कांकेर : मां बाप ने अपने लाडलों को कुछ कर दिखाने के लिए भेजा तो स्कूल था.लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था. नन्हें बच्चे आने वाले खतरे से बेखबर रोजाना की तरह ऑटो में बैठकर स्कूल के बाद अपने घर की ओर निकले. हर दिन की तरह बच्चे शरारत करते हुए अपने नन्हें दोस्तों के संग ऑटो में घर के करीब पहुंच ही रहे थे कि कालरूपी तेज रफ्तार ट्रक ने मासूमों की ऑटो को टक्कर मार दी. टक्कर इतनी जोरदार थी की फौलाद से बना ऑटो तिनके की तरह उड़ गया. ऑटो के परखच्चे उड़ गए .तो जरा सोचिए मासूम का क्या हाल हुआ होगा.इस हादसे ने सात परिवारों को गमगीन कर दिया है. इन्हीं में से एक परिवार है रुद्र प्रताप देव दुग्गा का.
आखिरी वक्त में मां बाप को ना देख सका रुद्र : रानीडोंगरी निवासी रुद्र प्रताप देव दुग्गा. जिनके पिता का नाम दिनेश दुग्गा है. रुद्र की उम्र 8 साल की थी. अपने परिवार का इकलौता चिराग था रुद्र. जिसे ना सिर्फ परिवार बल्कि गांव का हर एक शख्स प्यार करता था. लेकिन रुद्र अपने पिता के पास नहीं बल्कि अपने पिता के दोस्त गुलाब सिंह दर्रों के घर में रहकर पढ़ाई करता था. दर्रों भी रुद्र में अपना बेटा देखते,क्योंकि उनकी कोई संतान नहीं थी.
गुलाब दर्रो ने रुद्र को अपने बेटे से भी बढ़कर प्यार दिया. बात यदि पढ़ाई की करें तो रुद्र इंग्लिश मीडियम का एक होनहार छात्र था. परिवार ने भी उसे इसलिए गुलाब के पास भेजा ताकि वो स्कूल आने जाने में कोई दिक्कत ना हो. लेकिन गुरुवार का दिन दर्रो और दुग्गा दोनों ही परिवार के लिए किसी बुरे सदमें से कम नहीं था, क्योंकि कोरर हादसे में दोनों ही परिवार का इकलौता चिराग बुझ चुका था. इसी के साथ बुझ चुकी थी वो उम्मीदें जो शायद इन दोनों ही परिवारों ने रुद्र के लिए जगा रखी थी. अब रुद्र सिर्फ तस्वीरों में ही सिमटकर रह गया है.
काल बनकर आया ट्रक : कोरर हादसा में एक ट्रक ने स्कूली बच्चों की ऑटो को रौंद डाला. इसके बाद इस ऑटो में सवार बच्चों की हालत क्या हुई होगी ये बयां कर पाना शब्दों में मुमकिन नहीं है. जिन कलेजे के टुकड़ों को उनके मां बाप हर दुख, हर दर्द से बचाते रहे. इस हादसे के बाद वो लहुलूहान सड़कों पर बिखरे पड़े थे. जिन कदमों की आहट का इंतजार हर दिन परिवार को रहता था, वो कदम अब रुक से गए थे. सिर्फ बची थी चीख पुकार और वो दर्द जो शायद अब इस हादसे में दूर हो चुके बच्चों के मां बाप को ताउम्र रहेगा.