कांकेर: कांकेर के सरोना इलाके में पेड़ों की कटाई का मामला सामने आया है. यहां किसान व्यापारी पर हरे पेड़ों को कटवाने का आरोप लगा है. इस घटना के बाद कांकेर के अधिकारियों पर लेट से हरकत में आने का आरोप लग रहा है. मीडिया के साथ ग्रामीण बड़ी संख्या में ग्राम पंचायत ठेमा पहुंचे. गांववालों ने बताया कि यहां सरोना निवासी व्यापारी अपनी खुद की जमीन की आड़ में सरकारी भूमि पर लगे विशालकाय पेड़ों को कटवा रहा है. लेकिन इस मामले में अधिकारी मौन हैं. Chhattisgarh new govt
गांव वालों ने ईटीवी भारत को दी जानकारी: ठेमा के ग्रामीणों ने ETV भारत से इस बारे में बात की है. उन्होंने कटे हुए पेड़ के तनों और ठूंठ को दिखाया. गांव वालों ने व्यापारी पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.
"व्यापारी ने तीस साल पहले भूमि की खरीदी की थी. उसने अब तक इसका नामांकन नहीं कराया है. उसकी निजी भूमि से लगी हुई सरकारी भूमि है. सरोना का एक किसान व्यापारी अचानक सरकारी भूमि के पेड़ों को कटवाने का काम कर रहे हैं. जब हमने पेड़ों को काटे जाने का विरोध किया तो उसने और उसके मजदूरों ने हमें मौके से भगा दिया. उसके बाद इस बात की सूचना राजस्व विभाग, पटवारी और सरोना के अधिकारियों को दी गई": ठेमा गांव के ग्रामीण
हरे पेड़ों की कटाई पर अब तक नहीं लगी रोक: ग्रामीणों का आरोप है कि दो दिनों से लगातार हरे पेड़ों को काटा जा रहा है. लेकिन अब तक हरे पेड़ों की कटाई पर कोई रोक नहीं लगी है. लेकिन इस केस में अब तक राजस्व विभाग और दूसरे सरकारी विभाग के अधिकारी हरकत में नहीं आए हैं. न ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची है. आखिर जंगलों की पेड़ों की कटाई का मामला कब थमेगा.
गुस्से में वन समिति प्रबंधन और गांव के पंच: ठेमा वन समिति के अध्यक्ष महेश कुमार भास्कर ने कहा कि, वह वन समिमि के अध्यक्ष हैं. सरोना के किसान व्यापारी ने तीस से अधिक पेड़ों को काटा है. जिन पेड़ों को काटा गया वह सरकारी भूमि पर थे. हरे पेड़ों को काटने के लिए अनुमति भी नहीं ली है. वार्ड पंच राजकुमार भास्कर ने कहा कि सरोना के किसान का ठेमा में जमीन तो है लेकिन वह सरकारी भूमि में अतिक्रमण कर पेड़ों को काट रहा है. महिलाओं ने भी इस घटना पर विरोध जताया है.
वन विभाग के अधिकारी दे रहे गोल मोल जवाब: वहीं पूरे मामले को लेकर सरोना परिक्षेत्र अधिकारी सीएस भंडारी ने बताया कि यह निजी जमीन है. पेड़ों को काटने वाला सरोना का है. उसको 1 बीजा और 9 साल पेड़ काटने का आदेश दिया गया था.उसकी कटाई वन विभाग की तरफ से की जा रही है. उसके बगल में ही एक अन्य का जमीन है, उनको लग रहा है कि उनके जमीन का पेड़ काटा जा रहा है. उसका सीमांकन कराया जाएगा. वन भूमि में कोई पेड़ नहीं काटा है. परिक्षेत्र अधिकारी ने कहा कि जमीन का निरीक्षण हुआ है. उस समय मेरी यहां पोस्टिंग नहीं हुई थी. सीमांकन के बाद गांव को सामुदायिक वन संसाधन पत्र मिला है. इसीलिए ग्राम सभा से कोई प्रस्ताव नहीं है न ही हमने पंचायत में इसकी सूचना दी है.
गांव वालों ने दी आंदोलन की चेतावनी: ग्रामीणों का आरोप है कि" गांव से बाहर का व्यक्ति इस तरह से अतिक्रमण कर सरकारी जमीन को अपने खेत में मिलाना चाह रहा है. ऐसे में ग्राम पंचायत ठेमा को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है. साथ ही में पर्यावरण की क्षति हो रही है". इसलिए गांव वाले व्यापारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. अगर इस मामले में प्रशासन कार्रवाई नहीं करता है तो गांव वालों ने आंदोलन की धमकी दी है.