कांकेर: जिला सीताफल उत्पादन एवं फल की गुणवत्ता के लिए पूरे राज्य में प्रसिद्ध है.जिले के चार विकासखण्ड कांकेर, चारामा, नरहरपुर और दुर्गूकोंदल में लगभग 319 लाख सीताफल के वृक्षों की गणना की गई हैं. हर साल अक्टूबर-नवंबर महीने में लगभग 6 हजार मीट्रिक टन सीताफल का उत्पादन यहां होता है. इस काम में जिले के हजारों कृषक व मुख्य रूप से सीमांत परिवार के महिला कृषक शामिल है.
जिले में कृषि विभाग ने महिला कृषकों को सीताफल का उचित मूल्य दिलाने के लिए 'कांकेर वैली फ्रेश कस्टर्ड एप्पल प्रोजेक्ट' शुरू किया.इसके लिए महिला स्व-सहायता समूह का गठन कर उसके माध्यम से सीताफल का संग्रहण व विक्रय किया जा रहा है. राजधानी रायपुर सहित दुर्ग-भिलाई में भी कांकेर की सीताफल की बड़ी मांग है.इस कार्य में महिलाएं सक्रिए होकर कार्य कर रही है, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ हो रहा है. इस काम की प्रशंसा नीति आयोग ने भी की हैं.
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वर्तमान में 36 महिला स्व-सहायता समूह और दो किसान उत्पादक कंपनी के 599 सदस्य इस प्रोजेक्ट से जुड़े हैं. जिले में 5 हजार 700 संग्राहकों से सीताफल का संग्रहण किया गया है, जिनमें 4 हजार 500 महिला संग्राहक भी शामिल हैं.सीताफल को व्यवसायिक क्षेत्र में लाने से फल के विक्रय दर में वृद्धि होने के साथ-साथ पल्प से आईसक्रीम बनाकर बेचने से भी आय में वृद्धि हुई है. सीताफल के विक्रय में संलग्न महिला स्व-सहायता समूह क्षेत्रीय सरस मेला दुर्ग-भिलाई, राष्ट्रीय कृषि मेला रायपुर, वर्लड फूड इंडिया 2017 नई दिल्ली एवं ग्लोबल आदिवासी उद्यमिता सम्मेलन-दंतेवाड़ा में 'कांकेर वैली फ्रेश सीताफल आइसक्रीम' के प्रदर्शन व विपणन का काम किया था. महिला स्व-सहायता समूहों को प्रशिक्षित कर उनके माध्यम से सीताफल विक्रय को व्यवसायिक रूप देने से इससे जुड़ी महिलाओं को आर्थिक लाभ हो रहा है.