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हर हर महादेव: छत्तीसगढ़ में यहां जोड़े में है शिवलिंग, ये है खास मान्यता

केशकाल विकासखंड में दो शिवलिंग एक साथ विराजित हैं. इन्हें जोड़ा शिवलिंग कहा जाता है. बताते हैं कि, दोनों शिवलिंग को जो अपनी बांहों में भरकर दोनों उंगलियों का स्पर्श कर लेता है, उसे पुण्यात्मा माना जाता है.

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Published : Feb 20, 2020, 5:04 AM IST

special story of two shivling from kondagaon
महाशिवरात्रि विशेष

कोंडागांव: केशकाल विकासखंड के गोबरहीन में वर्षों से भोलेनाथ भक्तों की मुराद पूरी कर रहे हैं. केशकाल को शिव की नगरी भी कहा जाता है. यहां बस्तर का एकमात्र जोड़ा शिवलिंग है. केशकाल नगर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम बटराली में राष्ट्रीय राजमार्ग के दाहिने ओर गोबरहीन का प्रवेश द्वार है. कुछ दूर चलने पर दाहिने ओर एक पहाड़ी पर विशालकाय शिवलिंग विरजमान है, जो कि वर्षों से श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है.

यहां विराजित है जोड़ा शिवलिंग

कहते हैं इन दोनों शिवलिंग को जो अपनी बांहों में भरकर दोनों उंगलियों का स्पर्श कर लेता है, उसे पुण्यात्मा माना जाता है. जानकार कहते हैं कि शिवलिंग खुले में विराजमान है और इसके ऊपर कोई निर्माण नहीं किया जा सकता है. शिवलिंग सैकड़ों साल पुराना बताया जाता है. हर साल यहां महाशिवरात्रि पर मेले का आयोजन होता है, जिसमें स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूर-दूर से भक्त आते हैं. इस शिवलिंग पर जो आकृतियां दिखती हैं, उस आधार पर लोग इसे चिन्हांकित करते हैं कि एक भगवान भोलेनाथ है और दूसरी माता पार्वती हैं.

special story of two shivling from kondagaon
नदी के तट पर स्थित है शिवलिंग

शिवलिंग को लेकर प्रचलित किस्सा

जानकारी के अनुसार यह स्थान मार्कण्डेय मुनि की तपोभूमि रही है. इस स्थान की एक मान्यता यह भी है कि कभी भी इस शिवलिंग के ऊपर कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता. कुछ साल पहले किसी ने एक रात निर्माण कार्य का प्रयास भी किया था, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया है. क्योंकि एक रात में मंदिर बन पाना संभव नहीं था और निर्माण कार्य अधूरा रह गया. बताया जाता है कि मंदिर बनाने वाले को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, जिसके बाद किसी ने दोबारा कोशिश नहीं की.

special story of two shivling from kondagaon
शिवलिंग

वर्तमान में पुरातत्व विभाग करता है देख-रेख

पिछले कुछ साल से यह स्थान अब पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आता है. विभाग ने शिवलिंग तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों का निर्माण कराया, जिससे दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को आसानी होती है.

यहां देखने को मिलता है बस्तर का एकमात्र शिवलिंग जोड़ा

महाशिवरात्रि के दिन यहां भी भक्तों का तांता लगा रहता है. हर साल लगने वाले मेले में दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं. सुबह से ही मंदिर में भक्तों का तांता लग जाता है. प्रशासन ने यहां लोगों के बैठने के लिए शेड लगवा दिया है.

कोंडागांव: केशकाल विकासखंड के गोबरहीन में वर्षों से भोलेनाथ भक्तों की मुराद पूरी कर रहे हैं. केशकाल को शिव की नगरी भी कहा जाता है. यहां बस्तर का एकमात्र जोड़ा शिवलिंग है. केशकाल नगर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम बटराली में राष्ट्रीय राजमार्ग के दाहिने ओर गोबरहीन का प्रवेश द्वार है. कुछ दूर चलने पर दाहिने ओर एक पहाड़ी पर विशालकाय शिवलिंग विरजमान है, जो कि वर्षों से श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है.

यहां विराजित है जोड़ा शिवलिंग

कहते हैं इन दोनों शिवलिंग को जो अपनी बांहों में भरकर दोनों उंगलियों का स्पर्श कर लेता है, उसे पुण्यात्मा माना जाता है. जानकार कहते हैं कि शिवलिंग खुले में विराजमान है और इसके ऊपर कोई निर्माण नहीं किया जा सकता है. शिवलिंग सैकड़ों साल पुराना बताया जाता है. हर साल यहां महाशिवरात्रि पर मेले का आयोजन होता है, जिसमें स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूर-दूर से भक्त आते हैं. इस शिवलिंग पर जो आकृतियां दिखती हैं, उस आधार पर लोग इसे चिन्हांकित करते हैं कि एक भगवान भोलेनाथ है और दूसरी माता पार्वती हैं.

special story of two shivling from kondagaon
नदी के तट पर स्थित है शिवलिंग

शिवलिंग को लेकर प्रचलित किस्सा

जानकारी के अनुसार यह स्थान मार्कण्डेय मुनि की तपोभूमि रही है. इस स्थान की एक मान्यता यह भी है कि कभी भी इस शिवलिंग के ऊपर कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता. कुछ साल पहले किसी ने एक रात निर्माण कार्य का प्रयास भी किया था, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया है. क्योंकि एक रात में मंदिर बन पाना संभव नहीं था और निर्माण कार्य अधूरा रह गया. बताया जाता है कि मंदिर बनाने वाले को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, जिसके बाद किसी ने दोबारा कोशिश नहीं की.

special story of two shivling from kondagaon
शिवलिंग

वर्तमान में पुरातत्व विभाग करता है देख-रेख

पिछले कुछ साल से यह स्थान अब पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आता है. विभाग ने शिवलिंग तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों का निर्माण कराया, जिससे दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को आसानी होती है.

यहां देखने को मिलता है बस्तर का एकमात्र शिवलिंग जोड़ा

महाशिवरात्रि के दिन यहां भी भक्तों का तांता लगा रहता है. हर साल लगने वाले मेले में दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं. सुबह से ही मंदिर में भक्तों का तांता लग जाता है. प्रशासन ने यहां लोगों के बैठने के लिए शेड लगवा दिया है.

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