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पति की लंबी उम्र की कामना के साथ सुहागनों ने रखा 'वट सावित्री' का व्रत

लॉकडाउन के बीच शुक्रवार को कोंडागांव की महिलाओं ने वट सावित्री का व्रत किया. सुहागनें वटवृक्ष के नीचे पूजा करती हुई नजर आईं.

Women kept Vat Savitri fast for long life of husband
वट सावित्री व्रत
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Published : May 23, 2020, 12:46 PM IST

कोंडागांव : हिन्दू धर्म में वट सावित्री के व्रत का खास महत्व है. इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा-अर्चना कर अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं. इस साल भी लॉकडाउन के बीच महिलाओं ने ये व्रत रखा और अपने पति की लंबी आयु और सेहत के लिए प्रार्थना की. महिलाओं ने देश से जल्द ही कोरोना वायरस का प्रकोप खत्म हो जाए, ये कामना भी की. इसके साथ ही परिवार की सुख-शांति के लिए उन्होंने वट सावित्री की पूजा की.

शुक्रवार को कोंडागांव की महिलाओं ने दिनभर उपवास रखा और वटवृक्ष की पूजा करती हुई नजर आईं. इस व्रत में महिलाओं ने बरगद पेड़ के चारों ओर घूमकर रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद मांग. वहीं सुहागनों ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर पति की लंबी उम्र की कामना की.

Women kept Vat Savitri fast for long life of husband
वट सावित्री व्रत

शांति का प्रतीक

वट सावित्री व्रत का महत्व दार्शनिक दृष्टि से भी है. दरअसल लंबी और अमरत्व बोध के साथ ही वट वृक्ष ज्ञान और शांति का प्रतीक माना जाता है. माना जाता है कि भगवान बुद्ध को इसी बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान मिला था. यही वजह है कि वट वृक्ष को पति की लंबी उम्र के लिए पूजना इस व्रत का अंग बना. महिलाएं व्रत रखकर पूजा करने के साथ-साथ वट वृक्ष के चारों तरफ परिक्रमा करते हुए सूत लपेटती हैं.

Women kept Vat Savitri fast for long life of husband
वट सावित्री व्रत

पुराणों के मुताबिक ये है मान्यताएं

वट सावित्री व्रत में 'वट' और 'सावित्री' दोनों का खास महत्व माना गया है. पीपल की तरह वट या बरगद के पेड़ का भी विशेष महत्व है. पुराणों की मानें तो वट वृक्ष मतलब बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है. माना जाता है कि वट सावित्री के व्रत के दिन बरगद पेड़ के नीचे बैठकर पूजन, व्रत करने और कथा सुनने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस व्रत में महिलाएं सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं.

पौराणिक मान्यता के मुताबिक वट सावित्री व्रत

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण बचाने के लिए इस व्रत को किया था. सावित्री से खुश होकर यमराज ने चने के रूप में सत्यवान के प्राण सौंपे थे. चने लेकर सावित्री सत्यवान के शव के पास आई और उसमें प्राण फूंक दिए. इस तरह सत्यवान जीवित हो गए, इसलिए वट सावित्री के पूजन में चने का भी उपयोग किया जाता है.

वट सावित्री व्रत से जुड़ी मान्यता

दूसरी कथा के मुताबिक, मार्कण्डेय ऋषि को भगवान शिव के वरदान से वट वृक्ष के पत्ते में पैर का अंगूठा चूसते हुए बाल मुकुंद के दर्शन हुए थे, तभी से वट वृक्ष की पूजा की जाती है. वट वृक्ष की पूजा से घर में सुख-शांति, धनलक्ष्मी का भी वास होता है. वट वृक्ष रोग नाशक भी है. वट का दूध कई बीमारियों से हमारी रक्षा करता है.

पढ़ें: वट सावित्री: बरगद की परिक्रमा कर महिलाएं कर रहीं पति की लंबी उम्र की कामना

पूजा की विधि

वट सावित्री और वट पूर्णिमा की पूजा बरगद के वृक्ष के नीचे होती है. एक बांस की टोकरी में सात तरह के अनाज रखे जाते हैं, जिसे कपड़े के दो टुकड़ों से ढंक दिया जाता है. एक दूसरी बांस की टोकरी में देवी सावित्री की प्रतिमा रखी जाती है. वट वृक्ष पर महिलाएं जल चढ़ाकर कुमकुम, अक्षत चढ़ाती हैं. फिर सूत के धागे से वट वृक्ष को बांधकर उसके सात चक्‍कर लगाती हैं. इसके बाद सभी महिलाएं मिलकर वट सावित्री की कथा सुनती हैं. इस दिन चने-गुड़ का प्रसाद वितरित किया जाता है.

कोंडागांव : हिन्दू धर्म में वट सावित्री के व्रत का खास महत्व है. इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा-अर्चना कर अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं. इस साल भी लॉकडाउन के बीच महिलाओं ने ये व्रत रखा और अपने पति की लंबी आयु और सेहत के लिए प्रार्थना की. महिलाओं ने देश से जल्द ही कोरोना वायरस का प्रकोप खत्म हो जाए, ये कामना भी की. इसके साथ ही परिवार की सुख-शांति के लिए उन्होंने वट सावित्री की पूजा की.

शुक्रवार को कोंडागांव की महिलाओं ने दिनभर उपवास रखा और वटवृक्ष की पूजा करती हुई नजर आईं. इस व्रत में महिलाओं ने बरगद पेड़ के चारों ओर घूमकर रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद मांग. वहीं सुहागनों ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर पति की लंबी उम्र की कामना की.

Women kept Vat Savitri fast for long life of husband
वट सावित्री व्रत

शांति का प्रतीक

वट सावित्री व्रत का महत्व दार्शनिक दृष्टि से भी है. दरअसल लंबी और अमरत्व बोध के साथ ही वट वृक्ष ज्ञान और शांति का प्रतीक माना जाता है. माना जाता है कि भगवान बुद्ध को इसी बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान मिला था. यही वजह है कि वट वृक्ष को पति की लंबी उम्र के लिए पूजना इस व्रत का अंग बना. महिलाएं व्रत रखकर पूजा करने के साथ-साथ वट वृक्ष के चारों तरफ परिक्रमा करते हुए सूत लपेटती हैं.

Women kept Vat Savitri fast for long life of husband
वट सावित्री व्रत

पुराणों के मुताबिक ये है मान्यताएं

वट सावित्री व्रत में 'वट' और 'सावित्री' दोनों का खास महत्व माना गया है. पीपल की तरह वट या बरगद के पेड़ का भी विशेष महत्व है. पुराणों की मानें तो वट वृक्ष मतलब बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है. माना जाता है कि वट सावित्री के व्रत के दिन बरगद पेड़ के नीचे बैठकर पूजन, व्रत करने और कथा सुनने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस व्रत में महिलाएं सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं.

पौराणिक मान्यता के मुताबिक वट सावित्री व्रत

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण बचाने के लिए इस व्रत को किया था. सावित्री से खुश होकर यमराज ने चने के रूप में सत्यवान के प्राण सौंपे थे. चने लेकर सावित्री सत्यवान के शव के पास आई और उसमें प्राण फूंक दिए. इस तरह सत्यवान जीवित हो गए, इसलिए वट सावित्री के पूजन में चने का भी उपयोग किया जाता है.

वट सावित्री व्रत से जुड़ी मान्यता

दूसरी कथा के मुताबिक, मार्कण्डेय ऋषि को भगवान शिव के वरदान से वट वृक्ष के पत्ते में पैर का अंगूठा चूसते हुए बाल मुकुंद के दर्शन हुए थे, तभी से वट वृक्ष की पूजा की जाती है. वट वृक्ष की पूजा से घर में सुख-शांति, धनलक्ष्मी का भी वास होता है. वट वृक्ष रोग नाशक भी है. वट का दूध कई बीमारियों से हमारी रक्षा करता है.

पढ़ें: वट सावित्री: बरगद की परिक्रमा कर महिलाएं कर रहीं पति की लंबी उम्र की कामना

पूजा की विधि

वट सावित्री और वट पूर्णिमा की पूजा बरगद के वृक्ष के नीचे होती है. एक बांस की टोकरी में सात तरह के अनाज रखे जाते हैं, जिसे कपड़े के दो टुकड़ों से ढंक दिया जाता है. एक दूसरी बांस की टोकरी में देवी सावित्री की प्रतिमा रखी जाती है. वट वृक्ष पर महिलाएं जल चढ़ाकर कुमकुम, अक्षत चढ़ाती हैं. फिर सूत के धागे से वट वृक्ष को बांधकर उसके सात चक्‍कर लगाती हैं. इसके बाद सभी महिलाएं मिलकर वट सावित्री की कथा सुनती हैं. इस दिन चने-गुड़ का प्रसाद वितरित किया जाता है.

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