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कोंडागांव: बस्तर दशहरा में शामिल होने आए देवी देवताओं को दी गई विदाई ! - आदिवासियों का त्योहार

बस्तर दशहरा में जिले के ग्रामीण इलाकों से शामिल होने आए ग्राम देवी-देवताओं को विदाई दी गई. शीतला माता मंदिर परिसर में श्रद्धा और उत्साह के साथ यह विदाई रस्म पूरी की गई.

देवी देवताओं को दी गई विदाई
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Published : Oct 8, 2019, 2:47 PM IST

Updated : Oct 8, 2019, 3:39 PM IST

कोंडागांव : बस्तर दशहरे में शामिल होने आए सभी ग्राम देवी देवताओं को सोमवार को शीतला माता मंदिर परिसर में विदाई दी गई. जिले में पहली बार देवी-देवताओं के बस्तर दशहरे में शामिल होने पर विदाई का आयोजन किया गया था. इस मौके पर कलेक्टर नीलकंठ टेकाम ने बताया कि विश्व विख्यात बस्तर दशहरे में कोंडागांव जिले के प्रमुख देवी-देवताओं के शामिल होने की पुरानी परंपरा है.

बस्तर दशहरा में शामिल होने आए देवी देवताओं को दी गई विदाई !

यहां के प्रमुख देवी-देवताओं, मांझी, मुखिया, गायता, पुजारी और परगना प्रमुखों की सहभागिता सदियों पुरानी परंपरा के तहत होती आई है. बस्तर दशहरा में कोंडागांव जिले से सर्वाधिक देवी देवता छत्र-डोलियां और समाज प्रमुख हिस्सा लेते आ रहे हैं. इसलिए इस परंपरा को बनाए रखने के उदेश्य से ग्राम देवी-देवताओं को भव्य विदाई दी गई. ताकि जिले में खुशहाली और सुख समृद्धि बनी रहे.

कई गांवों से देवी देवता कर रहे हैं प्रस्थान ?
बस्तर दशहरा में शामिल होने के लिए कोंडागांव के अलावा ओडिशा राज्य की सीमा से सटे ग्रामीण इलाकों के देवी देवता रवाना हो रहे हैं. देवी देवताओं की रवानगी की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.

पढ़ें- जगदलपुर: बस्तर के राजकुमार ने निभाई मावली परघाव की रस्म

सोमवार को निकाली गई भव्य कलश यात्रा
ग्राम पुजारियों ने इस परंपरा को सबसे पुरानी परंपरा बताया , पुजारियों ने बताया कि उनके पूर्वज भी इस परंपरा में शामिल होते रहे हैं . इसके तहत ग्रामीण छत्र डोलियों और भव्यता के साथ पदयात्रा शुरू करते हैं. अब इस परंपरा में समय के अनुसार वाहनों का भी प्रयोग होने लगा है . ग्रामीणों ने इस मौके पर जिला प्रशासन की तरफ से किए गए इंतजामों की सराहना की. देवी देवताओं की विदाई और रवानगी के मौके पर जिले की महिलाओं ने सोमवार को कलश यात्रा भी निकाली. इस कलश यात्रा में भक्ति और परंपरा के कई रंग देखने को मिले.

कोंडागांव : बस्तर दशहरे में शामिल होने आए सभी ग्राम देवी देवताओं को सोमवार को शीतला माता मंदिर परिसर में विदाई दी गई. जिले में पहली बार देवी-देवताओं के बस्तर दशहरे में शामिल होने पर विदाई का आयोजन किया गया था. इस मौके पर कलेक्टर नीलकंठ टेकाम ने बताया कि विश्व विख्यात बस्तर दशहरे में कोंडागांव जिले के प्रमुख देवी-देवताओं के शामिल होने की पुरानी परंपरा है.

बस्तर दशहरा में शामिल होने आए देवी देवताओं को दी गई विदाई !

यहां के प्रमुख देवी-देवताओं, मांझी, मुखिया, गायता, पुजारी और परगना प्रमुखों की सहभागिता सदियों पुरानी परंपरा के तहत होती आई है. बस्तर दशहरा में कोंडागांव जिले से सर्वाधिक देवी देवता छत्र-डोलियां और समाज प्रमुख हिस्सा लेते आ रहे हैं. इसलिए इस परंपरा को बनाए रखने के उदेश्य से ग्राम देवी-देवताओं को भव्य विदाई दी गई. ताकि जिले में खुशहाली और सुख समृद्धि बनी रहे.

कई गांवों से देवी देवता कर रहे हैं प्रस्थान ?
बस्तर दशहरा में शामिल होने के लिए कोंडागांव के अलावा ओडिशा राज्य की सीमा से सटे ग्रामीण इलाकों के देवी देवता रवाना हो रहे हैं. देवी देवताओं की रवानगी की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.

पढ़ें- जगदलपुर: बस्तर के राजकुमार ने निभाई मावली परघाव की रस्म

सोमवार को निकाली गई भव्य कलश यात्रा
ग्राम पुजारियों ने इस परंपरा को सबसे पुरानी परंपरा बताया , पुजारियों ने बताया कि उनके पूर्वज भी इस परंपरा में शामिल होते रहे हैं . इसके तहत ग्रामीण छत्र डोलियों और भव्यता के साथ पदयात्रा शुरू करते हैं. अब इस परंपरा में समय के अनुसार वाहनों का भी प्रयोग होने लगा है . ग्रामीणों ने इस मौके पर जिला प्रशासन की तरफ से किए गए इंतजामों की सराहना की. देवी देवताओं की विदाई और रवानगी के मौके पर जिले की महिलाओं ने सोमवार को कलश यात्रा भी निकाली. इस कलश यात्रा में भक्ति और परंपरा के कई रंग देखने को मिले.

Intro:मुख्यालय में पहली बार देवी-देवताओं की रवानगी पर हुआ भव्य विदाई आयोजन, जिले की खुषहाली एवं सुख-समृद्धि की कामना के साथ देवी-देवता हुए विदा....Body:बस्तर दशहरा में शामिल होने के लिए जिलेभर से आए ग्राम देवी-देवताओं की आज मुख्यालय के शीतला माता मंदिर परिसर में श्रद्धा और उत्साह के साथ विदाई दी गई। उल्लेखनीय है पहली बार मुख्यालय स्तर पर जिले के देवी-देवताओं का बस्तर दशहरा में शामिल होने पर विदाई का आयोजन किया गया था। इस मौके पर जिला कलेक्टर नीलकंठ टीकाम ने कहा कि विश्व विख्यात बस्तर दशहरे में कोण्डागांव जिले के प्रमुख देवी-देवताओं, मांझी, मुखिया, गायता, पुजारी एवं परगना प्रमुखों की सहभागिता सदियो की परम्परा रही है। चूंकि पूरे बस्तर संभाग में कोण्डागांव जिले से ही सर्वाधिक देवी देवता छत्रडोलियाँ एवं तथा समाज प्रमुख भाग लेते आ रहे है। अतः इस आदिम संस्कृति और परम्परा को जीवित रखने के उद्देश्य से ग्राम देवी-देवताओं की भव्य विदाई का आयोजन किया गया 
बाइट_मांझी
बाइट_नीलकंठ टेकाम,कलेक्टर कोंडागांवConclusion:बस्तर दशहरा में शामिल होने के लिए जिले के अलावा उड़ीसा राज्य के सीमावर्ती गांव के देवी-देवता भी प्रस्थान कर रहे है इनमें ग्राम रांधना, कोकोड़ी एवं बालोण्ड, भाटगांव, पिटिसपाल, पाथरी, बालेंगा, माण्डोकीखरगांव, खुटडोबरा, चरकई, खालेपारा, कोपाबेड़ा, अरगुला, तारगांव, छोटेराजपुर, किबेकोंगा, डोडरेसिमोड़ा, तितरवण्ड, बड़डोई, डोंगरसिलाटी, हल्दा, बिवला, आमानार, गम्हरी, फुण्डेरपानी, गडरासिमोड़ा गांव से माँ हिगंलाजिंन, मावली माता, आंगादेव, बुढ़ी माता, शीतला माता, चिलगाईन माता, फुलकुवर, कुवारी मावली, सोनादई, भण्डारिन माता जैसे ग्राम देवी-देवता सम्मिलित होंगे।
ग्राम पुजारियों ने चर्चा करते हुए बताया कि उनके पूर्वज ब्रिटिश काल से ही बस्तर दशहरा में सम्मिलित होते रहे है इसके लिए पूर्व में ग्रामीण चार-पांच दिन पहले ही छत्रडोलियो एवं अन्य लाव-लश्कर के साथ पदयात्रा प्रारंभ कर देते थे, समय के साथ अब जाने के लिए वाहनो का उपयोग हो रहा है। ग्रामीणों ने मौके पर जिला प्रशासन की सराहना करते हुए कहा कि पहली बार पूरी श्रद्धा, सम्मान एवं सुविधाओं के साथ उन्हें रवानगी दी जा रही है, इसके लिए जिला प्रशासन साधूवाद का पात्र है। रवानगी के अवसर पर महिलाओं द्वारा भव्य कलश यात्रा भी निकाली गई। 
Last Updated : Oct 8, 2019, 3:39 PM IST
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