कांकेर: गर्मी का मौसम जिस तरह से आग उगल रहा है उससे हर तरफ जल संकट गहराता जा रहा है. जलस्तर नीचे गिरने से सिंचाई तो दूर कई इलाकों में लोग पीने के साफ पानी के लिए तरस रहे हैं.
चार साल में भी नहीं रखी जा सकी नींव
केंद्र सरकार की ओर से 2015 में जल क्रांति अभियान के तहत जल ग्राम बनाने के लिए चयनित किए गए गांव पुसवाड़ा में इस योजना की नींव चार साल बाद तक नहीं रखी जा सकी है. इसका नतीजा यह हुआ कि गांव भीषण जल संकट से जूझ रहा है.
एनीकट और नहर का होना था निर्माण
2015 में केंद्र सरकार ने जल क्रांति अभियान के तहत हर जिले से दो ऐसे गांव का चयन करने को कहा था, जहां जल संकट अधिक हो. गांव में जल संकट दूर करने के लिए एनीकट और नहर का निर्माण कराने के साथ ही पुराने एनीकट की मरम्मत का काम होना था ताकि, जल संकट को दूर दिया जा सके.
बारिश के मौसम में ही लेते हैं फसल
4 साल बीतने के बाद भी चयनित गांव पुसवाड़ा में इस योजना के तहत एक भी काम शुरू नहीं हो सके हैं. इसकी वजह से यहां के किसान खासे परेशान हैं. गांव में बारिश के पानी के अलावा सिंचाई का कोई साधन भी नहीं है, ऐसे में यहां के किसान सिर्फ बारिश की ही फसल ले पाते हैं और अगर मौसम ने दगा दे दिया तो किसानों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है.
जिनके खेत में बोरवेल है, वो लेते हैं दो फसल
जिन किसानों के खेत में बोरवेल है वो महज दो फसल ही ले पाते है. जबकि ज्यातदर किसान एक ही फसल पर निर्भर हैं, जिनसे उनकी आर्थिक स्तिथि में भी सुधार नहीं देखा गया.
बजट नहीं हुआ पास
इस योजना के तहत हर जिले से दो गांव का चयन होना था . कांकेर में पुसवाड़ा के अलावा दमकसा गांव का चयन भी जल ग्राम के लिए हुआ था, लेकिन इस गांव का बजट ही अब तक पास नहीं हो पाया है . जल संसाधन विभाग के अफसरों का कहना है कि 'अब तक दो से तीन बार विभागीय बजट में शामिल करने भेजा जा चुका है, लेकिन अब तक इसे स्वीकृति नहीं मिली है.
सुख चुके हैं नदी और तालाब
भीषण गर्मी की वजह से इन गांवों में मौजूद नदी और तालाब पूरी तरह से सूख चुके हैं. ऐसे में ग्रामीणों के सामने बड़ा संकट आ खड़ा हुआ है. गांव में एक भी एनीकट नहीं है, जिसमें पानी रोका जा सके. जल संसाधन विभाग के अफसरों का कहना है कि 'जलग्राम के लिए 4 करोड़ 25 लाख रुपए की रकम स्वीकृत की गई थी, लेकिन यह राशि अब तक विभाग को नहीं मिली है, जिसकी वजह से अब तक काम शुरू नहीं किए जा सके हैं.
राशि मिलते ही शुरू होगा काम
अफसरों का कहना है कि 'जैसे ही राशि विभाग को मिलती है काम शुरू कराया जाएगा. जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता आर-आर वैष्णव का कहना है कि 'जल ग्राम के कार्य की राशि एआईबीपी ( त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम) के मद से प्राप्त होनी थी जो कि अब तक नहीं मिली है.
नहर हुई जर्जर
पुसवाड़ा के किसानों ने बताया कि 'काफी साल पहले दुधावा जलाशय से नहर बनाई गई थी लेकिन देख-रेख के अभाव में यह भी जर्जर हो गई. जगह जगह झील झाड़ियां उग आई हैं, जिससे इस जलाशय का पानी भी गांव के किसानों को नहीं मिलता'. करीब 3 हजार की जनसंख्या वाले इस गांव के किसान शासन प्रशासन की अनदेखी और लापरवाही का शिकार हो रहे हैं.