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कांकेर: श्रमदान से ग्रामीणों ने खुद ही बना ली अपनी राह

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Published : Feb 10, 2021, 2:23 PM IST

Updated : Feb 10, 2021, 8:11 PM IST

चिवरांज में ग्रामीणों ने तीन हफ्ते में एक कच्ची सड़क का निर्माण कर दिया. दरअसल ग्रामीण प्रशासन से कई बार सड़क की मांग कर चुके थे, लेकिन बार-बार बोलने के बाद भी कोई पहल नहीं की गई. जिसके बाद ग्रामीणों ने खुद ही अपनी राह बना ली.

built 4 km road in kanker
श्रमदान से ग्रामीणों ने बना डाली 4 किलोमीटर

कांकेर: जिला मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर दूर कोडेजूंगा के आश्रित गांव चिवरांज में ग्रामीणों ने राह आसान करने का बीड़ा खुद ही उठाया. गांव के लोगों ने तीन हफ्ते में 4 किलोमीटर कच्ची सड़क बना डाली.

श्रमदान से ग्रामीणों ने खुद ही बना ली अपनी राह

गांव के ग्रामीण देवनाथ मंडावी ने ETV भारत को बताया कि गांव से 4 किलोमीटर दूर 13 ग्रामीणों के खेत हैं. जहां तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों ने सड़क बनाने के लिए पंचायत स्तर से लेकर कलेक्टर तक आवेदन दिया था, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई. फिर 13 परिवार के ग्रामीणों ने तय किया कि श्रमदान कर सड़क बनाई जाएगी. 4 किलोमीटर के रास्ते में छोटी-छोटी चट्टान भी पड़ी. जिसके लिए 50 हजार का चंदा इकट्ठा किया गया. ग्रामीणों ने जेसीबी मशीन से चट्टानों को हटाया और तीन हफ्ते में कच्ची सड़क बना डाली.

कहानी छत्तीसगढ़ की उस वीरांगना की जिनसे है बिलासपुर की पहचान

कृषि कार्यों में होती थी परेशानी

गांव के ही अंजोरी राम मंडावी ने बताया कि 13 परिवारों का खेत खलिहान में जाने के लिए 4 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है, लेकिन 4 किलोमीटर के रास्ते में इतने पत्थर थे कि मवेशी भी उस पर ठीक से नहीं चल पाते थे. फसल की बुआई और दूसरे कृषि कार्य में भी बहुत दिक्कत आती थी, इसलिए हम सब ने मिलकर चलने लायक सड़क का निर्माण कर दिया.

फॉरेस्ट विभाग से भी लगाई गुहार

दरअसल जिस जगह चार किलोमीटर सड़क बननी थी वहां रिजर्व फारेस्ट की जमीन थी. जहां किसी भी तरह के निर्माण कार्य की अनुमति नहीं थी. इससे पहले ग्रामीणों ने फारेस्ट विभाग को भी आवेदन देकर सड़क निर्माण की गुहार लगाई थी. गांव के उप सरपंच बशीर खान कहते हैं कि 4 किलोमीटर सड़क बनाने की मांग जो ग्रामीण कर रहे थे, वो रिजर्व फारेस्ट में आता था. इसीलिए निर्माण नहीं हो पाया था.

कांकेर: जिला मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर दूर कोडेजूंगा के आश्रित गांव चिवरांज में ग्रामीणों ने राह आसान करने का बीड़ा खुद ही उठाया. गांव के लोगों ने तीन हफ्ते में 4 किलोमीटर कच्ची सड़क बना डाली.

श्रमदान से ग्रामीणों ने खुद ही बना ली अपनी राह

गांव के ग्रामीण देवनाथ मंडावी ने ETV भारत को बताया कि गांव से 4 किलोमीटर दूर 13 ग्रामीणों के खेत हैं. जहां तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों ने सड़क बनाने के लिए पंचायत स्तर से लेकर कलेक्टर तक आवेदन दिया था, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई. फिर 13 परिवार के ग्रामीणों ने तय किया कि श्रमदान कर सड़क बनाई जाएगी. 4 किलोमीटर के रास्ते में छोटी-छोटी चट्टान भी पड़ी. जिसके लिए 50 हजार का चंदा इकट्ठा किया गया. ग्रामीणों ने जेसीबी मशीन से चट्टानों को हटाया और तीन हफ्ते में कच्ची सड़क बना डाली.

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कृषि कार्यों में होती थी परेशानी

गांव के ही अंजोरी राम मंडावी ने बताया कि 13 परिवारों का खेत खलिहान में जाने के लिए 4 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है, लेकिन 4 किलोमीटर के रास्ते में इतने पत्थर थे कि मवेशी भी उस पर ठीक से नहीं चल पाते थे. फसल की बुआई और दूसरे कृषि कार्य में भी बहुत दिक्कत आती थी, इसलिए हम सब ने मिलकर चलने लायक सड़क का निर्माण कर दिया.

फॉरेस्ट विभाग से भी लगाई गुहार

दरअसल जिस जगह चार किलोमीटर सड़क बननी थी वहां रिजर्व फारेस्ट की जमीन थी. जहां किसी भी तरह के निर्माण कार्य की अनुमति नहीं थी. इससे पहले ग्रामीणों ने फारेस्ट विभाग को भी आवेदन देकर सड़क निर्माण की गुहार लगाई थी. गांव के उप सरपंच बशीर खान कहते हैं कि 4 किलोमीटर सड़क बनाने की मांग जो ग्रामीण कर रहे थे, वो रिजर्व फारेस्ट में आता था. इसीलिए निर्माण नहीं हो पाया था.

Last Updated : Feb 10, 2021, 8:11 PM IST
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