कांकेर: छत्तीसगढ़ सरकार के चार साल का कार्यकाल पूरे होने के बाद भी गांव तक सड़कों का जाल नहीं बिछ पाया Many Villages of Kanker Are Away From Network Of Roads है. आज भी ग्रामीणों को कांकेर पहुंचने के लिए बदहाल सड़कों की समस्या से जूझना पड़ रहा Salhebhat villager protest against bad road in kanker है. मंगता साल्हेभाट के ग्रामीण जागेश्वर कोमरा का कहना था कि "ग्राम पंचायत मंगतासाल्हेभाट के आश्रित ग्राम पदबेड़ा राजस्व ग्राम है. इस गांव में सड़क नहीं है. मुख्य मार्ग से मात्र 3 किमी की दूर स्थिति है. साल 2020-21 में मनरेगा योजना के तहत मिट्टी का सड़क बनाया गया था. लेकिन रास्ते में 4 पुल है. जिसे नहीं बनाया गया है."
कई गांव सड़कों के जाल से दूर: बरसात के दिनों में लगभग 6 गांव के जनता आने जाने में तकलीफों का समाना करना पड़ता है. उस क्षेत्र के गांव एडानार, मसपुर, किलेनार, मलमेटा, फूलबाहरी और पदबेड़ा के ग्रामीणों को सड़क के कारण काफी समस्याओ का समाना करना पड़ता है. पदबेड़ा के ग्रामीण देवलाल कोमरा का कहना था कि "सड़क नहीं होने के चलते राशन दुकान से समान लाने ले जाने में बहुत दिक्कत होता है, अचानक कोई आपातकालीन सेवा लेने 108 वाहन बुलाने या गर्भवती माताओं को लाने ले जाने में समस्या होता है.
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प्रशासन ने दिया आश्वासन: एक अन्य ग्रामीण बाल सिंह दर्रो बताते हैं कि" इस मार्ग को निर्माण कराये जाने के लिए पहले भी प्रदेश के मुखिया भुपेश बघेल को जन चौपाल कार्यक्रम पोण्डगांव में आवेदन दिया गया था. लेकिन हमारी समस्यायों को ध्यान नहीं दिया गया. कांकेर कलेक्ट्रेड पहुंचे ग्रामीणों को कलेक्टर कांकेर डॉ. प्रियंका शुक्ला ने आश्वासन देते हुए कहा है कि जल्द उनकी समस्यों का निराकरण किया जाएगा."