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एक ऐसा गांव जहां दीवारें सिखाती हैं क ख ग

आइए चलें वहां, जहां दीवारें क ख ग बोलती हैं...ABCD पढ़ाती हैं...और गणित सिखाती हैं. आइए चलें छत्तीसगढ़ के उस नक्सल प्रभावित इलाके में जहां गांव की दीवारें स्टडी बोर्ड बन गई हैं. जहां बच्चे खेलते-कूदते पढ़ाई कर रहे हैं.

Village wall become black board
ये दीवारें बनी ब्लैक बोर्ड
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Published : Apr 3, 2021, 7:43 PM IST

Updated : Apr 3, 2021, 9:55 PM IST

कांकेर: नरहरपुर ब्लॉक की हर ग्राम पंचायत की दीवारें आपको स्टडी बोर्ड की तरह नजर आएंगी. कहीं आपको ककहरा लिखा मिलेगा, तो कहीं अंग्रेजी के अल्फाबेट, कहीं बच्चे गणित पढ़ते मिलेंगे तो कहीं फलों के नाम रटते. गांव की गलियों, चौराहों में घरों और स्कूलों की दीवारों पर ज्ञान मिलेगा. कोरोना के मुश्किल वक्त में भी बच्चों की पढ़ाई न छूटने पाए इसके लिए प्रिंट रिच का सहारा लिया गया है. क्या है ये प्रिंट रिच और छात्र-छात्राओं को इससे क्या फायदा हो रहा है देखिए ETV भारत की इस रिपोर्ट में.

दीवारें बनी ब्लैक बोर्ड

नरहरपुर ब्लाक की हर ग्राम पंचायत की दीवारों पर हिन्दी, इंग्लिश, गणित और सामान्य ज्ञान की वॉल पेंटिंग की जा रही है. गलियों और चौराहों से गुजरते बच्चे इसे देख कर पढ़ाई कर रहे हैं. गांव के चौक-चौराहों, दुकानों और सामुदायिक नल पर जहां बच्चे आसानी से पहुंचते हैं, वहां दीवारों पर क ख ग, अंग्रेजी के शब्दों, पहाड़ों के साथ-साथ फलों के नाम लिखे जा रहे हैं. इसका असर भी देखने को मिल रहा है. बच्चों ने ETV भारत से बताया कि वो दीवारें देख कर पढ़ते हैं और उन्हें अच्छा लगता है.

wall of the street of Dhamtari became Black board
दीवारों से पढ़ते बच्चे

SPECIAL: बस्तर की भाटपाल पंचायत में बजता है लाउडस्पीकर, पढ़ते हैं बच्चे, गढ़ते हैं भविष्य

प्रिंट रिच बना अच्छा ऑप्शन

कोरोना वायरस के संक्रमण ने बच्चों की पढ़ाई पर बहुत असर डाला है. स्कूल, कॉलेज बंद हो गए हैं. एक साल से स्टूडेंट्स ऑनलाइन क्लासेस ले रहे हैं. ऐसे में शासन ने प्रिंट रिच के जरिए बच्चों का नॉलेज बढ़ाने की पहल की है. संकुल समन्वयक गुप्तेश सलाम ने बताया कि प्रिंट रिच (वॉल पेंट) से बच्चे खेलते-खेलते पढ़ाई से जुड़े रहेंगे. बच्चे अपने परिवेश से बहुत कुछ ज्ञान की बातें सीखते हैं. प्रिंट रिच के जरिए स्टूडेंट्स की पढ़कर सीखने की क्षमता बढ़ेगी. परिवारवाले और ग्रामीण भी सीख पाएंगे.

wall of the street of Dhamtari became Black board
प्रिंट रिच

बच्चों को अपनी तरफ खींचते हैं रंग-बिरंगे अक्षर

ग्राम पंचायत पंडरीपानी के विद्यालय के प्रधानाध्यापक सहदेव कुंजाम ने ETV भारत को बताया कि जब बच्चे खेलने के लिए बाहर निकलते हैं तो दीवारों पर लिखी बातें पढ़ते हैं. एक तरह से खेल-खेल में पढ़ना उनके जीवन का अंग बन गया है. कुंजाम कहते हैं कि दीवारों पर लिखे रंग-बिरंगे अक्षर बच्चों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं. उनकी नजर दीवारों पर जाती है और इस तरह वे कुछ न कुछ सीखते हैं. प्रधान अध्यापक का कहना है कि प्रिंट रिच कोरोना के वक्त में छात्र-छात्राओं के लिए वरदान से कम नहीं है.

wall of the street of Dhamtari became Black board
प्रिंट रिच

SPECIAL: मिलिए कांकेर के गणित शिक्षक से, ऑनलाइन क्लास में प्रदेश भर के छात्रों को जोड़ा

पालक भी पढ़ कर बढ़ा रहे हैं ज्ञान
पंडरीपानी गांव में रहने वाली पालक रामेश्वरी मंडावी ETV भारत से कहती हैं कि स्कूल बंद हैं. मोहल्ला क्लास 2 घंटे लगती है. लेकिन खेलने निकले बच्चे दीवारों पर लिखी चीजें पढ़ते हैं. रामेश्वरी कहती हैं कि उन्हें खुद इस बारे में जानकारी नहीं थी लेकिन बाजार जाते वक्त उन्हें दीवारों पर गिनती नजर आई. वे कहती हैं गिनती और जोड़-घटाना लिखा था, जिसे बच्चे ही नहीं बल्कि बड़े भी पढ़ रहे हैं. एक और पालक ने कहा कि कई बार बच्चे पढ़ते हैं और उन्हें समझ में नहीं आतो तो आपस में एक-दूसरे से पूछते हैं. अपने माता-पिता से भी जो चीजें समझ में नहीं आती हैं, उस विषय में सवाल करते हैं. इस तरह उनकी नॉलेज बढ़ती है.

कांकेर: नरहरपुर ब्लॉक की हर ग्राम पंचायत की दीवारें आपको स्टडी बोर्ड की तरह नजर आएंगी. कहीं आपको ककहरा लिखा मिलेगा, तो कहीं अंग्रेजी के अल्फाबेट, कहीं बच्चे गणित पढ़ते मिलेंगे तो कहीं फलों के नाम रटते. गांव की गलियों, चौराहों में घरों और स्कूलों की दीवारों पर ज्ञान मिलेगा. कोरोना के मुश्किल वक्त में भी बच्चों की पढ़ाई न छूटने पाए इसके लिए प्रिंट रिच का सहारा लिया गया है. क्या है ये प्रिंट रिच और छात्र-छात्राओं को इससे क्या फायदा हो रहा है देखिए ETV भारत की इस रिपोर्ट में.

दीवारें बनी ब्लैक बोर्ड

नरहरपुर ब्लाक की हर ग्राम पंचायत की दीवारों पर हिन्दी, इंग्लिश, गणित और सामान्य ज्ञान की वॉल पेंटिंग की जा रही है. गलियों और चौराहों से गुजरते बच्चे इसे देख कर पढ़ाई कर रहे हैं. गांव के चौक-चौराहों, दुकानों और सामुदायिक नल पर जहां बच्चे आसानी से पहुंचते हैं, वहां दीवारों पर क ख ग, अंग्रेजी के शब्दों, पहाड़ों के साथ-साथ फलों के नाम लिखे जा रहे हैं. इसका असर भी देखने को मिल रहा है. बच्चों ने ETV भारत से बताया कि वो दीवारें देख कर पढ़ते हैं और उन्हें अच्छा लगता है.

wall of the street of Dhamtari became Black board
दीवारों से पढ़ते बच्चे

SPECIAL: बस्तर की भाटपाल पंचायत में बजता है लाउडस्पीकर, पढ़ते हैं बच्चे, गढ़ते हैं भविष्य

प्रिंट रिच बना अच्छा ऑप्शन

कोरोना वायरस के संक्रमण ने बच्चों की पढ़ाई पर बहुत असर डाला है. स्कूल, कॉलेज बंद हो गए हैं. एक साल से स्टूडेंट्स ऑनलाइन क्लासेस ले रहे हैं. ऐसे में शासन ने प्रिंट रिच के जरिए बच्चों का नॉलेज बढ़ाने की पहल की है. संकुल समन्वयक गुप्तेश सलाम ने बताया कि प्रिंट रिच (वॉल पेंट) से बच्चे खेलते-खेलते पढ़ाई से जुड़े रहेंगे. बच्चे अपने परिवेश से बहुत कुछ ज्ञान की बातें सीखते हैं. प्रिंट रिच के जरिए स्टूडेंट्स की पढ़कर सीखने की क्षमता बढ़ेगी. परिवारवाले और ग्रामीण भी सीख पाएंगे.

wall of the street of Dhamtari became Black board
प्रिंट रिच

बच्चों को अपनी तरफ खींचते हैं रंग-बिरंगे अक्षर

ग्राम पंचायत पंडरीपानी के विद्यालय के प्रधानाध्यापक सहदेव कुंजाम ने ETV भारत को बताया कि जब बच्चे खेलने के लिए बाहर निकलते हैं तो दीवारों पर लिखी बातें पढ़ते हैं. एक तरह से खेल-खेल में पढ़ना उनके जीवन का अंग बन गया है. कुंजाम कहते हैं कि दीवारों पर लिखे रंग-बिरंगे अक्षर बच्चों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं. उनकी नजर दीवारों पर जाती है और इस तरह वे कुछ न कुछ सीखते हैं. प्रधान अध्यापक का कहना है कि प्रिंट रिच कोरोना के वक्त में छात्र-छात्राओं के लिए वरदान से कम नहीं है.

wall of the street of Dhamtari became Black board
प्रिंट रिच

SPECIAL: मिलिए कांकेर के गणित शिक्षक से, ऑनलाइन क्लास में प्रदेश भर के छात्रों को जोड़ा

पालक भी पढ़ कर बढ़ा रहे हैं ज्ञान
पंडरीपानी गांव में रहने वाली पालक रामेश्वरी मंडावी ETV भारत से कहती हैं कि स्कूल बंद हैं. मोहल्ला क्लास 2 घंटे लगती है. लेकिन खेलने निकले बच्चे दीवारों पर लिखी चीजें पढ़ते हैं. रामेश्वरी कहती हैं कि उन्हें खुद इस बारे में जानकारी नहीं थी लेकिन बाजार जाते वक्त उन्हें दीवारों पर गिनती नजर आई. वे कहती हैं गिनती और जोड़-घटाना लिखा था, जिसे बच्चे ही नहीं बल्कि बड़े भी पढ़ रहे हैं. एक और पालक ने कहा कि कई बार बच्चे पढ़ते हैं और उन्हें समझ में नहीं आतो तो आपस में एक-दूसरे से पूछते हैं. अपने माता-पिता से भी जो चीजें समझ में नहीं आती हैं, उस विषय में सवाल करते हैं. इस तरह उनकी नॉलेज बढ़ती है.

Last Updated : Apr 3, 2021, 9:55 PM IST
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