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छत्तीसगढ़ के कांकेर में नक्सलियों ने सड़क निर्माण में लगी 6 गाड़ियां जलाईं, कल नगर सैनिक की हत्या की थी

कांकेर में नक्सलियों ने आज आमाबेड़ा (Naxalites burnt vehicles engaged in road construction in Kanker) थाना अंतर्गत हलाइनार और मातला के बीच सड़क निर्माण में लगे 6 से 7 वाहनों को आग के हवाले कर दिया.

Naxalites burnt vehicles engaged in road construction in Kanker
छत्तीसगढ़ के कांकेर में नक्सलियों ने सड़क निर्माण में लगी 6 गाड़ियां जलाईं
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Published : Mar 22, 2022, 10:46 PM IST

कांकेर : नक्सलियों ने आज आमाबेड़ा थाना अंतर्गत हलाइनार और मातला (Naxalites burnt vehicles engaged in road construction in Kanker) के बीच सड़क निर्माण में लगे 6 से 7 वाहनों को आग के हवाले कर दिया. इससे पहले नक्सलियों ने 4 मार्च को जिला मुख्यालय के करीब कलमुच्चे में सड़क निर्माण में लगे 5 वाहनों को आग के हवाले कर दिया था. वहीं आमाबेड़ा-कांकेर मार्ग स्थित गुमझिर मेले में कल नक्सलियों ने एक नगर सैनिक की हत्या कर दी थी. जबकि 20 मार्च को नक्सलियों ने कोयलीबेड़ा क्षेत्र में एक अज्ञात ग्रामीण की हत्या कर शव सड़क पर फेंक दिया था. बता दें कि जिले में सप्ताह भर से नक्सलियों का उत्पात जारी है.

फरवरी से मई के बीच बड़ी घटनाओं को अंजाम देते हैं नक्सली
मार्च महीने में नक्सलियों ने 4 बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है. नक्सल मामलों को समझने वालों की मानें तो नक्सली ज्यादातर बड़ी घटनाओं को फरवरी से मई के बीच में अंजाम देते हैं. इन 4 महीनों को नक्सलियों का टैक्टिकल काउंटर ऑफ ऑफेंसिव कैंपैन (TCOC) समय कहा जाता है. बीते 10 सालों में अब तक TCOC के दौरान 250 जवान शहीद हो चुके हैं.

TCOC अभियान के दौरान ज्यादा आक्रामक होते हैं नक्सली
पुलिस ने भी हमेशा से नोटिस किया है कि नक्सली TCOC अभियान के दौरान ज्यादा आक्रामक होते हैं. खासकर मार्च-अप्रैल और मई के महीनों में जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए उपस्थिति दिखाते हैं. इस दौरान नक्सलियों के बड़े दलम के कमांडर भी सक्रिय रहते हैं. हालांकि कई बार सुरक्षा बलों को आभास होने के बाद नक्सलियों के चंगुल से बच निकलने में भी कामयाबी मिली है, लेकिन कुछ घटनाओं में सर्चिंग पर निकले जवान बिछाए एम्बुश में फंस जाते हैं और बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है.

यह भी पढ़ें : मुखबिरी के शक में हुई थी पास्टर की हत्या, मद्देड़ एरिया कमेटी ने ली जिम्मेदारी

बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि नक्सलियों की TCOC के दौरान बस्तर पुलिस को भी बीते साल काफी उपलब्धि मिली है. इन महीनों में नक्सलियों के बड़े कमांडर भी मारे गए हैं. वहीं आईजी का कहना है कि नक्सलियों के TCOC को भेदने के लिए बस्तर पुलिस अब ऐसे इलाकों के ग्रामीणों का दिल जीत लालगढ़ में घुसकर मुंह तोड़ जवाब दे रही है. आने वाले समय में निश्चित रूप से बस्तर पुलिस को नक्सलियों को बैकफुट पर लाने में कामयाबी हासिल होगी. उनका TCOC अभियान फेल साबित होगा.

क्या होता नक्सलियों का TCOC?
TCOC (टैक्टिकल काउंटर ऑफ ऑफेंसिव कैंपेन) के तहत नए लड़ाकों को नक्सली संगठन से जोड़ते हैं. सदस्यों को जोड़ने का काम आमतौर पर पतझड़ के बाद शुरू होता है. नक्सली नए लड़ाकों को सिखाते हैं कि सही समय पर हमला कैसे करना है? रियल टाइम प्रैक्टिस और एंबुश में कैसे जवानों को फंसा कर मारा जाए? इसके अलावा ट्रेनिंग में ये भी बताया जाता है कि फायरिंग में कैसे शहीद जवानों के हथियार लूटने हैं? इसी अवधि में नक्सली संगठन का विस्तार करते हैं. नए सदस्यों को पुलिस पर आक्रमण, हथियार प्रशिक्षण और अन्य शस्त्र कला और गुरिल्ला वार का प्रशिक्षिण मिलता है. इसके अलावा व्यापारियों, ठेकेदारों, ट्रांसपोर्टरों और सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों से वसूली कर साल भर का फंड इकट्ठा करते हैं. बाकी 8 माह नक्सली छोटी वारदातों को अंजाम देते हैं.

यह भी पढ़ें : action against Naxalites : नक्सलियों के खिलाफ बीजापुर में सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, तेरह नक्सली गिरफ्तार

कांकेर में अब तक की बड़ी नक्सली वारदात

  • 6 अप्रैल 2010- ताड़मेटला हमले में CRPF के 76 जवानों की शहादत.
  • 25 मई 2013- झीरम हमले में 30 से अधिक कांग्रेसी नेता और जवान शहीद.
  • 11 मार्च 2014- टाहकावाड़ा नक्सली हमले में 15 जवानों की शहादत हुई.
  • 12 अप्रैल 2015-दरभा में 5 जवानों समेत एंबुलेंस ड्राइवर और स्वास्थ्य कर्मी शहीद.
  • मार्च 2017-सुकमा के भेज्जी हमले में 11 CRPF जवानों को मिली शहादत.
  • 6 मई 2017-सुकमा के कसालपाड़ हमले में 14 जवानों की शहादत.
  • 25 अप्रैल 2017-सुकमा के बुर्कापाल बेस कैंप हमले में 32 CRPF के जवान शहीद.
  • 21 मार्च 2020- सुकमा के मीनपा हमले में 17 जवानों की शहादत हुई.
  • 23 मार्च 2021- नारायणपुर के कोहकामेटा आईईडी ब्लास्ट में 5 जवान शहीद.
  • 3 अप्रैल 2021-बीजापुर जिले में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हुए.

कांकेर : नक्सलियों ने आज आमाबेड़ा थाना अंतर्गत हलाइनार और मातला (Naxalites burnt vehicles engaged in road construction in Kanker) के बीच सड़क निर्माण में लगे 6 से 7 वाहनों को आग के हवाले कर दिया. इससे पहले नक्सलियों ने 4 मार्च को जिला मुख्यालय के करीब कलमुच्चे में सड़क निर्माण में लगे 5 वाहनों को आग के हवाले कर दिया था. वहीं आमाबेड़ा-कांकेर मार्ग स्थित गुमझिर मेले में कल नक्सलियों ने एक नगर सैनिक की हत्या कर दी थी. जबकि 20 मार्च को नक्सलियों ने कोयलीबेड़ा क्षेत्र में एक अज्ञात ग्रामीण की हत्या कर शव सड़क पर फेंक दिया था. बता दें कि जिले में सप्ताह भर से नक्सलियों का उत्पात जारी है.

फरवरी से मई के बीच बड़ी घटनाओं को अंजाम देते हैं नक्सली
मार्च महीने में नक्सलियों ने 4 बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है. नक्सल मामलों को समझने वालों की मानें तो नक्सली ज्यादातर बड़ी घटनाओं को फरवरी से मई के बीच में अंजाम देते हैं. इन 4 महीनों को नक्सलियों का टैक्टिकल काउंटर ऑफ ऑफेंसिव कैंपैन (TCOC) समय कहा जाता है. बीते 10 सालों में अब तक TCOC के दौरान 250 जवान शहीद हो चुके हैं.

TCOC अभियान के दौरान ज्यादा आक्रामक होते हैं नक्सली
पुलिस ने भी हमेशा से नोटिस किया है कि नक्सली TCOC अभियान के दौरान ज्यादा आक्रामक होते हैं. खासकर मार्च-अप्रैल और मई के महीनों में जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए उपस्थिति दिखाते हैं. इस दौरान नक्सलियों के बड़े दलम के कमांडर भी सक्रिय रहते हैं. हालांकि कई बार सुरक्षा बलों को आभास होने के बाद नक्सलियों के चंगुल से बच निकलने में भी कामयाबी मिली है, लेकिन कुछ घटनाओं में सर्चिंग पर निकले जवान बिछाए एम्बुश में फंस जाते हैं और बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है.

यह भी पढ़ें : मुखबिरी के शक में हुई थी पास्टर की हत्या, मद्देड़ एरिया कमेटी ने ली जिम्मेदारी

बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि नक्सलियों की TCOC के दौरान बस्तर पुलिस को भी बीते साल काफी उपलब्धि मिली है. इन महीनों में नक्सलियों के बड़े कमांडर भी मारे गए हैं. वहीं आईजी का कहना है कि नक्सलियों के TCOC को भेदने के लिए बस्तर पुलिस अब ऐसे इलाकों के ग्रामीणों का दिल जीत लालगढ़ में घुसकर मुंह तोड़ जवाब दे रही है. आने वाले समय में निश्चित रूप से बस्तर पुलिस को नक्सलियों को बैकफुट पर लाने में कामयाबी हासिल होगी. उनका TCOC अभियान फेल साबित होगा.

क्या होता नक्सलियों का TCOC?
TCOC (टैक्टिकल काउंटर ऑफ ऑफेंसिव कैंपेन) के तहत नए लड़ाकों को नक्सली संगठन से जोड़ते हैं. सदस्यों को जोड़ने का काम आमतौर पर पतझड़ के बाद शुरू होता है. नक्सली नए लड़ाकों को सिखाते हैं कि सही समय पर हमला कैसे करना है? रियल टाइम प्रैक्टिस और एंबुश में कैसे जवानों को फंसा कर मारा जाए? इसके अलावा ट्रेनिंग में ये भी बताया जाता है कि फायरिंग में कैसे शहीद जवानों के हथियार लूटने हैं? इसी अवधि में नक्सली संगठन का विस्तार करते हैं. नए सदस्यों को पुलिस पर आक्रमण, हथियार प्रशिक्षण और अन्य शस्त्र कला और गुरिल्ला वार का प्रशिक्षिण मिलता है. इसके अलावा व्यापारियों, ठेकेदारों, ट्रांसपोर्टरों और सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों से वसूली कर साल भर का फंड इकट्ठा करते हैं. बाकी 8 माह नक्सली छोटी वारदातों को अंजाम देते हैं.

यह भी पढ़ें : action against Naxalites : नक्सलियों के खिलाफ बीजापुर में सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, तेरह नक्सली गिरफ्तार

कांकेर में अब तक की बड़ी नक्सली वारदात

  • 6 अप्रैल 2010- ताड़मेटला हमले में CRPF के 76 जवानों की शहादत.
  • 25 मई 2013- झीरम हमले में 30 से अधिक कांग्रेसी नेता और जवान शहीद.
  • 11 मार्च 2014- टाहकावाड़ा नक्सली हमले में 15 जवानों की शहादत हुई.
  • 12 अप्रैल 2015-दरभा में 5 जवानों समेत एंबुलेंस ड्राइवर और स्वास्थ्य कर्मी शहीद.
  • मार्च 2017-सुकमा के भेज्जी हमले में 11 CRPF जवानों को मिली शहादत.
  • 6 मई 2017-सुकमा के कसालपाड़ हमले में 14 जवानों की शहादत.
  • 25 अप्रैल 2017-सुकमा के बुर्कापाल बेस कैंप हमले में 32 CRPF के जवान शहीद.
  • 21 मार्च 2020- सुकमा के मीनपा हमले में 17 जवानों की शहादत हुई.
  • 23 मार्च 2021- नारायणपुर के कोहकामेटा आईईडी ब्लास्ट में 5 जवान शहीद.
  • 3 अप्रैल 2021-बीजापुर जिले में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हुए.
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