कोंडागांव : जब आपकी परेशानियों को सुनने वाला कोई न हो, तो आप क्या करेंगे ? कितनों के पास जाकर गुहार लगाएंगे और कितनों से बार-बार फरियाद करेंगे? हजार बार कोशिश करने के बाद जब आप हिम्मत हारने लगते हैं, तब काम आता है आपका दृढ़ संकल्प और आपसे जुड़े लोगों का साथ और विश्वास.
जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत करमरी के ग्रामीणों ने इसी साथ और विश्वास के साथ मिलकर गांव की खराब सड़क को देखते हुए खुद ही सड़क बना डाली.
ग्राम पंचायत करमरी जो कि माकड़ी ब्लॉक में आता है, जिसकी आबादी लगभग एक हजार है. यहां बच्चों के लिए आंगनबाड़ी भी है. शिक्षा के क्षेत्र की सुविधाएं भी है. पेयजल की व्यवस्था भी ठीक-ठाक है, लेकिन नहीं है एक पक्की सड़क, जिसकी वजह से बरसात के दिनों में ग्रामीणों को आने-जाने सहित कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
बारिश के दिनों में होती है परेशानी
करमरी पंचायत के खालेपारा के ग्रामीणों की पिछले कई सालों से मांग रही है कि उनके क्षेत्र में जो सड़क है उसे दुरुस्त किया जाए, लेकिन इनकी अब तक किसी ने नहीं सुनी. अधिकतर ग्रामीणों का घर इसी रोड पर है और उनके खेत-खलिहान जाने का भी यही एक मात्र रास्ता है. इस सड़क के दोनों तरफ 20 से 25 घर हैं और बारिश के दिनों में ये क्षेत्र टापू सा बन जाता है.
13 ट्राली मुरुम मंगाकर की सड़क की मरम्मत
आने-जाने की दिक्कतों और खेत-खलिहानों तक जाने के लिए एकमात्र सड़क की उपयोगिता को देखते हुए ग्रामीणों ने स्वयं ही रापा-कुदाल निकाल और खुद के व्यय पर मुरुम मंगवाकर इस सड़क को संवारने का जिम्मा उठाया. अभी उन्होंने लगभग 13 ट्राली मुरुम मंगाकर समतलीकरण और मरम्मत का काम शुरू कर दिया है और उनका कहना है कि आगे भी बिना पंचायत की मदद से ही वो इस सड़क को दुरुस्त करेंगे.
सरपंच ने नहीं ली कोई सुध
यहां की महिला सरपंच बिना सोरी है और पंचायत का सारा काम उनके पति ही संभालते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार बताने पर भी सरपंच उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रही हैं.
मामले में ग्राम के कोटवार का कहना है कि सरपंच गांव के विकास कार्यों में बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते हैं. सड़क की मरम्मत के लिए उन्होंने ग्रामीणों के साथ मिलकर कई बार सरपंच को आवेदन दिया पर सरपंच-सचिव ने कभी भी इस तरफ ध्यान नहीं दिया.
पढ़ें- CM की जन चौपाल: किसी को चाहिए भवन तो किसी को सड़क, सभी को भूपेश का आश्वासन
सरपंच ने झाड़ा पल्ला
वहीं सरपंच पति बताते हैं कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. यदि ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर उनके पास आते, तो वे उनकी मांग जरूर पूरी करते.