कोंडागांव: देवी-देवताओं की धार्मिक आस्था के लिए पूरे विश्व में प्रख्यात बस्तर की खूबसूरत वादियों में शिवलिंग के अवतार में पहाड़ों के बीच एक गुफा में मां लिंगेश्वरी विराजमान हैं. जहां हर साल हजारों की संख्या में भक्त अलग-अलग राज्यों से मन्नत की कामना लिए दर्शन करने आते हैं. ज्यादातार निसंतान दंपति संतान प्राप्ति के लिए यहां आते हैं. वहीं इस साल संतान की मन्नत पर भी कोरोना का ग्रहण लग गया.
कोरोना के संक्रमण को देखते हुए सुबह 6 बजे से समिति के पुजारियों ने लिंगेश्वरी मां की विधि-विधान से पूजा अर्चना शुरू की. जहां अचानक तेज बारिश शुरू हो गई, लेकिन पूजा फिर भी जारी रही. पूजा खत्म होने के बाद गुफा के सामने रखे पत्थरों को हटाकर द्वार खोला गया. केशकाल विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आलोर गांव के गुफा में मां लिंगेश्वरी विराजमान हैं. यहां हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता का दर्शन करने पहुंचते थे, लेकिन इस साल कोरोना के कारण दर्शनार्थियों के मंदिर में आने पर प्रतिबंध लगाया गया है. वहीं बुधवार को गुफा में समिति के सदस्यों ने पूजा अर्चना करते हुए सुबह 6:30 बजे मां लिंगेश्वरी गुफा के द्वार को खोला.
पढ़ें: SPECIAL: लिंगई मां के धाम में इस बार नहीं जा सकेंगे श्रद्धालु, साल में एक बार खुलते हैं मंदिर के पट
हर साल की तरह गुफा के अंदर प्रवेश कर रेत में पद चिन्हों की खोज शुरू हुई, जिसके फलस्वरूप गुफा की जमीन की रेत पर हाथी और शेर के पद चिन्ह के निशान मिले. समिति के सदस्यों ने इन पद चिन्हों का मतलब बताया कि यह धन-धान खुशहाली का संकेत है. साथ सभी सदस्यों ने मां लिंगेश्वरी की पूजा अर्चना कर देश में तेजी से बढ़ रही कोरोना के संक्रमण को खत्म कर सभी लोगों की सुख शांति के किए कामना की.
साल में एक दिन ही खुलता है मंदिर का पट
बता दें, साल में सिर्फ एक दिन के लिए खुलने वाले इस मंदिर में हर साल हजारों की संख्या में संतान और अन्य मन्नत की कामना लिए भक्त माता के दर्शन के लिए आते हैं. माता के दर्शन करने कई राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश , तमिलनाडू , नागपुर के भक्त अपनी मन्नत लिए आते हैं. जहां मंदिर खुलने से एक दिन पहले से ही मंदिर के बाहर भक्तों की लंबी कतार लग जाती है. जहां दिन भर हजारों की संख्या में भक्त दर्शन कर अपनी मन्नत मांगते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के कारण शासन-प्रशासन के दिए निर्देशों के मुताबिक श्रद्धालुओं और दर्शनार्थियों का मंदिर में प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित है. श्रद्धालुओं को घर में रहकर ही अपनी मनोकामना पूजन-अनुष्ठान करने को कहा गया था.