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कोंडागांव: वन अधिकार पट्टे की मांग को लेकर ग्रामीणों ने कलेक्टर को दिया आवेदन

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Published : Oct 21, 2020, 12:09 PM IST

मंगलवार को कोंडागांव के चेरंग गांव के ग्रामीणों ने कलेक्टर, राज्यपाल और छत्तीसगढ़ शासन से वनाधिकार पट्टा देने की मांग को लेकर आवेदन सौंपा है. ग्रामीणों ने मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलन की चोतावनी दी है.

villagers demand for distribution of forest right lease
पट्टे की मांग को लेकर आवेदन

कोंडागांव: वनाधिकार पट्टा देने की मांग को लेकर ग्राम पंचायत और चेरंग गांव के 30 आदिवासी ग्रामीणों ने मंगलवार को कलेक्टर के साथ ही राज्यपाल अनुसुइया उइके और छत्तसगढ़ शासन को आवेदन दिया है. आवेदन पत्र में ग्रामीणों ने लिखा है कि वे सभी चेरंग गांव के रहने वाले हैं और मुरिया जाति से हैं. ग्रामीणों का कहना है कि वे गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले परिवार से हैं और आरक्षित वनभूमि पर 1980 के पहले से रह रहे हैं और अपना जीवनयापन कर रहे हैं.

villagers demand for distribution of forest right lease
पट्टे की मांग को लेकर आवेदन

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने वनवासियों को निवास और खेती के लिए वन अधिकार मान्यता प्रपत्र देने के लिए आवेदन पत्र मंगाया गया था. ग्रामीणों ने वन अधिकार समिति टेमरु गांव के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था. जिस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है और न ही किसी तरह की कोई जानकारी दी गई. बता दें कि ग्राम चेरंग के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बसे होने के कारण वन विभाग ने ग्रामीणों के खिलाफ कभी भी अतिक्रमण से संबंधित कोई प्रकरण पंजीबद्ध नहीं किया है और इसी कारण ग्रामीणों के पास कब्जे के संबंध में कोई दस्तावेज नहीं है.

पढ़ें:गलत तरीके से वन भूमि पट्टा के वितरण पर हंगामा, ग्रामीणों ने वन अधिकारी को सौंपा ज्ञापन

मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलन की दी चेतावनी

ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने पहले भी वनाधिकार पट्टे की मांग को लेकर आवेदन दिया था, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. जिसके बाद ग्रामीणों ने दोबारा आवेदन देकर पट्टे की मांग की है, ताकि वे बेफिक्र होकर अपनी जमीन पर खेती कर सकें. सीपीआई के नेता तिलक पांडे और बिरज नाग का कहना है कि चेरंग के साथ-साथ अंदरूनी क्षेत्रों में कई ऐसे गांव हैं, जहां के ग्रामीणों को अब तक वन अधिकार पट्टा नहीं मिल पाया है. ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार आवेदन के बाद भी अगर पट्टा नहीं दिया गया, तो वे सीपीआई के साथ मिलकर उग्र आंदोलन करेंगे.

कोंडागांव: वनाधिकार पट्टा देने की मांग को लेकर ग्राम पंचायत और चेरंग गांव के 30 आदिवासी ग्रामीणों ने मंगलवार को कलेक्टर के साथ ही राज्यपाल अनुसुइया उइके और छत्तसगढ़ शासन को आवेदन दिया है. आवेदन पत्र में ग्रामीणों ने लिखा है कि वे सभी चेरंग गांव के रहने वाले हैं और मुरिया जाति से हैं. ग्रामीणों का कहना है कि वे गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले परिवार से हैं और आरक्षित वनभूमि पर 1980 के पहले से रह रहे हैं और अपना जीवनयापन कर रहे हैं.

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पट्टे की मांग को लेकर आवेदन

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने वनवासियों को निवास और खेती के लिए वन अधिकार मान्यता प्रपत्र देने के लिए आवेदन पत्र मंगाया गया था. ग्रामीणों ने वन अधिकार समिति टेमरु गांव के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था. जिस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है और न ही किसी तरह की कोई जानकारी दी गई. बता दें कि ग्राम चेरंग के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बसे होने के कारण वन विभाग ने ग्रामीणों के खिलाफ कभी भी अतिक्रमण से संबंधित कोई प्रकरण पंजीबद्ध नहीं किया है और इसी कारण ग्रामीणों के पास कब्जे के संबंध में कोई दस्तावेज नहीं है.

पढ़ें:गलत तरीके से वन भूमि पट्टा के वितरण पर हंगामा, ग्रामीणों ने वन अधिकारी को सौंपा ज्ञापन

मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलन की दी चेतावनी

ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने पहले भी वनाधिकार पट्टे की मांग को लेकर आवेदन दिया था, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. जिसके बाद ग्रामीणों ने दोबारा आवेदन देकर पट्टे की मांग की है, ताकि वे बेफिक्र होकर अपनी जमीन पर खेती कर सकें. सीपीआई के नेता तिलक पांडे और बिरज नाग का कहना है कि चेरंग के साथ-साथ अंदरूनी क्षेत्रों में कई ऐसे गांव हैं, जहां के ग्रामीणों को अब तक वन अधिकार पट्टा नहीं मिल पाया है. ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार आवेदन के बाद भी अगर पट्टा नहीं दिया गया, तो वे सीपीआई के साथ मिलकर उग्र आंदोलन करेंगे.

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