई महीना सड़क हादसों के लिए सबसे खतरनाक रहा. इस महीने सबसे अधिक 22 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी.
औद्योगिक जिला होने का साइड इफेक्ट
औद्योगिक जिला होने के कारण कोरबा में भारी वाहनों का दबाव बना रहता है. वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है लेकिन सड़कों का विस्तार नहीं हो रहा है. जिले की बदहाल सड़कें भी काफी हद तक हादसों के लिए जिम्मेदार हैं.
दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने की कवायद जारी
सीएसपी खोमन लाल सिन्हा की मानें तो पुलिस सड़क हादसे को रोकने की दिशा में लगातार कार्रवाई कर रही है. भारी वाहनों से लेकर ओवर स्पीडिंग के लिए भी कार्रवाई की जा रही है लेकिन आम लोगों की लापरवाही भी दुर्घटना के लिए जिम्मेदार है. लिहाजा पुलिस जागरूकता अभियान चलाने की बात भी कह रही है.