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पुजारियों के हाथों विधि-विधान से खोला गया लिंगेश्वरी गुफा का द्वार

कोंडागांव के ग्राम पंचायत झाटीबन (आलोर) के प्रसिद्ध लिंगेश्वरी माता दरबार (Lingeshwari Mata Darbar) का द्वार सुबह लगभग 10 बजे मंदिर के पुजारियों के हाथों विधि-विधान (legislation) से खोला गया. मंदिर की साफ-सफाई (cleanliness) के पश्चात ताजे दूध और चम्पा फूल से माता रानी की विधिवत पूजा-अर्चना (Worship and all) की गई. इस मौके पर भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा.

The door of the Lingeshwari cave was opened legally
विधि-विधान से खोला गया लिंगेश्वरी गुफा का द्वार
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Published : Sep 15, 2021, 11:20 PM IST

कोंडागांवः ग्राम पंचायत झाटीबन (आलोर) के प्रसिद्ध लिंगेश्वरी माता दरबार का द्वार सुबह लगभग 10 बजे केवल मंदिर के पुजारियों द्वारा विधि-विधान (legislation) पूर्वक खोला गया. मंदिर की साफ-सफाई के पश्चात ताजे दूध और चम्पा फूल से माता रानी की विधिवत पूजा अर्चना (duly worshipped) की गई.

प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष जब गुफा का द्वार खोला गया तो वहां पर पिछले वर्ष बिछाये हुए रेत में शेर के पंजे के निशान देखे गए. समिति (Committee) व पुजारियों की मान्यता के अनुसार शेर के पंजे (lion paws) की निशान का मतलब क्षेत्र में इस वर्ष कहीं-कहीं आतंक, भय और खुशहाली (terror, fear and happiness) का मिला-जुला असर दिख सकता है.


इस वर्ष माता दर्शन के लिए आए श्रद्धालु हुए मायूस
इस वर्ष लिंगेश्वरी सेवा समिति द्वारा अलग-अलग राज्यों से श्रद्धालुओं (pilgrims) के आगमन और कोरोना के संभावित तीसरी लहर को देखते हुए पाबंदी लगा दी गई थी. बावजूद इसके स्थानीय एवं आस-पड़ोस के श्रद्धालु माता दर्शन (Devotee Mata Darshan) के लिए पहुंचे. जिन्हें समिति के सदस्य एवं पुलिस प्रशासन (Committee Members and Police Administration) द्वारा दर्शन के लिए रोका गया. जिससे कई भक्तजनों में मायूसी देखी गई. साथ ही श्रद्धालुओं द्वारा समिति (committee by devotees) के सदस्यों को मंदिर प्रवेश हेतु विनती करते हुए दिखे.

संतान कामना लेकर आए भक्त
दर्शन पाबंदी के बावजूद आस-पास जिले के संतान की कामना में आए कुछ ही विवाहित जोड़ों ने प्रसाद के रूप में खीरा (ककड़ी) प्रवेश द्वार में स्थापित माता की छतरी पर चढ़ाया. पुजारी द्वारा पूजा कर उसे विवाहित जोड़ों को दिया गया और उस खीरे को नाख़ून से दंपत्ति द्वारा लम्बी बराबर दो फाड़ कर आसपास बैठकर प्रसाद ग्रहण किया. मान्यता है कि इस खीरे को पति-पत्नी द्धारा (husband wife) प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से उन्हें शीघ्र संतान की प्राप्ति होती है.

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मन्नतें पूरी होने पर 'जोड़ों' ने भी किया दर्शन
जिन श्रद्धालुओं के मन्नत पूर्ण हुए वो जोड़ों ने अपने संतानों के साथ माता का दर्शन किया. इसमें से नरहरपुर कांकेर निवासी कमलेश सिन्हा दोनों पति-पत्नी को शादी के 5 से 6 वर्ष बाद भी संतान की प्राप्ति नहीं हुई थी. इनका कहना था कि इन्होंने बच्चे की प्राप्ति के लिए कई उपाय किए लेकिन उन्हें कहीं सफलता नहीं मिली. जब किसी से उक्त मंदिर का चमत्कार सुनकर मंदिर में आकर मन्नत किए तत्पश्चात उन्हें 2019 में पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. इसके बाद वह अपने संतान को लेकर माता के दर्शन के लिए पहुंचे थे.

चप्पे-चप्पे पर थी पुलिस की सुरक्षा
यह क्षेत्र पूर्व में नक्सलवादी क्षेत्र माना जाता रहा. साथ ही भक्तों की भीड़ को रोकने के लिए एक दिन पूर्व ही पुलिस बल की सयुंक्त टीम द्वारा निरीक्षण किया गया. एक दिन पूर्व लिंगेश्वरी मंदिर परिसर और उसके आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम किए गए थे.

कोंडागांवः ग्राम पंचायत झाटीबन (आलोर) के प्रसिद्ध लिंगेश्वरी माता दरबार का द्वार सुबह लगभग 10 बजे केवल मंदिर के पुजारियों द्वारा विधि-विधान (legislation) पूर्वक खोला गया. मंदिर की साफ-सफाई के पश्चात ताजे दूध और चम्पा फूल से माता रानी की विधिवत पूजा अर्चना (duly worshipped) की गई.

प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष जब गुफा का द्वार खोला गया तो वहां पर पिछले वर्ष बिछाये हुए रेत में शेर के पंजे के निशान देखे गए. समिति (Committee) व पुजारियों की मान्यता के अनुसार शेर के पंजे (lion paws) की निशान का मतलब क्षेत्र में इस वर्ष कहीं-कहीं आतंक, भय और खुशहाली (terror, fear and happiness) का मिला-जुला असर दिख सकता है.


इस वर्ष माता दर्शन के लिए आए श्रद्धालु हुए मायूस
इस वर्ष लिंगेश्वरी सेवा समिति द्वारा अलग-अलग राज्यों से श्रद्धालुओं (pilgrims) के आगमन और कोरोना के संभावित तीसरी लहर को देखते हुए पाबंदी लगा दी गई थी. बावजूद इसके स्थानीय एवं आस-पड़ोस के श्रद्धालु माता दर्शन (Devotee Mata Darshan) के लिए पहुंचे. जिन्हें समिति के सदस्य एवं पुलिस प्रशासन (Committee Members and Police Administration) द्वारा दर्शन के लिए रोका गया. जिससे कई भक्तजनों में मायूसी देखी गई. साथ ही श्रद्धालुओं द्वारा समिति (committee by devotees) के सदस्यों को मंदिर प्रवेश हेतु विनती करते हुए दिखे.

संतान कामना लेकर आए भक्त
दर्शन पाबंदी के बावजूद आस-पास जिले के संतान की कामना में आए कुछ ही विवाहित जोड़ों ने प्रसाद के रूप में खीरा (ककड़ी) प्रवेश द्वार में स्थापित माता की छतरी पर चढ़ाया. पुजारी द्वारा पूजा कर उसे विवाहित जोड़ों को दिया गया और उस खीरे को नाख़ून से दंपत्ति द्वारा लम्बी बराबर दो फाड़ कर आसपास बैठकर प्रसाद ग्रहण किया. मान्यता है कि इस खीरे को पति-पत्नी द्धारा (husband wife) प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से उन्हें शीघ्र संतान की प्राप्ति होती है.

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मन्नतें पूरी होने पर 'जोड़ों' ने भी किया दर्शन
जिन श्रद्धालुओं के मन्नत पूर्ण हुए वो जोड़ों ने अपने संतानों के साथ माता का दर्शन किया. इसमें से नरहरपुर कांकेर निवासी कमलेश सिन्हा दोनों पति-पत्नी को शादी के 5 से 6 वर्ष बाद भी संतान की प्राप्ति नहीं हुई थी. इनका कहना था कि इन्होंने बच्चे की प्राप्ति के लिए कई उपाय किए लेकिन उन्हें कहीं सफलता नहीं मिली. जब किसी से उक्त मंदिर का चमत्कार सुनकर मंदिर में आकर मन्नत किए तत्पश्चात उन्हें 2019 में पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. इसके बाद वह अपने संतान को लेकर माता के दर्शन के लिए पहुंचे थे.

चप्पे-चप्पे पर थी पुलिस की सुरक्षा
यह क्षेत्र पूर्व में नक्सलवादी क्षेत्र माना जाता रहा. साथ ही भक्तों की भीड़ को रोकने के लिए एक दिन पूर्व ही पुलिस बल की सयुंक्त टीम द्वारा निरीक्षण किया गया. एक दिन पूर्व लिंगेश्वरी मंदिर परिसर और उसके आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम किए गए थे.

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