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कोंडागांव: जिसके लिए शादी कराई, मध्य प्रदेश से लड़े, वही कड़कनाथ 'धोखा' दे रहे हैं

कोंडागांव: जिसके लिए प्रशासन ने यहां दिन रात एक करके मेहनत की, उस पर पानी फिरता नजर आ रहा है. दक्षिण बस्तर में कड़कनाथ मुर्गा पालन को बढ़ावा देने और गांवावालों की आय में बढ़ोतरी के लिए प्रशासन ने क्या-क्या नहीं किया, मुर्गों की शादी कराई, जीआई टैग के लिए मध्य प्रदेश से भिड़े लेकिन नतीजा परेशान करने वाला है.

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Published : Feb 22, 2019, 11:03 PM IST

कड़कनाथ

पिछले 6 से 7 दिनों में मड़से ग्राम के एक हितग्राही के दो सौ से ज्यादा चूजों की मौत हो गई है. करीब दो साल पहले जिले में इसकी शुरुआत की गई थी. इस योजना का लाभ लेने बड़ी संख्या में हितग्राही प्रशासन के पास पहुंचे थे. लेकिन बीते एक हफ्ते में मड़से गांव के हितग्राही पीलू राम के यहां 250 चूजों में से 100 चूजों की मौत हो गयी है.

स्टोरी पैकेज
यहां तक कि अब हर दिन एक न एक चूजों की मौत का सिलसिला जारी है. हितग्राही लक्ष्मी कहना है कि, जब से उन्हें चूजे दिए गए थे, तब से चूजों का मरने का सिलसिला शुरू हो गया था. बीते रविवार को शेड में 22 चूजों की मौत हो गयी थी.


वहीं पीलूराम की पत्नी का ये भी कहना है कि वेटरनरी विभाग के डॉक्टर समय-समय पर आते हैं. लेकिन मरे हुए चूजों के बदले नए चूजे कब तक मिलेंगे ये नहीं बता पाते.


बता दें कि कड़कनाथ प्रोजेक्ट को बढ़ावा देने के लिए प्रशाशन ने धूमधाम से मुर्गों की शादी करवाई थी. इस शादी से जिला प्रशासन की जमकर किरकिरी हुई थी. साथ ही जीआई टेग के लिए घमासान भी हुआ था.
कड़कनाथ दंतेवाड़ा की प्रजाति बताते हुए प्रशासन ने जीआई टैग के लिए दावा किया था. लेकिन ये टैग मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले को मिला है.

पिछले 6 से 7 दिनों में मड़से ग्राम के एक हितग्राही के दो सौ से ज्यादा चूजों की मौत हो गई है. करीब दो साल पहले जिले में इसकी शुरुआत की गई थी. इस योजना का लाभ लेने बड़ी संख्या में हितग्राही प्रशासन के पास पहुंचे थे. लेकिन बीते एक हफ्ते में मड़से गांव के हितग्राही पीलू राम के यहां 250 चूजों में से 100 चूजों की मौत हो गयी है.

स्टोरी पैकेज
यहां तक कि अब हर दिन एक न एक चूजों की मौत का सिलसिला जारी है. हितग्राही लक्ष्मी कहना है कि, जब से उन्हें चूजे दिए गए थे, तब से चूजों का मरने का सिलसिला शुरू हो गया था. बीते रविवार को शेड में 22 चूजों की मौत हो गयी थी.


वहीं पीलूराम की पत्नी का ये भी कहना है कि वेटरनरी विभाग के डॉक्टर समय-समय पर आते हैं. लेकिन मरे हुए चूजों के बदले नए चूजे कब तक मिलेंगे ये नहीं बता पाते.


बता दें कि कड़कनाथ प्रोजेक्ट को बढ़ावा देने के लिए प्रशाशन ने धूमधाम से मुर्गों की शादी करवाई थी. इस शादी से जिला प्रशासन की जमकर किरकिरी हुई थी. साथ ही जीआई टेग के लिए घमासान भी हुआ था.
कड़कनाथ दंतेवाड़ा की प्रजाति बताते हुए प्रशासन ने जीआई टैग के लिए दावा किया था. लेकिन ये टैग मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले को मिला है.

Intro:ऐंकर-दक्षिण बस्तर में कड़कनाथ मुर्गा पालन को बढ़ावा देने के लिए और ग्रामीणों की आय में बढ़ोत्तरी कराने के मकसद से जिले में कडकनाथ पालन शुरू किया गया लेकिन अब ये ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बन हुआ है।खास बात यह है कि इसी कड़कनाथ की प्रशाशन ने धूमधाम से शादी करवाई और जीआई टेग के लिए मध्यप्रदेश सरकार से तकरार भी हुआ था।बीते 6 से 7 दिनों में मड़से ग्राम के एक हितग्राही के दो सौ से ज्यादा चूजे की मौत हो गयी है।


Body:विओ-गौरतलब है कि करीब दो साल पहले जिले में इसकी शुरुवात की गई थी।इस योजना का लाभ लेने बड़ी संख्या में हितग्राही प्रशाशन के पास पहुच इसका लाभ लेने लगे थे।लेकिन बीते एक हफ्ते में मड़से ग्राम के हितग्राही पीलू राम के यहां 333 चूजों में से 210 चूजों की मौत हो गयी है यहां तक कि अब हर दिन एक न एक चूजों की मौत का सिलसिल चालू है।पीलूराम कि पत्नी का कहना है कि जब से उन्हें प्रदान किये है उसी दिन से चूजों का मरने का सिलसिला शुरू हो गया है।बीते रविवार को शेड में 22 चूजों की मौत हो गयी थी।वही पीलूराम की पत्नी का ये भी कहना है कि वेटरनरी विभाग के डॉ समय समय पर आते है देख रेख करने ।लेकिन मारे हुए चूजों के बदले नए चूजे कब तक मिलेंगे ये नही पता।बता दे कि कड़कनाथ प्रोजेक्ट को बढ़ावा देने के लिए प्रशाशन ने धूम धाम से मुर्गो की शादी करवाई थी।इस शादी से जिला प्रशासन की जमकर किरकिरी हुई थी साथ ही जीआई टेग के लिए घमासान भी हुआ था।इस कड़कनाथ प्रजाति को दंतेवाड़ा का प्रजाति बताते प्रशाशन ने जीआई टेग के लिए दावा किया था।लेकिन अंत मे यह टेग मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले को मिला है।
बाइट-लक्ष्मी,हितरग्रही की पत्नी।



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