पखांजूर: कांकेर जिले के परलकोट क्षेत्र में भी इस बार नवरात्र और दशहरा फीका ही रहा. कोरोना काल में न लोग दुर्गा पूजा का आनंद ले पाए और न ही व्यापारियों का बिजनेस हुआ. अनुमान के मुताबिक पखांजूर में इस साल सिर्फ 40 प्रतिशत व्यापार हुआ.
दुर्गा पूजा में सिर्फ 40 प्रतिशत व्यापार
कोरोना काल में एक के बाद एक त्योहार खत्म होते जा रहे है, लेकिन न तो पहले जैसी रौनक दिख रही है और न ही त्योहारों से बाजार की उम्मीद करने वालों को पहले की तरह ग्राहकी मिल रही हैं. ऐसा ही कुछ इस साल के दुर्गा पूजा में भी हुआ. हर साल दुर्गा पूजा में लाखों-करोड़ों का बाजार करने वाले व्यापारियों को इस साल काफी नुकसान उठाना पड़ा है. कपड़ा मार्केट, मिठाई दुकान, बाइक शोरूम, खिलौने किसा के भी बाजार को ग्राहक नहीं मिल पाएं.
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कोरोना काल की दुर्गा पूजा
देश में वेस्ट बंगाल के बाद सबसे ज्यादा बंगाली समुदाय की आबादी वाला क्षेत्र कांकेर जिले के परलकोट क्षेत्र को माना जाता हैं. परलकोट के 133 गांव में बंगाली समुदाय बसा हुआ है. जो बड़ी धूमधाम से दुर्गा पूजा मनाते हैं. इस दौरान परिवार के हर सदस्य नए कपड़े लेते है. पंडालों को भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से सजाया जाता है. षष्टी से विजय दशमी तक इस दौरान हर रोज सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता था, लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के कारण कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किए गए. इस साल पंडाल भी काफी छोटे बनाए गए. जिससे न तो सजावट हुई और न ही बाजार सजा. जिससे व्यापारियों को इस साल काफी नुकसान उठाना पड़ा.
व्यापारियों को 60 प्रतिशत नुकसान
व्यापारियों ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस साल 40 फीसदी व्यापार हुआ है. यानी व्यापारियों को पिछले साल की तुलना में 60 फीसदी नुकसान पहुंचा है. दुर्गा पूजा के बाजार से व्यापारियों को हुए लाखों के नुकसान के बाद परलकोट के व्यापारियों में दिवाली के बाजार पर भी कोरोना की मार का डर बना हुआ है.
नहीं बिकी बाइक्स
पखांजूर के बजाज बाइक शोरूम के मालिक मिथुन चक्रवर्ती ने ETV भारत से चर्चा में बताया कि इस साल पिछले साल की तुलना में काफी नुकसान उठाना पड़ा है. शोरूम में लगभग 20 कर्मचारी काम करते है, जिनका वेतन देना भी भारी पड़ रहा है.
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मिठाई दुकानों में ग्राहकों का इंतजार
वहीं मिठाई दुकान के मालिक रतन दास ने भी निराश होकर बताया कि हर साल दुर्गा पूजा के समय आधी रात तक ग्राहकों की भीड़ लगी रहती थी, लेकिन इस साल ग्राहकों का इंतजार करना पड़ा है. कपड़ा व्यापारी आशीष बसाक ने बताया कि पिछले साल 10 से 12 लाख रुपये के कपड़ा का व्यापार हुआ था. लेकिन इस साल मात्र 4 लाख रुपये का कपड़ा बिका हैं. भारी मात्रा में मंगाया हुआ कपड़ा दुकान में पड़ा हुआ है. दिवाली बाजार से भी अब उम्मीद नहीं है.
खिलौना व्यापारियों को नुकसान
न पूजा ठीक से हुई और न ही मेला लगा. जिससे खिलौना व्यापारियों को भी काफी नुकसान झेलना पड़ा है. खिलौना व्यापारियों ने बताया कि दिवाली में यहां कोई मेला नहीं लगता है. जिससे अब उन्हें मकर संक्रांति तक का इंतजार करना पड़ेगा.
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