कोंडागांव: कोरोना की मार हर क्षेत्र पर पड़ी है. कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है, जिस पर कोरोना महामारी का असर नहीं पड़ा हो. वहीं इस कोरोना काल में बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो इसके लिए शासकीय प्राथमिक शाला डोंगरीपारा में पदस्थ शिक्षक शैलेन्द्र कुमार ठाकुर ने कौशल को विकसित करने के उद्देश्य से 'रीडिंग कैंपेन' के तहत संकुल के PLC सदस्यों के साथ मिलकर 'पुस्तक वाचन' कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसमें बच्चों को पढ़ने के लिए पाठन सामग्री में विषय आधारित पुस्तकें, कहानी पुस्तकें,कॉमिक्स,अखबार उपलब्ध करवाई गई. इस महामारी के दौर में बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए शाला ग्राम से 9 शिक्षक सारथी बनाए गए हैं, जो बच्चो के पढ़ाई में मदद करते हैं.
शिक्षक शैलेन्द्र कुमार ठाकुर ने बताया कि रोजाना ऑनलाइन क्लास ली जाती है. ऑनलाइन क्लास में बच्चों के नहीं जुड़ पाने कि स्थिति में शिक्षक सारथियों का व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर ऑनलाइन क्लास को यूट्यूब लिंक के माध्यम से बच्चों तक शिक्षा पहुंचाई जा रही है, जिसमें बच्चों को काम भी दिए जाते हैं.
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वैश्विक महामारी ने पढ़ाई के पूरे पैटर्न को बदल दिया है. महामारी में यह भी डर है कि शैक्षणिक गतिविधियों के लिहाज से मौजूदा सत्र शून्य न हो जाए, पढ़ाई से कटने का सबसे ज्यादा डर प्राथमिक स्तर के उन छात्रों के लिए है, जिनके पूर्वज सदियों से बीहड़ वनांचलों में रहते आए हैं. इनके लिए सरकार भी चिंतित हैं, ऑनलाइन शिक्षा देने की योजना पर काम शुरू हुआ, लेकिन जहां बात करने तक के लिए मोबाइल फोन का नेटवर्क काम नहीं करता, वहां ऑनलाइन शिक्षा कैसे दी जाए. इन तमाम समस्यों के बीच शिक्षित युवक और युवतियों ने बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी ली है, जो मोहल्ला क्लास के जरिए बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं.
मोहल्ला क्लास के जरिए बच्चों को दी जा रही है शिक्षा
बता दें कि कोरोना संकट के बीच स्कूल भवन के उपयोग पर पाबंदी है. सरकार ने निर्देश जारी किए हैं कि ऑनलाइन माध्यम से बच्चों को शिक्षित किया जाए. लेकिन ग्रामीण अंचलों में नेटवर्क की कमी के कारण ये योजना दम तोड़ने लगी है. इसपर राज्य सरकार ने लाउडस्पीकर के जरिए बच्चों को शिक्षित करने की पहल की. लेकिन लाउडस्पीकर चलाने के लिए भी बिजली नहीं है. इन सब कोशिशों से हारकर शिक्षिकाओं ने मोहल्ला क्लास शुरू किया. शुरुआत में बच्चों का रुझान थोड़ा कम जरूर था, लेकिन अब बच्चे भी इसे पसंद कर रहे हैं.