कांकेर: छत्तीसगढ़ का कांकेर जिला आंदोलनों का गढ़ कहा जाता है. चुनाव खत्म होते ही यहां फिर से आदिवासियों ने आंदोलन छेड़ दिया है. कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा ब्लॉक मुख्यालय में बुधवार को हजारों आदिवासियों ने प्रदर्शन किया. आंदोलनकारी आदिवासियों ने पुलिस पर निर्दोष युवकों को नक्सली बताकर मारने का आरोप लगाया है.
क्या है पूरा मामला: ये पूरा मामला जिले के कोयलीबेड़ा थाने का है. यहां 21 अक्टूबर को हुए मुठभेड़ में पुलिस ने दो नक्सली मारे जाने का दावा किया था. हालांकि ग्रामीण इसे फर्जी एनकाउंटर करार दे रहे हैं. ग्रामीणों और मृतक के परिजनों ने मुठभेड़ को फर्जी करार देते हुए दोषियों पर कार्रवाई की बात कही थी. वहीं, इस मामले में डीआरजी, बस्तर फाइटर और बीएसएफ की संयुक्त टीम नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत हालेमाड के जंगल में दो नक्सली मार गिराने का दावा किया था. इसमें काना राम और मोडा राम के मारे जाने की पुष्टि जिला एसपी दिव्यांग पटेल ने की थी.
क्या कहते हैं आदिवासी समाज: इधर, इस पूरे मामले में आदिवासी समाज के प्रमुख सहदेव उसेंडी ने बताया है कि, "हमारे अबूझमाड़िया आदिवासी समाज के दो युवकों को पुलिस की ओर से 21 अक्टूबर को फर्जी एनकाउंटर में मारा गया है. ये दोनों उन दिन कोयलीबेड़ा में अपने परिवार के साथ बाजार गए थे और वापस जा रहे थे. तभी पुलिस ने उनको पकड़ लिए. उनमें 7 महिला और 2 पुरुष थे. इसमें जवानों ने दो अबूझमाड़िया युवकों को पकड़ कर गोली मार दी. इससे पहले भी हमने कांकेर एसपी और एसडीएम से आवेदन देकर जांच करने की बात कही थी. लेकिन अभी तक उसकी जांच नहीं की गई. इसलिए हम आज रैली कर फिर से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं."
कलेक्टर ने दिए जांच के निर्देश: वहीं, इस पूरे मामले को कलेक्टर प्रियंका शुक्ला ने गंभीरता से लिया. दोनों की मौत की निष्पक्ष जांच के लिए डिप्टी कलेक्टर और अनुविभागीय दण्डाधिकारी राजस्व अनुभाग अंतागढ़ विश्वास कुमार को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था. उन्हें अपना जांच प्रतिवेदन तैयार कर 15 दिनों के भीतर प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था.
छत्तीसगढ़ में बीजेपी की नई सरकार के लिए ये कांकेर में ये मुद्दा चुनौती बन सकता है. ऐसे में जिला प्रशासन को इस मामले में जल्द कार्रवाई करनी होगी