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कांकेर: बारिश की कमी से सूख रही फसल, खेतों में पड़े दरार

पखांजूर में बारिश नहीं होने की वजह से किसान परेशान हैं. किसानों के धान की फसल पानी नहीं मिलने की वजह से बर्बाद हो रही है, हालात ये हो गए हैं कि अब खेतों में दरारें पड़ने लगी है, लेकिन दूर-दूर तक बारिश के आसार नहीं दिख रहे हैं.

cracks in the fields
खेत में दरार
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Published : Jul 28, 2020, 4:10 PM IST

पखांजूर/कांकेर: छत्तीसगढ़ में इस साल मानसून तय समय पहले ही आ चुकी है. एक ओर जहां कई क्षेत्रों के बांध लबालब भरे हैं, वहीं परलकोट के किसान पानी के लिए तरस रहे हैं. इस इलाके में नाम मात्र बारिश हुई है. इस वजह से खेतों में दरारें पड़ने लगी है. क्षेत्र के 40 फीसदी किसान इस साल रोपा नहीं लगा पाए हैं.

खेतों में पड़ी दरार

पढ़ें- खदान में राख भरने का काम कर रही कंपनी की बड़ी लापरवाही, 10 किसानों की फसल हुई बर्बाद

पखांजूर के परलकोट क्षेत्र में लोगों के पास आय का एकमात्र साधन कृषि है. इस क्षेत्र में न तो कोई कारखाना है और न ही व्यापार की उचित व्यवस्था. इस क्षेत्र के लोगों के पास कृषि के अलावा कोई और आय का साधन नहीं है. इस साल बारिश कम होने के वजह से खेतों में दरारें आ गई है. जिन किसानों के पास बोर, नहर, नाले उपलब्ध हैं, सिर्फ वहीं धान का रोपा लगा पाए हैं. 40 फीसदी किसान अब भी बारिश के इंतजार में बैठे हुए हैं.

कर्ज में डूब रहे किसान

बारिश नहीं होने की वजह से इस क्षेत्र के नदी, नहर और तालाब भी नहीं भर पाए हैं. इस स्थिति में किसानों के सामने खेतों को सिंचने की समस्या खड़ी हो गई है. कुछ किसानों के गर्मी के समय लगे फसल लॉकडाउन की वजह से सही दाम में नहीं बिक पाए हैं. वहीं इस समय बैंक से कर्ज लेकर लगाई गई फसल भी बारिश की वजह से सूख रही है. अब इस क्षेत्र के किसान कर्ज में डूबने लगे हैं.

पखांजूर/कांकेर: छत्तीसगढ़ में इस साल मानसून तय समय पहले ही आ चुकी है. एक ओर जहां कई क्षेत्रों के बांध लबालब भरे हैं, वहीं परलकोट के किसान पानी के लिए तरस रहे हैं. इस इलाके में नाम मात्र बारिश हुई है. इस वजह से खेतों में दरारें पड़ने लगी है. क्षेत्र के 40 फीसदी किसान इस साल रोपा नहीं लगा पाए हैं.

खेतों में पड़ी दरार

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पखांजूर के परलकोट क्षेत्र में लोगों के पास आय का एकमात्र साधन कृषि है. इस क्षेत्र में न तो कोई कारखाना है और न ही व्यापार की उचित व्यवस्था. इस क्षेत्र के लोगों के पास कृषि के अलावा कोई और आय का साधन नहीं है. इस साल बारिश कम होने के वजह से खेतों में दरारें आ गई है. जिन किसानों के पास बोर, नहर, नाले उपलब्ध हैं, सिर्फ वहीं धान का रोपा लगा पाए हैं. 40 फीसदी किसान अब भी बारिश के इंतजार में बैठे हुए हैं.

कर्ज में डूब रहे किसान

बारिश नहीं होने की वजह से इस क्षेत्र के नदी, नहर और तालाब भी नहीं भर पाए हैं. इस स्थिति में किसानों के सामने खेतों को सिंचने की समस्या खड़ी हो गई है. कुछ किसानों के गर्मी के समय लगे फसल लॉकडाउन की वजह से सही दाम में नहीं बिक पाए हैं. वहीं इस समय बैंक से कर्ज लेकर लगाई गई फसल भी बारिश की वजह से सूख रही है. अब इस क्षेत्र के किसान कर्ज में डूबने लगे हैं.

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