कांकेर: मार्च महीने के साथ गर्मी ने अपने तेवर दिखाना शुरू कर दिया है. जिसके चलते वन क्षेत्र में वन्य प्राणियों को प्यास बुझाने के लिए पानी की आवश्यकता भी बढ़ गई है. गर्मी के चलते वन क्षेत्र के जल स्रोत सूखने लगे हैं. जल स्रोतों के सूखने पर गर्मी के दिनों में पानी की तलाश में वन्य प्राणी रिहायशी बस्ती तक आ जाते हैं. जिसके चलते कई हादसे भी होते रहे हैं. पानी के लिए वन्य जीवों का पलायन रोकने और उनकी प्यास बुझाने के लिए वन विभाग ने वन क्षेत्र में कुछ तालाब खुदवाए. लेकिन ये तालाब नाकाफी नजर आ रहे हैं. गर्मी का मौसम शुरू होने के पहले ही गढ़िया पहाड़ के नीचे बना तालाब करीब-करीब सूख चुका है.
गर्मी शुरू होते ही जल स्रोत तेजी से सूख रहे हैं. खासकर पहाड़ी क्षेत्र में तो जल स्रोत और भी तेजी से सूख रहा है. उनमें नाममात्र का पानी ही रह गया है. वन विभाग ने सिंगारभाठ और गोवर्धन गांव में वन्यजीवों को पानी उपलब्ध कराने के लिए इसी तरह से तालाब का निर्माण कराया था. लेकिन गर्मी के चलते इन तालाबों की स्थिति भी बेहतर नजर नहीं आ रही है. सिंगारभाठ तालाब में नाम मात्र का पानी बचा है. इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले एक-दो हफ्ते में तालाब पूरी तरह सूख जाएगा. इन तालाबों में पानी भरने और जल स्तर को बनाए रखने के लिए अब तक वन विभाग की ओर से कोई प्रबंध नहीं किए हैं. ऐसे में गर्मी के मौसम में वन्य प्राणियों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
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बस्तियों में घुस रहे वन्यप्राणी
पानी की तलाश में वन्य प्राणी जंगलों से बाहर बस्तियों का रुख कर रहे हैं. पानी की तलाश में पहुंचने वाले कुछ वन्य प्राणी पालतु पशुओं को अपना शिकार बना लेते हैं. तो कई बार इंसान भी उनका शिकार हो जाते हैं. क्षेत्र में प्रवाहित होने वाली नदियां भी सूख गई हैं. अन्य दिनों में नदी नालों में भी वन्य प्राणियों को पानी उपलब्ध हो जाया करता था. लेकिन अब इनके सूख जाने से जल संकट और भी ज्यादा गहरा गया है.