कांकेरः जिला मुख्यालय से करीब 14 किलोमीटर दूर मर्दापोटी गांव में दो बैनर पिछले 3 दिनों से बंधे हुए हैं. जिसमें तेंदूपत्ता की कीमत और कर्मचारियों का मानदेय बढ़ाने जैसी मांग की गई है. कांकेर पुलिस ने बैनर को नक्सली बैनर मानने से इनकार किया है.
बैनर लगाकर मानदेय बढ़ाने की मांग
मर्दापोटी गांव के दोनों छोर पर दो बैनर बंधे हुए मिले हैं. एक बैनर में तेंदूपत्ता के दाम बढ़ाने की मांग की गई है. दूसरे बैनर में कर्मचारियों की मानदेय बढ़ाने की मांग की गई है. बूटा कटाई मजदूरी 400 रुपए करने के लिए आंदोलन तेज करने की बात लिखी गई है. साथ ही चपरासी, प्रबंधक, मुंशी समेत अन्य कर्मचारियों का मानदेय बढ़ाने संघर्ष करने जैसी बातें लिखी गई है.
दूसरे बैनर में तेंदूपत्ता की कीमत बढ़ाने की मांग
वहीं गांव के दूसरे छोर पर बैनर लगाकर तेंदुपत्ता की प्रति सैकड़ा कीमत 500 रुपए करने की मांग की गई है. तेंदूपत्ता तोड़ाई के दौरान होने वाले मौत पर 6 लाख 50 हजार रुपए का मुआवजा की मांग की गई है. गंभीर रूप से घायल होने पर 4 लाख 50 हजार रुपए का मुआवजा और मामूली रूप से घायल होने पर 10 हजार के मुआवजे की मांग की गई है. दोनों ही बैनर तेंदूपत्ता संघर्ष समिति के नाम से जारी किए गए हैं. बरामद बैनर में नक्सलियों की किसी कमेटी का जिक्र नहीं है. लेकिन बैनर पूरी तरह से नक्सलियों के पैटर्न पर लिखे गए हैं.
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एडिशनल एसपी ने दी जानकारी
एडिशनल एसपी गोरखनाथ बघेल ने बताया कि प्रथम दृष्टया बरामद बैनर नक्सलियों का नहीं लग रहा है. नक्सली अक्सर लाल रंग के कपड़े में सफेद स्याही से लिख कर बैनर लगाते हैं. साथ ही नक्सली अपने समिति का भी जिक्र करते हैं. लेकिन जब्त बैनर में देखने को मिल रहा है कि, बैनर सफेद रंग के कपड़े और ब्लैक कलर के स्याही से लिखा हुआ है. एडिशनल एसपी कहा कि बैनर पर तेंदूपत्ता संघर्ष समिति लिखा हुआ है. एक तरह से यह बैनर संदिग्ध स्थिति में टंगा हुआ मिला है, जिसकी पत्तासाजी की जा रही है.