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2 महीने से स्कूल नहीं पहुंचे हैं शिक्षक, बच्चों ने महीनों से नहीं देखा है मिड डे मील - बच्चों को नहीं मिल रहा है मध्याह्न भोजन

स्कूल में शिक्षकों के नहीं पहुंचने से पढ़ाई के साथ बच्चों को मध्याह्न भोजन भी नहीं मिल रहा है. लापरवाह शिक्षकों के कारण स्कूल भवन भी जर्जर हो चुकी है. ग्रामीण बताते हैं, स्कूल भवन का गेट हमेशा खुला रहता है. जिसके कारण यहां जानवर भी आते-जाते रहते हैं. कई बार बच्चों के साथ मवेशी भी क्लास में ही बैठे रहते हैं.

बच्चों को नहीं मिल रहा है मध्याह्न भोजन
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Published : Sep 3, 2019, 9:57 PM IST

कांकेर: कोयलीबेड़ा ब्लॉक में सरकारी स्कूल में एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. बताया जा रहा है, धुर नक्सल प्रभावित राजामुंडा गांव के स्कूल में पदस्थ दोनों शिक्षक बीते 2 महीने से स्कूल नहीं पहुचे हैं. इसके कारण स्कूल में 2 महीने से पढ़ाई ठप है.

स्कूल में 2 महीने से पढ़ाई ठप

जिला मुख्यालय से लगभग 150 किलोमीटर दूर नक्सलियों का गढ़ माने जाने वाले इस इलाके में अधिकारी कभी भी दौरे पर नहीं आते हैं. इसका फायदा यहां के लापरवाह शिक्षक जमकर उठा रहे हैं. ग्रामीणों के मुताबिक स्कूल में दो शिक्षक पदस्थ हैं, जिसमें से एक शिक्षक लंबोदर ठाकुर इस शिक्षा सत्र में एक दिन भी स्कूल नहीं पहुंचे हैं. वहीं एक अन्य शिक्षक कन्हैया लाल सलाम सत्र शुरू होने के बाद कुछ दिन तो आये, लेकिन फिलहाल 2 महीने से फरार बताये जा रहे हैं. ग्रामीणों के मुताबिक दोनों शिक्षक 15 अगस्त के दिन भी स्कूल नहीं पहुंचे थे. अब मामला सामने आने के बाद खंड शिक्षा अधिकारी जांच की बात कह रहे हैं.

बच्चों को नहीं मिल रहा है मध्याह्न भोजन
स्कूल में शिक्षकों के नहीं पहुंचने से पढ़ाई के साथ बच्चों को मध्याह्न भोजन भी नहीं मिल रहा है. लापरवाह शिक्षकों के कारण स्कूल भवन भी जर्जर हो चुकी है. ग्रामीण बताते हैं, स्कूल भवन का गेट हमेशा खुला रहता है. जिसके कारण यहां जानवर भी आते-जाते रहते हैं. कई बार बच्चों के साथ मवेशी भी क्लास में ही बैठे रहते हैं. स्कूल में भवन के साथ शौचालय का हाल भी बेहाल है.

पढ़े:जूनियर जोगी की गिरफ्तारी पर समीरा ने जताई खुशी, बोलीं- ये मेरी बड़ी जीत

विभाग की भी लापरवाही
स्कूल का हाल देखकर यह साफ है कि अधिकारी कभी इस स्कूल की सुध लेने पहुंचे ही नहीं हैं. वहीं अब जिला शिक्षा अधिकारी अर्जुन मेश्राम का कहना है कि ईटीवी भारत के माध्यम से उन्हें मामले की जानकारी मिली है. जिसके बाद वे जांच करेंगे और दोषी पाए जाने पर शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

कांकेर: कोयलीबेड़ा ब्लॉक में सरकारी स्कूल में एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. बताया जा रहा है, धुर नक्सल प्रभावित राजामुंडा गांव के स्कूल में पदस्थ दोनों शिक्षक बीते 2 महीने से स्कूल नहीं पहुचे हैं. इसके कारण स्कूल में 2 महीने से पढ़ाई ठप है.

स्कूल में 2 महीने से पढ़ाई ठप

जिला मुख्यालय से लगभग 150 किलोमीटर दूर नक्सलियों का गढ़ माने जाने वाले इस इलाके में अधिकारी कभी भी दौरे पर नहीं आते हैं. इसका फायदा यहां के लापरवाह शिक्षक जमकर उठा रहे हैं. ग्रामीणों के मुताबिक स्कूल में दो शिक्षक पदस्थ हैं, जिसमें से एक शिक्षक लंबोदर ठाकुर इस शिक्षा सत्र में एक दिन भी स्कूल नहीं पहुंचे हैं. वहीं एक अन्य शिक्षक कन्हैया लाल सलाम सत्र शुरू होने के बाद कुछ दिन तो आये, लेकिन फिलहाल 2 महीने से फरार बताये जा रहे हैं. ग्रामीणों के मुताबिक दोनों शिक्षक 15 अगस्त के दिन भी स्कूल नहीं पहुंचे थे. अब मामला सामने आने के बाद खंड शिक्षा अधिकारी जांच की बात कह रहे हैं.

बच्चों को नहीं मिल रहा है मध्याह्न भोजन
स्कूल में शिक्षकों के नहीं पहुंचने से पढ़ाई के साथ बच्चों को मध्याह्न भोजन भी नहीं मिल रहा है. लापरवाह शिक्षकों के कारण स्कूल भवन भी जर्जर हो चुकी है. ग्रामीण बताते हैं, स्कूल भवन का गेट हमेशा खुला रहता है. जिसके कारण यहां जानवर भी आते-जाते रहते हैं. कई बार बच्चों के साथ मवेशी भी क्लास में ही बैठे रहते हैं. स्कूल में भवन के साथ शौचालय का हाल भी बेहाल है.

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विभाग की भी लापरवाही
स्कूल का हाल देखकर यह साफ है कि अधिकारी कभी इस स्कूल की सुध लेने पहुंचे ही नहीं हैं. वहीं अब जिला शिक्षा अधिकारी अर्जुन मेश्राम का कहना है कि ईटीवी भारत के माध्यम से उन्हें मामले की जानकारी मिली है. जिसके बाद वे जांच करेंगे और दोषी पाए जाने पर शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

Intro:कांकेर - जिले के कोयलीबेड़ा ब्लॉक के एक स्कूल में बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई है , ब्लॉक के धुर नक्सल प्रभावित राजामुंडा गांव के स्कूल में पदस्थ दोनों शिक्षक पिछले 2 माह से स्कूल नही पहुचे है , जिससे यहां के बच्चो का भविष्य अब खतरे में नज़र आ रहा है । शिक्षा व्यवस्था को लेकर लाख दावे जरूर सरकार करती है लेकिन अंदरूनी इलाको में शिक्षा व्यवस्था की पोल खुलती नज़र आ रही है ।Body:जिला मुख्यालय से लगभग 150 किलोमीटर दूर नक्सलियों के गढ़ माने जाने वाले इस इलाके में अधिकारियों के दौरे पर नही आने का लाभ यहां के लापरवाह शिक्षक जमकर उठा रहे है , ग्रामीणों के अनुसार यहां दो शिक्षक पदस्थ है जिसमे से एक शिक्षक लंबोदर ठाकुर नए शिक्षा सत्र में एक दिन भी स्कूल नही पहुचे है , जबकि एक अन्य शिक्षक कन्हैया लाल सलाम कुछ दिन तो आये उसके बाद लगभग 2माह से वो भी गायब है , हद तो तब हो गई जब 15 अगस्त स्वतन्त्रता दिवस के दिन भी ये शिक्षक स्कूल नही पहुचे जिसके बाद ग्रामीणों ने स्कूल में तिरंगा फहराया था , पूरे मामले का खुलासा होने के बाद अब खंड शिक्षा अधिकारी मामले की जांच की बात कर रहे है ।

मध्यान भोजन भी नही मिलता बच्चो को
इस स्कूल में शिक्षकों के नही पहुचने से पढाई तो हो ही नही पाती इसके साथ ही बच्चो को मध्यान भोजन भी नसीब नही हो रहा है । हैरत की बात है कि इतने लंबे समय से शिक्षक स्कूल से नदारद है लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकरियों को इसकी भनक तक नही थी , अब जाकर जांच की बात कही जा रही है ।


स्कूल भवन की हो गई दुर्दशा
लापरवाह शिक्षकों ने स्कूल की दुर्दशा कर रखी है , स्कूल का भवन खुला पड़ा रहता है यहाँ ताला भी नही लगता , बच्चो के बैठकर पढाई करने की जगह में मवेशी घुसकर बैठे रहते है ।
स्कूल भवन बुरी तरह से जर्जर हो चुका है । भवन की दीवारो पर काई जम गई है । छत उड़ चुकी है । शौचालय का हाल बेहाल है ।Conclusion:विभाग की भी लापरवाही
स्कूल का हाल देखकर यह साफ है अधिकारी कभी इस स्कूल की सुध लेने पहुचे ही नही है , वही अब जिला शिक्षा अधिकारी अर्जुन मेश्राम का कहना है कि ईटीवी भारत के माध्यम से उन्हें मामले की जानकारी मिल रही है। मामले की जांच करवाई जाएगी और दोषी पाए जाने पर शिक्षकों पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी ,अब सवाल यह भी उठता है कि दफ्तरों में बैठकर शिक्षा व्यवस्था के दुरुस्त होने का झूठा दावा करने वाले इन अधिकारियों पर आखिर कार्यवाही कौन और कब करेगा ।

बाइट- पिले राम ग्रामीण

सगनु ग्रामीण

अर्जुन मेश्राम जिला शिक्षा अधिकारी
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