कांकेर: इनामी महिला नक्सली ने नवजात के साथ सरेंडर किया है. 5 दिन की दुधमुंही बच्ची के साथ सरेंडर करने वाली इस महिला नक्सली ने पुलिस के सामने न सिर्फ नक्सलियों के अमानवीय चेहरे को उजागर किया बल्कि इस हकीकत से भी रूबरू कराया कि कैसे इस्तेमाल करने के बाद नक्सली इन भोली-भाली महिलाओं को छोड़ देते हैं. हालांकि इस महिला नक्सली की पुलिस ने हरसंभव मदद की.
महिला नक्सली कुएमारी एरिया कमेटी की एलओएस सदस्य रही है और कई बड़ी नक्सल वारदातों में भी शामिल रही. मुख्य रूप से सुकमा जिले के की रहने वाली ये महिला 2014 में नक्सल संगठन में भर्ती हुई थी और सुकमा और बीजापुर में काफी समय तक सक्रिय रही. जिसके बाद उसे 15 से 20 नक्सलियों के साथ उत्तर बस्तर डिवीजन में भेजा गया. जहां 2018 में किसकोड़ो एरिया कमेटी के सदस्य मुन्ना मंडावी ने उससे शादी कर ली.
महिला ने लिया सरेंडर करने का फैसला
मुन्ना मंडावी के साथ रहते-रहते महिला गर्भवती हो गई और जब वह चलने फिरने के काबिल नहीं रही तो उसे नक्सलियों ने आलपरस गांव के पास छोड़ दिया. करीब एक महीने तक वो गांव वालों की मदद से जैसे-तैसे रही, इसी बीच वहां डीआरजी की टीम पहुंची. जैसे ही पुलिस टीम को महिला नक्सली के बारे में जानकारी मिली, उन्होंने उससे मुलाकात की. बच्चे के साथ महिला ने सरेंडर करने का फैसला लिया. महिला जवानों के साथ अंतागढ़ आई लेकिन तब तक उसकी और उसकी बच्ची की तबीयत काफी खराब हो चुकी थी.
पुलिस ने दिखाई मानवीयता
पुलिस ने मानवीयता दिखाते हुए दोनों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया. महिला तो ठीक है लेकिन उसकी बच्ची की हालत खराब है. पुलिस ने बताया कि बच्ची आईसीयू में भर्ती है.
'गांव की लड़कियों का इस्तेमाल कर रहे नक्सली'
महिला नक्सली ने आपबीती सुनाई उससे यह बात साफ है कि नक्सली अपने मतलब के लिए गांव की लड़कियों का इस्तेमाल कर रहे हैं. पुलिस का कहना है कि ये अब तक का पहला मामला है जिसमें किसी नवजात के साथ महिला नक्सली ने समपर्ण किया है.
महिला नक्सलियों की नसबंदी करवा देते हैं नक्सली
इसके पहले कई बार ये बात सामने आ चुकी है कि नक्सली महिला नक्सलियों की नसबंदी करवा देते हैं, जिससे वो गर्भवती न हों. कई आत्म समर्पित नक्सलियों ने इसके राज पुलिस के सामने खोले हैं लेकिन यह अब तक का पहला मामला है, जिसमें एक महिला नक्सली गर्भवती होती है और इसे जंगल में छोड़ कर नक्सली भाग जाते हैं.
पूरी देख रेख की जा रही: एसपी
एसपी के एल धुर्व ने बताया कि महिला नक्सली और उसके नवजात बच्ची की पूरी देख रेख की जा रही है. उसकी हालत अभी ठीक नहीं है और उसका वजन काफी कम है. बच्ची को जिला अस्पताल के आईसीयू में रखा गया है. एसपी ने बताया कि महिला नक्सली कई बड़े हमले में शामिल रही है. 2018 में ताडोकी थाना क्षेत्र के मसपुर में हुए नक्सल हमले में सुनीता शामिल थी जिसमे बीएसएफ के दो जवान शहीद हुए थे.
सरेंडर नक्सली को अब सरकारी की आत्मसमर्पण और पुर्नवास नीति के तहत लाभ दिया जाएगा.