कांकेर: मानसून ने आगमन के साथ ही बादल जमकर बरस रहे है, जिले में पहली बारिश ने ही कई इलाको में बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए है, ऐसे में सबसे अधिक जिम्मेदारी किसी की बढ़ गई है तो वो नगर सेना के जवान है ,जिनके कंधों पर बाढ़ आपदा से निपटने की सारी जिम्मेदारी होती है, बाढ़ आपदा से निपटने नगर सेना की टीम तो तैयार कर दी गई लेकिन इन्हें पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नही करवाये गए, जिससे बाढ़ आपदा से निपटना नगर सेना के जवानों के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है।
25 जवानों के लिए 20 लाइफ जैकेट
नगर सेना के 25 एक्सपर्ट जवानों की टीम तैयार की गई हैं. जिन्हें बाढ़ जैसी आपदा से निपटने की जिमेदारी सौंपी गई है. टीम तो तैयार है लेकिन अब बात आती है संसाधन की. नगर सेना की टीम में जितने सदस्य है उतने लाइफ जैकेट भी उनके पास नहीं हैं. 25 जवानों की इस टीम के लिए मात्र 20 लाइफ जैकेट है. ऐसे में यदि एक से ज्यादा स्थानों में बाढ़ के हालात बने और रेस्क्यू करना हो तो टीम के पास पर्याप्त संख्या में लाइफ जैकेट भी नहीं है. वहीं नगर सेना की टीम के पास एक भी रबर बोट नहीं है. पहाड़ी इलाके में एल्युमिनियम बोट को लेकर चलना संभव नहीं होता. यही कारण है कि पिछली बार जब परतापुर इलाके में नदी में ग्रामीण फंसे थे तो जगदलपुर से रेस्क्यू टीम बुलानी पड़ी थी.
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खोखले साबित हो रहे तैयारियों के दावे
जिला प्रशासन की तरफ से बाढ़ से निपटने पूरी तैयारी का दावा किया जा रहा है. लेकिन ETV भारत की टीम ने जब नगर सेना के दफ्तर पहुंचकर संसाधनों का जायजा लिया तो ये दावा खोखला साबित हुआ. जवानों के पास जो लाइफ जैकेट है वो भी काफी पुराने हैं. ऐसे में बाढ़ आपदा में फंसे लोगों को बचाने की जिम्मेदारी जिन पर है उनकी खुद की जान संकट में पड़ सकती है.
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पिछले साल भी थी यही स्थितिनगर सेना के जवानों ने बीते साल भी इसी तरह अपनी जान जोखिम में डालकर बाढ़ आपदा से लोगों को बचाया था. जवानों ने बीते साल भी लाइफ जैकेट पुराने होने के कारण नए जैकेट की मांग की थी. तब उन्हें 5 नए लाइफ जैकेट थमा दिए गए थे जो नाकाफी थे. गौर करने वाली बात है ये है कि जो जवान अपनी जान की परवाह किए बिना आपदा से लोगों की रक्षा करते है, उन्हें ही पर्याप्त संसाधन देने में शासन - प्रशासन कोताही क्यों बरत रहा हैं.द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान आक्रमण का खतरा होने पर मई 1940 में गृह रक्षक यूके में गठित किया गया था. मूलरूप से इसे LDV (स्थानीय रक्षा स्वयंसेवक) का नाम दिया गया था. अगस्त 1940 में विंस्टन चर्चिल ने LDV का नाम होम गार्ड में बदल दिया. क्योंक यह ज्यादा देशभक्ति और प्रेरक था.
भारत में इसे मूल रूप से दंगों से निपटने और गंभीर कानून व्यवस्था की समस्याओं को संभालने के लिए 06 दिसंबर 1946 को बम्बई (वर्तमान मुम्बई) में होमगार्ड की स्थापना की गई. देश के सबसे बड़े स्वयं सेवी संगठन के रूप में होमगार्ड की स्थापना सन 1947 में सी.पी. एंड बरार नगर सेना अधिनियम 1947 के तहत की गई . 1956 में राज्यों के पुर्नगठन के बाद इसे मध्यप्रदेश होमगार्ड के नाम से जाना जाने लगा.
01 नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ नया राज्य बना और सी.पी. एंड बरार नगर सेना अधिनियम 1947 को अपनाया. वर्तमान में राज्य में नगर सेना की 63 कंपनी तैनात है. इसका मुख्य उद्देश्य आपदा प्रबंधन, लोकसभा, विधानसभा चुनाव ड्यूटी व पुलिस बल को कानून व्यवस्था बनाए रखने में मदद करना है.
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