कांकेर : शनिवार को सुकमा में हुई मुठभेड़ में जो 17 जवान शहीद हुए, उन्हीं में से एक थे कांकेर जिले के डंवरखार गांव के जाबांज हेमंत पोया. हेमंत का पार्थिव शरीर सोमवार दोपहर उनके गृह ग्राम लाया गया, जिसे देख उनका परिवार टूट गया और आंसुओं के सैलाब से पूरा गांव तर हो गया. गार्ड ऑफ ऑनर देने के बाद शहीद का अंतिम संस्कार किया गया.
अधिकारियों ने दिया कंधा
सुकमा से हेलीकॉप्टर में शहीद जवान का शव कांकेर जंगलवार कॉलेज लाया गया, जहां से पार्थिव देह को गृह ग्राम पहुंचाया गया. शहीद के शव को एसपी समेत तमाम पुलिस अधिकारियों ने कंधा दिया.
बड़े भाई ने कहा था नौकरी छोड़कर घर आ जाओ
ग्रामीणों ने बताया कि हेमंत बेहद मिलनसार थे. जब भी वे गांव आते थे तो अपने सभी रिश्तेदारों, मित्रों से जरूर मिलते थे और सबकी मदद भी करते थे. वहीं हेमंत के बड़े भाई जीतेंद्र पोया ने बताया कि हेमंत जब भी नक्सल इलाकों में सर्चिंग के लिए जाते, उन्हें परिवार की चिंता होती. बड़े भाई ने हेमंत से नौकरी छोड़ने को कहा था, लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया और देश सेवा में जुटे रहे. बड़े भाई ने बताया कि हेमंत ने जन्मदिन पर आने का वादा किया था. छोटे भाई की बातों को याद कर जितेंद्र की आंखे बार-बार भर आ रही थीं. जितेंन्द्र ने आगे कहा कि उनका भाई बहुत बहादुर था.
सरकार नक्सलवाद का जल्द करे खात्मा
जवान शहीद के भाई जितेंद्र ने कहा कि सरकार को आगे बढ़कर नक्सलियों से अब बात करनी चाहिए. आखिर कब तक नक्सली बेगुनाह जवानों का यूं खून बहाते रहेंगे. उन्होंने कहा कि उन्हें अपने भाई पर गर्व है कि उनका भाई बहादुरी से लड़ते हुए शहीद हुआ है. जीतेन्द्र ने सरकार से अपील की है कि वे नक्सलियों से बात करें या फिर उन्हें मुहतोड़ जवाब देकर उनका खात्मा करें, जिससे किसी के घर का बेटा, भाई या पति यू अकेला उन्हें छोड़ कर न जाये.
चाचा की आंखें हुईं नम
जीतेंद्र ने बताया कि शहीद हेमंत ने जब फरवरी महीने में अपने घर आाए थे तब उसने सुकमा में नक्सली हालात पर चर्चा के दौरान अपने चाचा से कहा था कि अगर मैं कभी नक्सलियो से लड़ते हुए शहीद हो भी गया तो कम से कम 10 को मार के ही जाऊंगा. हेमंत ने अपने चाचा से यह भी कहा था कि यदि कभी नक्सलियों से लड़ते हुए वह शहीद हो जाते हैं तो घर के सामने उनकी मूर्ति बना दी जाए. इस बात को याद कर चाचा की आंखे भी भर आईं.
2013 में सीएएफ में भर्ती हुए थे हेमंत
हेमंत पोया 2013 में सीएएफ में भर्ती हुए थे, जिसके बाद 2015 में एसटीएफ में पदस्थ हो गए थे, हेमंत की पदस्थापना शुरू से ही सुकमा जिले में थी. वर्तमान में वह बुर्कापाल कैंप में पदस्थ थे.