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SPECIAL: ऐसा बैंक जहां कैश नहीं, बीज होता है डिपॉजिट !

कांकेर जिले के निशानहर्रा गांव में एक अनोखा बैंक है. जहां कैश नहीं, बीज जमा किया जाता है. छोटे-छोटे मिट्टी के घड़ों और बर्तनों में बीज संभाल कर रखे जाते हैं. खास बात यह है कि इस बैंक के संचालन का कार्य महिलाएं करती हैं. ताकि विलुप्त हो चुके दलहन-तिलहन के बीजों को बचाया जा सके. जानिए बीज बैंक की यह कहानी.

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कांकेर जिले के निशानहर्रा गांव में अनोखा बैंक
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Published : Feb 7, 2021, 8:44 PM IST

Updated : Feb 7, 2021, 9:20 PM IST

कांकेर: जिला मुख्यालय से 35 किलो मीटर की दूरी पर सुंदर पहाड़ियों के बीच निशानहर्रा गांव बसा है. इस गांव की महिलाओं ने अपनी एक अनोखी शुरुआत से पूरे प्रदेश को संदेश दिया है. वो संदेश है बीजों के संग्रहण का. इस गांव की 200 महिलाओं ने समूह खोला है. समूह की सभी महिलाओं ने बीज बैंक की स्थापना की है. बीज बैंक में विलुप्त हो चुके दलहन-तिलहन के बीज की किस्मों को वह इक्टठा कर रहीं हैं.

कांकेर जिले के निशानहर्रा गांव का अनोखा बैंक

पढ़ें: बलरामपुर: छत्तीसगढ़ का ऐसा बैंक जहां लोन पर रुपये नहीं, बीज मिलते हैं.

समूह की महिलाओं ने बताया कि 20 प्रकार के बीजों का पारम्परिक तरीके से मिट्टी के बने बर्तन में रख-रखाव किया जा रहा है. महिलाओं की चाह यह है कि, वो एक दिन ऐसे विलुप्त हो चुके सारे बीजों का संग्रहण कर एक मिसाल कायम करे. महिलाएं चाहती हैं कि इस बीज बैंक से आस पास के किसानों को खेती में मदद मिले.

Women open indigenous seed bank for traditional farming in Nishaharra village of kanker
कांकेर जिले के निशानहर्रा गांव में महिलाओं ने खोला बीज बैंक

पढ़ें: सूरजपुर: बीज बैंक से होगी अन्नदाता की मदद, जल्द मिलेगा फायदा

विलुप्त होते बीजों का हो रहा संग्रहण

ETV भारत की टीम उन महिलाओं के समूह से बातचीत की. जागेश्वरी नेताम ने बताया हमारे पूर्वज इन्हीं बीजों से खेती करते थे. अब ये सारे देसी बीज विलुप्त हो रहे हैं. कई बीज विलुप्त हो चुके हैं. पूर्वजों की देन को बचाने के लिए बीज बैंक खोला है. ताकि पूर्वजों की देन आसानी से विलुप्त न हो जाए. आने वाली पीढ़ी को पुराने बीजों के बारे में पता चले.

Women open indigenous seed bank for traditional farming in Nishaharra village of kanker
कांकेर जिले के निशानहर्रा गांव का अनोखा बैंक

7 समूह में 200 महिलाएं जुड़ी

निशानहर्रा गांव में महिलाओं का 7 समूह है. 7 समूह में 200 महिलाएं जुड़ी हैं. विलुप्त हो चुके देसी बीज परबत, झुरगा, भदाई, तिल, इसके साथ पुराने धान के देसी बीज गांव के बीज बैंक में महिलाओं ने संरक्षित कर रखा है.

Women open indigenous seed bank for traditional farming in Nishaharra village of kanker
निशानहर्रा गांव में स्व सहायता समूह की महिलाएं

साग-सब्जी और धान में ज्यादा मिठास
जागेश्वरी नेताम ने बताया पहले की साग-सब्जी और धान में ज्यादा मिठास थी. अभी सब हाईब्रिड बीज है. सब्जियों में तरह-तरह की दवाइयां डाली जाती हैं. जिससे मिठास खत्म हो जाती है. पहले पूर्वजों के समय बिना दवाई के खेती की जाती थी. उससे पौष्टिक सब्जी और धान की उपज होती थी. अब सब तकनीकी सुविधाएं अपनाई जा रही है. लेकिन उससे गुणवत्ता की कमी हो रही है.

हाईब्रिड बीज से किसान कर रहे खेती
संगीता शोरी ने बताया हमारा संरक्षण करना ही मुख्य काम नहीं है. हम इस बीज से पारंपरिक खेती करेंगे. इससे जो बीज उत्पन्न होगा, उसे आस-पास के गांव में खेती करने के लिए देंगे. हाईब्रिड बीज से किसान खेती न करें. हमारे पूर्वजों के जमाने की बीजों से खेती किया जाए.

20 प्रकार के बीजों को संरक्षित किया गया
इस बीच बैंक से किसानों को हाईब्रिड बीज के खरीदी में लगने वाली भारी-भरकम लागत से निजात मिलेगी. जीरो बजट फार्मिंग को बढ़ावा मिलेगा. इस बीज बैंक में अभी 20 प्रकार के बीजों को संरक्षित किया गया है. धान के बीज जैसे रमलीपंख, दुबराज,अशोक इत्यादि को संरक्षित किया गया है.

पारंपरिक खेती से दूरी क्यों ?
प्राचीन समय में किसान एक दूसरे के सहयोग से उन्नत बीजों का आदान-प्रदान कर कृषि कार्य करते थे. कृषि कार्यों में एक दूसरे का सहयोग करते थे. कृषक महिलाएं अगले वर्ष के लिए खड़ी फसल से उन्नत बीजों को जुटाती थी. अब लोगों की आवश्यकताएं बढ़ गई है. अधिक उत्पादन की होड़ के कारण किसान देसी बीजों से खेती नहीं कर रहे हैं. खेती को घाटे का सौदा समझा जा रहा है.

कांकेर: जिला मुख्यालय से 35 किलो मीटर की दूरी पर सुंदर पहाड़ियों के बीच निशानहर्रा गांव बसा है. इस गांव की महिलाओं ने अपनी एक अनोखी शुरुआत से पूरे प्रदेश को संदेश दिया है. वो संदेश है बीजों के संग्रहण का. इस गांव की 200 महिलाओं ने समूह खोला है. समूह की सभी महिलाओं ने बीज बैंक की स्थापना की है. बीज बैंक में विलुप्त हो चुके दलहन-तिलहन के बीज की किस्मों को वह इक्टठा कर रहीं हैं.

कांकेर जिले के निशानहर्रा गांव का अनोखा बैंक

पढ़ें: बलरामपुर: छत्तीसगढ़ का ऐसा बैंक जहां लोन पर रुपये नहीं, बीज मिलते हैं.

समूह की महिलाओं ने बताया कि 20 प्रकार के बीजों का पारम्परिक तरीके से मिट्टी के बने बर्तन में रख-रखाव किया जा रहा है. महिलाओं की चाह यह है कि, वो एक दिन ऐसे विलुप्त हो चुके सारे बीजों का संग्रहण कर एक मिसाल कायम करे. महिलाएं चाहती हैं कि इस बीज बैंक से आस पास के किसानों को खेती में मदद मिले.

Women open indigenous seed bank for traditional farming in Nishaharra village of kanker
कांकेर जिले के निशानहर्रा गांव में महिलाओं ने खोला बीज बैंक

पढ़ें: सूरजपुर: बीज बैंक से होगी अन्नदाता की मदद, जल्द मिलेगा फायदा

विलुप्त होते बीजों का हो रहा संग्रहण

ETV भारत की टीम उन महिलाओं के समूह से बातचीत की. जागेश्वरी नेताम ने बताया हमारे पूर्वज इन्हीं बीजों से खेती करते थे. अब ये सारे देसी बीज विलुप्त हो रहे हैं. कई बीज विलुप्त हो चुके हैं. पूर्वजों की देन को बचाने के लिए बीज बैंक खोला है. ताकि पूर्वजों की देन आसानी से विलुप्त न हो जाए. आने वाली पीढ़ी को पुराने बीजों के बारे में पता चले.

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कांकेर जिले के निशानहर्रा गांव का अनोखा बैंक

7 समूह में 200 महिलाएं जुड़ी

निशानहर्रा गांव में महिलाओं का 7 समूह है. 7 समूह में 200 महिलाएं जुड़ी हैं. विलुप्त हो चुके देसी बीज परबत, झुरगा, भदाई, तिल, इसके साथ पुराने धान के देसी बीज गांव के बीज बैंक में महिलाओं ने संरक्षित कर रखा है.

Women open indigenous seed bank for traditional farming in Nishaharra village of kanker
निशानहर्रा गांव में स्व सहायता समूह की महिलाएं

साग-सब्जी और धान में ज्यादा मिठास
जागेश्वरी नेताम ने बताया पहले की साग-सब्जी और धान में ज्यादा मिठास थी. अभी सब हाईब्रिड बीज है. सब्जियों में तरह-तरह की दवाइयां डाली जाती हैं. जिससे मिठास खत्म हो जाती है. पहले पूर्वजों के समय बिना दवाई के खेती की जाती थी. उससे पौष्टिक सब्जी और धान की उपज होती थी. अब सब तकनीकी सुविधाएं अपनाई जा रही है. लेकिन उससे गुणवत्ता की कमी हो रही है.

हाईब्रिड बीज से किसान कर रहे खेती
संगीता शोरी ने बताया हमारा संरक्षण करना ही मुख्य काम नहीं है. हम इस बीज से पारंपरिक खेती करेंगे. इससे जो बीज उत्पन्न होगा, उसे आस-पास के गांव में खेती करने के लिए देंगे. हाईब्रिड बीज से किसान खेती न करें. हमारे पूर्वजों के जमाने की बीजों से खेती किया जाए.

20 प्रकार के बीजों को संरक्षित किया गया
इस बीच बैंक से किसानों को हाईब्रिड बीज के खरीदी में लगने वाली भारी-भरकम लागत से निजात मिलेगी. जीरो बजट फार्मिंग को बढ़ावा मिलेगा. इस बीज बैंक में अभी 20 प्रकार के बीजों को संरक्षित किया गया है. धान के बीज जैसे रमलीपंख, दुबराज,अशोक इत्यादि को संरक्षित किया गया है.

पारंपरिक खेती से दूरी क्यों ?
प्राचीन समय में किसान एक दूसरे के सहयोग से उन्नत बीजों का आदान-प्रदान कर कृषि कार्य करते थे. कृषि कार्यों में एक दूसरे का सहयोग करते थे. कृषक महिलाएं अगले वर्ष के लिए खड़ी फसल से उन्नत बीजों को जुटाती थी. अब लोगों की आवश्यकताएं बढ़ गई है. अधिक उत्पादन की होड़ के कारण किसान देसी बीजों से खेती नहीं कर रहे हैं. खेती को घाटे का सौदा समझा जा रहा है.

Last Updated : Feb 7, 2021, 9:20 PM IST
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