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कोरबा में 2019 में सड़क हादसों में 225 लोगों की मौत - साल 2019 में सड़क दुर्घटना से 225 लोगों की मौत

कोरबा में साल 2019 में सड़क दुर्घटनाओं में 225 लोगों की मौत हो चुकी है और कई घायल हो चुके हैं. सड़क दुर्घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन प्रशासन दुर्घटनाओं को रोकने में विफल साबित हो रहा है.

225 killed in 1 year due to road accidents in korba
सड़क हादसों पर कब लगेगी लगाम
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Published : Jan 11, 2020, 2:01 PM IST

कोरबा: साल 2019 में जिले में सड़क दुर्घटनाओं से 225 लोगों की मौत हो गई है. ये आंकड़ा किसी नक्सल प्रभावित जिले में 1 साल के भीतर नक्सली हमलों में होने वाली मौत से कहीं अधिक है.आम लोगों की लापरवाही के साथ ही सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए व्यापक इंतजाम नहीं होने के कारण साल दर साल सड़क दुर्घटना में होने वाली मौत के आंकड़ों में इजाफा हो रहा है.

सड़क दुर्घटनाओं पर कब लगेगी लगाम ?

बीते साल सड़क हादसों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है. पुलिस ने सड़क हादसों के 673 प्रकरण दर्ज किए हैं. जिसमें 596 लोग घायल हुए. ये आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं जिनपर लगाम लगाने के सारे प्रयास विफल साबित हो रहे हैं.

जुलाई में सर्वाधिक 22 मौत

सड़क हादसों मे मौत के लिहाज से कोरबा बेहद संवेदनशील जिला है. औसतन हर महीने लगभग 20 लोगों की जान सड़क हादसों में चली जाती है. साल 2019 का जुलाई महीना सड़क हादसों के लिए सबसे खतरनाक रहा. इस महीने सबसे अधिक 22 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी.

औद्योगिक जिला होने का साइड इफेक्ट

औद्योगिक जिला होने के कारण कोरबा में भारी वाहनों का दबाव बना रहता है. वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है लेकिन सड़कों का विस्तार नहीं हो रहा है. जिले की बदहाल सड़कें भी काफी हद तक हादसों के लिए जिम्मेदार हैं.

दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने की कवायद जारी
सीएसपी खोमन लाल सिन्हा की मानें तो पुलिस सड़क हादसे को रोकने की दिशा में लगातार कार्रवाई कर रही है. भारी वाहनों से लेकर ओवर स्पीडिंग के लिए भी कार्रवाई की जा रही है लेकिन आम लोगों की लापरवाही भी दुर्घटना के लिए जिम्मेदार है. लिहाजा पुलिस जागरूकता अभियान चलाने की बात भी कह रही है.

कोरबा: साल 2019 में जिले में सड़क दुर्घटनाओं से 225 लोगों की मौत हो गई है. ये आंकड़ा किसी नक्सल प्रभावित जिले में 1 साल के भीतर नक्सली हमलों में होने वाली मौत से कहीं अधिक है.आम लोगों की लापरवाही के साथ ही सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए व्यापक इंतजाम नहीं होने के कारण साल दर साल सड़क दुर्घटना में होने वाली मौत के आंकड़ों में इजाफा हो रहा है.

सड़क दुर्घटनाओं पर कब लगेगी लगाम ?

बीते साल सड़क हादसों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है. पुलिस ने सड़क हादसों के 673 प्रकरण दर्ज किए हैं. जिसमें 596 लोग घायल हुए. ये आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं जिनपर लगाम लगाने के सारे प्रयास विफल साबित हो रहे हैं.

जुलाई में सर्वाधिक 22 मौत

सड़क हादसों मे मौत के लिहाज से कोरबा बेहद संवेदनशील जिला है. औसतन हर महीने लगभग 20 लोगों की जान सड़क हादसों में चली जाती है. साल 2019 का जुलाई महीना सड़क हादसों के लिए सबसे खतरनाक रहा. इस महीने सबसे अधिक 22 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी.

औद्योगिक जिला होने का साइड इफेक्ट

औद्योगिक जिला होने के कारण कोरबा में भारी वाहनों का दबाव बना रहता है. वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है लेकिन सड़कों का विस्तार नहीं हो रहा है. जिले की बदहाल सड़कें भी काफी हद तक हादसों के लिए जिम्मेदार हैं.

दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने की कवायद जारी
सीएसपी खोमन लाल सिन्हा की मानें तो पुलिस सड़क हादसे को रोकने की दिशा में लगातार कार्रवाई कर रही है. भारी वाहनों से लेकर ओवर स्पीडिंग के लिए भी कार्रवाई की जा रही है लेकिन आम लोगों की लापरवाही भी दुर्घटना के लिए जिम्मेदार है. लिहाजा पुलिस जागरूकता अभियान चलाने की बात भी कह रही है.

Intro:कोरबा। सड़क दुर्घटनाओं के लिहाज से बीता साल जिले के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण रहा। वर्ष 2019 में सड़क दुर्घटनाओं से जिले की सड़कें लाल होते रही हैं। जिसमें 225 लोगों की मौत हो गई है। यह आंकड किसी नक्सल प्रभावित जिले में 1 साल के भीतर नक्सली हमलों में होने वाली मौत से कहीं अधिक है।
आम लोगों की लापरवाही के साथ ही सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए व्यापक इंतजाम नहीं कर पाने के कारण साल दर साल सड़क दुर्घटना में होने वाले मौत के आंकड़ों में इजाफा हो रहा है।


Body:673 सड़क हादसे
बीते साल सड़क हादसों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। पुलिस ने सड़क हादसों के 673 प्रकरण दर्ज किया है। जिसमें 596 लोग घायल हुए, यह आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। जिनपर लगाम लगाने के सारे प्रयास विफल साबित हो रहे हैं।

जुलाई में सर्वाधिक 22 मौत
सडक हादसों मे मौत के लिहाज से कोरबा बेहद संवेदनशील जिला है। औसतन हर महीने लगभग 20 लोगों की जान सड़क हादसों में चली जाती है। वर्ष 2019 का जुलाई महीना सड़क हादसों के लिए सबसे खतरनाक रहा। इस महिने सबसे अधिक 22 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी।

औद्योगिक जिला होने का साइड इफेक्ट
औद्योगिक जिला होने के कारण कोरबा में भारी वाहनों का दबाव बना रहता है। सड़कों पर वाहनों का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। लड़के के अनुपात में सड़कों का विस्तार नहीं हो रहा है जिले की बदहाल सड़कें भी काफी हद तक हादसों के लिए जिम्मेदार हैं।


Conclusion:चल रही कार्रवाई
सीएसपी खोमन लाल सिन्हा की माने तो पुलिस सड़क हादसे को रोकने की दिशा में लगातार कार्रवाई कर रही है। भारी वाहनों से लेकर ओवर स्पीडिंग के लिए भी कार्रवाई की जा रही है, लेकिन आम लोगों की लापरवाही भी इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार है। जागरूकता अभियान चलाने की बात भी सीएसपी ने कही है।

बाइट
खोमन लाल सिन्हा, सीएसपी
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