कोंडागांव: देवउठनी एकादशी छत्तीसगढ़ धूमधाम से मनाई गई. एकादशी के बाद मंगल कार्यों की शुरुआत हो जाती है. देवउठनी को छोटी दीपावली भी कहते हैं, बस्तर में इसकी काफी मान्यता है. एकादशी के मौके पर शिल्प नगरी कोंडागांव में जगह-जगह गन्ने का ढेर देखने को मिला. गन्ना किसानों ने बताया कि हर साल के अपेक्षा इस साल बाजार में कम गन्ना किसान पहुंचे.
किसानों का कहना है कि इस साल गन्ने की पैदावार तो अच्छी हुई है लेकिन एकादशी पर्व पर ग्राहकों की संख्या ना के बराबर है. पिछले साल गन्ने की जोड़ी 200 रुपये तक बिकी. वहीं इस साल 50 रुपये में भी खरीददार नहीं आ रहे. छोटी दीपावली में बस्तर में गन्ने की मांग बहुत होती है, लेकिन वर्तमान में कोरोना की वजह से ज्यादातर लोगों का धंधा चौपट है. गन्ना का सही मूल्य मिलने की संभावना नहीं दिख रही है.
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एकादशी से होती है मांगलिक कार्यों की शुरुआत
एकादशी की पौराणिक मान्यता है कि आज के ही दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा प्रार्थना के साथ भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह रचाया जाता है. इसमें कई अन्य मिष्ठानों के साथ गन्ना पूजा करने की सालों पुरानी परंपरा का निर्वहन किया जाता है. एकादशी के पावन त्यौहार के साथ ही हिंदू परंपरा अनुसार शादी विवाह जैसे मांगलिक आयोजनों की शुरुआत हो जाती है.