कांकेर : नक्सलियो के शहीदी सप्ताह (Naxalite Martyrdom Week) के पहले ही दिन नक्सली बैनर पोस्टर के माध्यम से दहशत फैलाने का काम कर रहे हैं. इस बीच नक्सलियों के उत्तर बस्तर डिवीजन (North Bastar Division of Naxalites issued pamphlets) ने पर्चा जारी कर बीजेपी और कांग्रेस के बड़े नेताओ को निशाने पर लिया है. नक्सलियों ने अन्तागढ़ के विधायक अनूप नाग (Antagarh MLA Anoop Nag threatened), पूर्व भाजपा विधायक भोजराज नाग और पूर्व सासंद विक्रम उसेंडी को आदिवासी विरोधी करार देते हुए इनके कार्यक्रमों के बहिष्कार की चेतावनी ग्रामीणों को दी है.
चौथी बार विधायक को धमकी : 15 दिन के भीतर चौथी बार नक्सलियों ने अन्तागढ़ विधायक अनूप नाग को लेकर पर्चा जारी किया है. वहीं अब पूर्व सासंद विक्रम उसेंडी और पूर्व विधायक भोजराज नाग पर भी नक्सलियों ने निशाना साधा है. पखांजुर में मक्का खरीदी में हुए घोटाले को लेकर भी नक्सलियों ने बीजेपी नेताओं पर घड़ियाली आंसू बहाने का आरोप लगाते हुए मक्का घोटाला में मिलीभगत का आरोप लगाया. वहीं अनूप नाग को एक दफा फिर खदान मालिकों का एजेंट करार देते हुए गांव में नही घुसने देने की चेतावनी ग्रामीणों को दी है.
पर्चे फेंककर फैलाई दहशत : नक्सलियो के द्वारा लगातार विधायक अनूप नाग को निशाने पर लेना और अब बीजेपी के शीर्ष नेताओं के खिलाफ बयानबाजी करना चिंता का विषय है. अब देखना यह होगा कि पुलिस इन नेताओं के सुरक्षा को लेकर क्या प्रबंध करती है. नक्सलियों का शहीदी सप्ताह आज से शुरू हुआ है. नक्सलियों ने शहीदी सप्ताह के पहले दिन कांकेर से आमाबेड़ा मार्ग पर तुमसनार के पास भारी संख्या में बैनर लगाए हैं. कई जगह पर्चे भी फेंके हैं. जिसमें नक्सलियों ने शहीदी सप्ताह गांव-गांव में मनाने का एलान किया है.
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क्यों मनाते हैं नक्सली सप्ताह : नक्सलियों ने बैनर के चारु मजूमदार भी जिक्र करते हुए अपने मारे गए साथियों की याद में 28 जुलाई से 3 अगस्त तक शहीदी सप्ताह जोर शोर से मनाने का एलान किया है. जिसे देखते हुए पुलिस और सुरक्षाबल के जवान भी अलर्ट मोड पर है. पुलिस ने सर्च ऑपरेशन भी तेज कर दिए गए है ताकि नक्सली किसी तरह की नापाक मंसूबों में कामयाब ना हो सके. नक्सली हर साल 28 जुलाई से 3 अगस्त तक भाकपा-माले के संस्थापक चारू मजूमदार और कन्हैया चटर्जी (Naxalite Martyrdom Week in memory of Charu Mazumdar and Kanhaiya Chatterjee)की याद में शहीदी सप्ताह मनाते हैं. इसके साथ ही पुलिस मुठभेड़ में ढेर हुए नक्सलियों को शहीद बताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती हैं. इस दौरान वे कई बड़ी घटनाओं को अंजाम देने की फिराक में भी रहते हैं.