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'टापू' बनने से पहले कांकेर और नारायणपुर के 40 गांव में पहुंचा राशन, ग्रामीणों ने कहा- रोड तो बनवा दीजिए

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Published : Jun 29, 2021, 7:56 PM IST

बारिश के दौरान राशन कार्डधारी (ration card holder) हितग्राहियों को राशन और केरोसिन (Ration and Kerosene) आसानी से मिल जाए, इसके लिए 40 उचित मूल्य की दुकानों (PDS shop) में जून से सितंबर तक के लिए राशन का भंडारण किया जाता है. बारिश के पहले ही प्रशासन की कोशिश होती है कि ग्रामीण आबादी तक खाद्य सामग्री और दवाइयां सुरक्षित रूप से पहुंचा दी जाएं, जिससे उन्हें भटकना न पड़े.

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कांकेर में पहुंचा राशन

कांकेर: बारिश के दौरान उत्तर बस्तर कांकेर (Kanker) के 40 गांव ऐसे हैं, जो टापू में बदल जाते हैं. 4 महीने बारिश के मौसम तक गांव सड़कों और जिला मुख्यालय से बिल्कुल कट जाते हैं. यही वजह है कि आवागमन पूरी तरह से रुक जाता है और लोगों को जरूरत की चीजों के लिए भी भटकना पड़ता है. नक्सल प्रभावित (Naxal affected area of Kanker) इन गांवों में राशन की व्यवस्था (ration) करना भी प्रशासन के लिए चुनौती होती है. बारिश के पहले ही प्रशासन की कोशिश होती है कि ग्रामीण आबादी तक राशन और दवाइयां सुरक्षित रूप से पहुंचा दी जाएं, जिससे उन्हें भटकना न पड़े.

कांकेर और नारायणपुर के 40 गांव में पहुंचा राशन

बारिश के दौरान राशन कार्डधारी हितग्राहियों को राशन और केरोसिन आसानी से मिल जाए, इसके लिए 40 उचित मूल्य की दुकानों (PDS shop) में जून से सितंबर तक के लिए राशन का भंडारण किया जाता है. इसमें कांकेर जिले की 36 और नारायणपुर जिले की 4 उचित मूल्य दुकानें शामिल हैं.

कांकेर के कोयलीबेड़ा में बदहाल शिक्षा व्यवस्था को लेकर बड़ा प्रदर्शन, 68 गांवों के ग्रामीणों ने रखी ये मांगें

कलेक्टर ने क्या कहा ?

कांकेर कलेक्टर चंदन कुमार ने बताया कि राशन कार्डधारियों के लिए उचित मूल्य की दुकानों में 17,187 क्विंटल 63 किलोग्राम चावल, 391 क्विंटल 80 किलोग्राम शक्कर, 783 क्विंटल 65 किलोग्राम नमक, 682 क्विंटल 42 किलोग्राम गुड़, 726 क्विंटल 39 किलोग्राम चना और 32 हजार लीटर केरोसीन का भंडारण किया गया है.

किस जिले के कितने लोगों को मिलेगा राशन और केरोसिन ?

विकासखण्ड दुर्गूकोंदल (Block Durgukondal) की 12, अंतागढ़ के 11, पखांजूर की 13 और नारायणपुर जिले की 4 पहुंचविहीन शासकीय उचित मूल्य की दुकानों को चिन्हांकित कर राशन भंडारण कर दिया गया है. कांकेर जिले की 36 उचित मूल्य दुकानों में 9 हजार 906 और नारायणपुर जिले की 4 उचित मूल्य की दुकानों में 657 राशन कार्डधारियों को राशन और केरोसिन दिया जाएगा.

  • दुर्गूकोंदल विकासखण्ड के 12 उचित मूल्य की दुकानें सराधुघमरे, गुदुम, पचांगी, कोड़ेकुर्से, बांगाचार, कराकी, चाउरगांव, गोडपाल, कोन्डरूंज, पाउरखेड़ा, करकापाल और ओटेकसा के उचित मूल्य की दुकानों में खाद्यान्न भंडारण किया गया है.
  • इसी प्रकार विकासखण्ड अंतागढ़ के 11 उचित मूल्य की दुकानें, एडनार, देवगांव, सरण्डी, जेठेगांव, कोसरोण्डा, बंडापाल, अर्रा, करमरी, मातला , आलानार और मुल्ले में राशन भंडारण हो चुका है.
  • कोयलीबेड़ा विकासखण्ड की 13 उचित मूल्य की दुकानें परलकोट सह विपणन संस्था रेंगावाही, कंदाड़ी, माचपल्ली, ताडवायली, मुरावण्डी, पोरोन्डी, कड़मे, कामतेड़ा, केसेकोड़ी, पानीडोबीर, सितरम, छोटेबोदली और दवड़ीसालेभाठ गांव में ग्रामीणों के लिए राशन भंडारण कर दिया जाता है.

नारायणपुर में कांकेर से क्यों पहुंचाया जाता है राशन ?

कांकेर के पड़ोसी जिले नारायणपुर के चार गांव आदानार, पांगुड़, गोमे और कोंगे में भी कांकेर से ही बरसात के दिनों के लिए राशन पहुंचाया जाता है, जिससे यहां के ग्रामीणों को राशन की परेशानी न हो. ये सभी कांकेर जिले के बॉर्डर गांव हैं. बीहड़ नक्सल प्रभावित होने के चलते गर्मी के दिनों में कांकेर जिले से ही राशन का भंडारण कर दिया जाता है.

राशन तो मिलता है लेकिन परेशानी कम नहीं होती

ग्रामीणों ने बताया कि नदी-नाले बरसात में उफान पर रहते हैं. इस वजह से आने-जाने में परेशानी होती है. उनका कहना था कि राशन चार महीने का एक साथ ले लेते हैं, जिससे बारिश के दिनों में दिक्कत नहीं होती है. जनप्रतिनिधियों और गांववालों का कहना है कि कई बार उन्होंने अपने-अपने गांव में रोड बनवाने की मांग की लेकिन अब तक काम नहीं हुआ.

कांकेर: बारिश के दौरान उत्तर बस्तर कांकेर (Kanker) के 40 गांव ऐसे हैं, जो टापू में बदल जाते हैं. 4 महीने बारिश के मौसम तक गांव सड़कों और जिला मुख्यालय से बिल्कुल कट जाते हैं. यही वजह है कि आवागमन पूरी तरह से रुक जाता है और लोगों को जरूरत की चीजों के लिए भी भटकना पड़ता है. नक्सल प्रभावित (Naxal affected area of Kanker) इन गांवों में राशन की व्यवस्था (ration) करना भी प्रशासन के लिए चुनौती होती है. बारिश के पहले ही प्रशासन की कोशिश होती है कि ग्रामीण आबादी तक राशन और दवाइयां सुरक्षित रूप से पहुंचा दी जाएं, जिससे उन्हें भटकना न पड़े.

कांकेर और नारायणपुर के 40 गांव में पहुंचा राशन

बारिश के दौरान राशन कार्डधारी हितग्राहियों को राशन और केरोसिन आसानी से मिल जाए, इसके लिए 40 उचित मूल्य की दुकानों (PDS shop) में जून से सितंबर तक के लिए राशन का भंडारण किया जाता है. इसमें कांकेर जिले की 36 और नारायणपुर जिले की 4 उचित मूल्य दुकानें शामिल हैं.

कांकेर के कोयलीबेड़ा में बदहाल शिक्षा व्यवस्था को लेकर बड़ा प्रदर्शन, 68 गांवों के ग्रामीणों ने रखी ये मांगें

कलेक्टर ने क्या कहा ?

कांकेर कलेक्टर चंदन कुमार ने बताया कि राशन कार्डधारियों के लिए उचित मूल्य की दुकानों में 17,187 क्विंटल 63 किलोग्राम चावल, 391 क्विंटल 80 किलोग्राम शक्कर, 783 क्विंटल 65 किलोग्राम नमक, 682 क्विंटल 42 किलोग्राम गुड़, 726 क्विंटल 39 किलोग्राम चना और 32 हजार लीटर केरोसीन का भंडारण किया गया है.

किस जिले के कितने लोगों को मिलेगा राशन और केरोसिन ?

विकासखण्ड दुर्गूकोंदल (Block Durgukondal) की 12, अंतागढ़ के 11, पखांजूर की 13 और नारायणपुर जिले की 4 पहुंचविहीन शासकीय उचित मूल्य की दुकानों को चिन्हांकित कर राशन भंडारण कर दिया गया है. कांकेर जिले की 36 उचित मूल्य दुकानों में 9 हजार 906 और नारायणपुर जिले की 4 उचित मूल्य की दुकानों में 657 राशन कार्डधारियों को राशन और केरोसिन दिया जाएगा.

  • दुर्गूकोंदल विकासखण्ड के 12 उचित मूल्य की दुकानें सराधुघमरे, गुदुम, पचांगी, कोड़ेकुर्से, बांगाचार, कराकी, चाउरगांव, गोडपाल, कोन्डरूंज, पाउरखेड़ा, करकापाल और ओटेकसा के उचित मूल्य की दुकानों में खाद्यान्न भंडारण किया गया है.
  • इसी प्रकार विकासखण्ड अंतागढ़ के 11 उचित मूल्य की दुकानें, एडनार, देवगांव, सरण्डी, जेठेगांव, कोसरोण्डा, बंडापाल, अर्रा, करमरी, मातला , आलानार और मुल्ले में राशन भंडारण हो चुका है.
  • कोयलीबेड़ा विकासखण्ड की 13 उचित मूल्य की दुकानें परलकोट सह विपणन संस्था रेंगावाही, कंदाड़ी, माचपल्ली, ताडवायली, मुरावण्डी, पोरोन्डी, कड़मे, कामतेड़ा, केसेकोड़ी, पानीडोबीर, सितरम, छोटेबोदली और दवड़ीसालेभाठ गांव में ग्रामीणों के लिए राशन भंडारण कर दिया जाता है.

नारायणपुर में कांकेर से क्यों पहुंचाया जाता है राशन ?

कांकेर के पड़ोसी जिले नारायणपुर के चार गांव आदानार, पांगुड़, गोमे और कोंगे में भी कांकेर से ही बरसात के दिनों के लिए राशन पहुंचाया जाता है, जिससे यहां के ग्रामीणों को राशन की परेशानी न हो. ये सभी कांकेर जिले के बॉर्डर गांव हैं. बीहड़ नक्सल प्रभावित होने के चलते गर्मी के दिनों में कांकेर जिले से ही राशन का भंडारण कर दिया जाता है.

राशन तो मिलता है लेकिन परेशानी कम नहीं होती

ग्रामीणों ने बताया कि नदी-नाले बरसात में उफान पर रहते हैं. इस वजह से आने-जाने में परेशानी होती है. उनका कहना था कि राशन चार महीने का एक साथ ले लेते हैं, जिससे बारिश के दिनों में दिक्कत नहीं होती है. जनप्रतिनिधियों और गांववालों का कहना है कि कई बार उन्होंने अपने-अपने गांव में रोड बनवाने की मांग की लेकिन अब तक काम नहीं हुआ.

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