कोंडागांव : बस्तर दशहरे में शामिल होने आए सभी ग्राम देवी देवताओं को सोमवार को शीतला माता मंदिर परिसर में विदाई दी गई. जिले में पहली बार देवी-देवताओं के बस्तर दशहरे में शामिल होने पर विदाई का आयोजन किया गया था. इस मौके पर कलेक्टर नीलकंठ टेकाम ने बताया कि विश्व विख्यात बस्तर दशहरे में कोंडागांव जिले के प्रमुख देवी-देवताओं के शामिल होने की पुरानी परंपरा है.
यहां के प्रमुख देवी-देवताओं, मांझी, मुखिया, गायता, पुजारी और परगना प्रमुखों की सहभागिता सदियों पुरानी परंपरा के तहत होती आई है. बस्तर दशहरा में कोंडागांव जिले से सर्वाधिक देवी देवता छत्र-डोलियां और समाज प्रमुख हिस्सा लेते आ रहे हैं. इसलिए इस परंपरा को बनाए रखने के उदेश्य से ग्राम देवी-देवताओं को भव्य विदाई दी गई. ताकि जिले में खुशहाली और सुख समृद्धि बनी रहे.
कई गांवों से देवी देवता कर रहे हैं प्रस्थान ?
बस्तर दशहरा में शामिल होने के लिए कोंडागांव के अलावा ओडिशा राज्य की सीमा से सटे ग्रामीण इलाकों के देवी देवता रवाना हो रहे हैं. देवी देवताओं की रवानगी की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.
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सोमवार को निकाली गई भव्य कलश यात्रा
ग्राम पुजारियों ने इस परंपरा को सबसे पुरानी परंपरा बताया , पुजारियों ने बताया कि उनके पूर्वज भी इस परंपरा में शामिल होते रहे हैं . इसके तहत ग्रामीण छत्र डोलियों और भव्यता के साथ पदयात्रा शुरू करते हैं. अब इस परंपरा में समय के अनुसार वाहनों का भी प्रयोग होने लगा है . ग्रामीणों ने इस मौके पर जिला प्रशासन की तरफ से किए गए इंतजामों की सराहना की. देवी देवताओं की विदाई और रवानगी के मौके पर जिले की महिलाओं ने सोमवार को कलश यात्रा भी निकाली. इस कलश यात्रा में भक्ति और परंपरा के कई रंग देखने को मिले.